माउस की एक क्लिक पर बनते बिगड़ते रिश्तों की आभासी
दुनिया ...सोशल मिडिया ..फेसबुक, ट्वीटर आदि का हाल अजीब होता जा रहा है,
यह 'सोशल साईट' की जगह 'पालिटिकल साईट' नज़र आने लगी है, हम जैसे ज्यादातर
पुराने फेसबुक यूज़र इस बदलाव से अचंभित हैं, फेसबुक, twitter पर जब यूज़र
अपना प्रोफाइल बनाता है, तो उसे तलाश होती है अपने जैसे विचारों वाले
मित्रों की...और ज्यादातर लोग आगे जाकर अपने हम ख्याल दोस्तों के समूह में
शामिल हो ही जाता है, इसे हम वैचारिक ध्रुवीकरण भी कह सकते हैं, जैसे शायरी
और कविता का शौक़ रखने वाले यूज़र वैसे ही ग्रुप और दोस्तों का समूह बना ही
लेते हैं, खिलाडी...खिलाडियों के साथ, संगीत प्रेमी, राजनीति, फोटो ग्राफी
जैसे अनेक क्षेत्रों की रूचि अनुसार विभाजित होते रहते हैं, और अपनी
गतिविधियाँ तथा रुचियाँ शेयर करते हैं, पोस्ट करते हैं...विचार रखते हैं !
मगर कुछेक वर्षों से यह ताना बाना टूटता नजर आने लगा है, सोशल मीडिया पर राजनैतिक दलों के आ धमकने से सब कुछ बदल गया है, ज़यादातर लोग रोज़ इकठ्ठा हो कर जमकर सर फुटव्वल करते हैं, ..और ऐसा आभास होने लगा है कि 2014 में फेसबुक, ट्वीटर पर जमकर राजनैतिक गंध मचने वाली है, शुरुआत हो चुकी है, सभी पार्टियों के नेतागण यहाँ पधार चुके हैं... यह मंच अब पॉलिटिकल अखाड़े में तब्दील होने लगे है ! फेसबुक, ट्वीटर यूज़र्स को चाहिए कि अपने समान विचारों वाले मित्रों, या अच्छे और सकारात्मक विचार वाले मित्रों को ही सम्मिलित करें...हालांकि सभी के अपने निजी विचार, मत और समझ होती है, मगर यह भी कहीं सच है कि आप जिन दोस्तों के साथ ज्यादा अपना समय बिताते हैं (चाहे वो सोशल साइट्स या वास्तविक दुनिया) उनके विचारों का धीरे धीरे कहीं न कहीं आपके विचारों पर भी प्रभाव तो होता है ! इसलिए ऐसे मित्रों की संगति कीजिये जिनसे आपके विचारों को धनात्मक ऊर्जा मिले ...न कि ...ऋणात्मक !
कुछ यूज़र्स अपनी निजी बातों को धड़ल्ले से फेसबुक या ट्वीटर पर दोस्तों और फालोवर्स के साथ शेयर करते देखे गए हैं, जो कि कहीं न कहीं आगे जा कर हानिकारक भी हो सकती है, सोशल मीडिया को अपने टेबल तक ही रहने दिया जाए तो बेहतर है, इसे बेडरूम में ताँक झाँक करने की गुस्ताखी मत करने दीजिये, किसी भी ऐसी पोस्ट से बचिए जो आपके परिवार या आपकी निजी ज़िन्दगी में खलल पैदा करे, या उसे चौराहे पर लाकर तमाशा बना दे, हाल ही में पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार तथा मंत्री शशि थरूर के ट्वीट्स ..उसके बाद सुनंदा पुष्कर की मौत ..ने जो हंगामा किया है, वो इस बात का साक्षी है कि सोशल मीडिया में निजता को परोसना कभी कितना घातक हो सकता है !
इधर कुछ दिनों से फेसबुक और ट्वीटर पर बहुत बड़ी संख्या में फेक प्रोफाइल वालों की भरमार है, यह लोग ही ज़्यादातर इन सोशल साइट्स पर अराजकता और उत्पात मचाते हैं...और मित्र सूची में सम्मिलित होकर, ग्रुपों तथा पेजों में शामिल हो कर अमर्यादित भाषा, और उकसाने वाली पोस्ट करने में भी नहीं हिचकते ! इसलिए कोशिश कीजिये कि हम सभी इससे बचे रहें, और प्रयत्न कीजिये कि फेसबुक, ट्वीटर आदि पर हम सबको सकारात्मक दृष्टिकोण, और आला मयार के लोगों की सांगत मिले ...खब्ती...लठैतों और संकीर्ण मानसिकता वालों से छुटकारा मिले ! यह एक बेहतरीन मंच है...इसे सकारात्मकता के लिए काम में लीजिये...दुरावों और दोषारोपण के लिए नहीं, जोड़ने के लिए काम में लीजिये..तोड़ने के लिए नहीं ! ..समय समय पर अपनी मित्र सूची की झाड़ पोंछ करते रहिये, बचते रहिये...बचाते रहिये...अब तो फेसबुक, ट्वीटर पर यह भी नहीं कह सकते कि :- ' दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिये ' ! 'माउस मित्रता' है...सोच समझ कर कीजिये....!!
जय हिन्द !
मगर कुछेक वर्षों से यह ताना बाना टूटता नजर आने लगा है, सोशल मीडिया पर राजनैतिक दलों के आ धमकने से सब कुछ बदल गया है, ज़यादातर लोग रोज़ इकठ्ठा हो कर जमकर सर फुटव्वल करते हैं, ..और ऐसा आभास होने लगा है कि 2014 में फेसबुक, ट्वीटर पर जमकर राजनैतिक गंध मचने वाली है, शुरुआत हो चुकी है, सभी पार्टियों के नेतागण यहाँ पधार चुके हैं... यह मंच अब पॉलिटिकल अखाड़े में तब्दील होने लगे है ! फेसबुक, ट्वीटर यूज़र्स को चाहिए कि अपने समान विचारों वाले मित्रों, या अच्छे और सकारात्मक विचार वाले मित्रों को ही सम्मिलित करें...हालांकि सभी के अपने निजी विचार, मत और समझ होती है, मगर यह भी कहीं सच है कि आप जिन दोस्तों के साथ ज्यादा अपना समय बिताते हैं (चाहे वो सोशल साइट्स या वास्तविक दुनिया) उनके विचारों का धीरे धीरे कहीं न कहीं आपके विचारों पर भी प्रभाव तो होता है ! इसलिए ऐसे मित्रों की संगति कीजिये जिनसे आपके विचारों को धनात्मक ऊर्जा मिले ...न कि ...ऋणात्मक !
कुछ यूज़र्स अपनी निजी बातों को धड़ल्ले से फेसबुक या ट्वीटर पर दोस्तों और फालोवर्स के साथ शेयर करते देखे गए हैं, जो कि कहीं न कहीं आगे जा कर हानिकारक भी हो सकती है, सोशल मीडिया को अपने टेबल तक ही रहने दिया जाए तो बेहतर है, इसे बेडरूम में ताँक झाँक करने की गुस्ताखी मत करने दीजिये, किसी भी ऐसी पोस्ट से बचिए जो आपके परिवार या आपकी निजी ज़िन्दगी में खलल पैदा करे, या उसे चौराहे पर लाकर तमाशा बना दे, हाल ही में पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार तथा मंत्री शशि थरूर के ट्वीट्स ..उसके बाद सुनंदा पुष्कर की मौत ..ने जो हंगामा किया है, वो इस बात का साक्षी है कि सोशल मीडिया में निजता को परोसना कभी कितना घातक हो सकता है !
इधर कुछ दिनों से फेसबुक और ट्वीटर पर बहुत बड़ी संख्या में फेक प्रोफाइल वालों की भरमार है, यह लोग ही ज़्यादातर इन सोशल साइट्स पर अराजकता और उत्पात मचाते हैं...और मित्र सूची में सम्मिलित होकर, ग्रुपों तथा पेजों में शामिल हो कर अमर्यादित भाषा, और उकसाने वाली पोस्ट करने में भी नहीं हिचकते ! इसलिए कोशिश कीजिये कि हम सभी इससे बचे रहें, और प्रयत्न कीजिये कि फेसबुक, ट्वीटर आदि पर हम सबको सकारात्मक दृष्टिकोण, और आला मयार के लोगों की सांगत मिले ...खब्ती...लठैतों और संकीर्ण मानसिकता वालों से छुटकारा मिले ! यह एक बेहतरीन मंच है...इसे सकारात्मकता के लिए काम में लीजिये...दुरावों और दोषारोपण के लिए नहीं, जोड़ने के लिए काम में लीजिये..तोड़ने के लिए नहीं ! ..समय समय पर अपनी मित्र सूची की झाड़ पोंछ करते रहिये, बचते रहिये...बचाते रहिये...अब तो फेसबुक, ट्वीटर पर यह भी नहीं कह सकते कि :- ' दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिये ' ! 'माउस मित्रता' है...सोच समझ कर कीजिये....!!
जय हिन्द !