गुरुवार, 5 मई 2016

आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम युवाओं के साथ अन्याय कब तक ??

कल की बड़ी खबर यह थी की दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जैश के 13 आतंकियों को धर लिया है, धरते ही तो यह भांड मीडिया द्वारा आतंकी घोषित कर दिए गए, चाहे दस ग्यारह साल बाद यह बेगुनाह मुस्लिम और युवाओं की तरह निर्दोष साबित हो जाएँ !!

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा पकडे गए और बाद में कई सालों बाद निर्दोष साबित हुए लोगों की लम्बी लिस्ट है, मगर कुछ बड़े मामले शायद सभी को याद होंगे !

यहाँ पहला स्क्रीन शॉट दिनांक 25 मार्च 2013 , BBC हिंदी का है, जिसमें तत्कालीन गृह मंत्री शिंदे जी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा 20 मार्च 2013 को गिरफ्तार किये गए लियाक़त शाह का केस NIA को देने की घोषणा की थी !

दूसरा स्क्रीन शॉट 24 जनवरी 2015  का है जिसमें NIA द्वारा लियाक़त शाह को क्लीन चिट देने की खबर है !


तीसरा स्क्रीन शॉट दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा अब्दुल करीम टुंडा को 17 अगस्त 2013 को भारत-नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार करने, और उस पर लश्कर-ए-तैयबा का बम एक्सपर्ट होने का आरोप लगाया गया थी !

चौथ स्क्रीन शॉट अब्दुल करीम टुंडा पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से बरी करने का है !

यहाँ यह अदालतों के यह फैसले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की हरकतों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं, मगर अफ़सोस कि बेख़ौफ़ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की इन हरकतों की भरपाई के लिए और इनके अलावा पकडे और बाद में निर्दोष साबित हुए बेगुनाह मुसलमानो के सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक नुकसान के लिए कभी किसी पुलिस अधिकारी या जांच एजेंसी के खिलाफ कोई अदालत नहीं गया, ना ही किसी अदालत ने इसकी भरपाई के लिए कोई पहल की या तवज्जो दी !

संदेह के आधार पर किसी भी मुसलमान को पकड़ कर जेल में डाल देना अब रोज़ मर्रा की घटनाओं की तरह होने लगा है, इससे पहले 22 Jan 2016 को देश भर में छापे मार कर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक इंजीनियरिंग छात्र समेत 17 संदिग्धों को हिरासत में लिया था :-
http://khabarindiatv.com/india/national-14-suspected-isis-terrorist-arrested-468836 

अब उनका क्या हो रहा है कुछ पता नहीं !

बेगुनाह मुसलमानो के साथ हुए अन्याय की लिस्ट बहुत लम्बी है, आप चाहें तो इस लिंक पर भी पढ़ सकते हैं :-
http://hindi.siasat.com/news/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B5-%E0%A4%A7%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%87-9-%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%B8%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8B-817820/

देश में मुसलमानों को जेल में डालने में गुजरात सबसे आगे, एक-तिहाई मुस्लिम बंदी अकेले मोदी के राज्य में हैं, जानने के लिए यहाँ पढ़िए :-
http://www.jansatta.com/national/gujarat-has-most-number-of-muslim-detainees-in-india/91462/

और जिस तरह से कल यह धर पकड़ हुई है, उस पर भी सवाल उठने लगे हैं, अब वक़्त आ गया है कि बड़ी मुस्लिम तंज़ीमों और आलिमों का आगे आकर और एकजुट इस ट्रेंड के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करना होगी, और इन सभी को यह मांग रखना होगी कि जो भी मुसलमान युवक संदेह के आधार पर पकडे जाएँ, उनके लिए फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट्स बनाए जाएँ, और जल्दी न्याय की व्यवस्था की जाए, यदि दोषी साबित होते हैं तो सज़ा दी जाएँ, यदि निर्दोष हैं तो छोड़ा जाए, ताकि उनका पारिवारिक, शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन बर्बाद होने से बच सके !

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और वेलफेयर पार्टी के एसक्‍यूआरटी इलियास ने ने दावा किया कि, 2014 में असामाजिक गतिविधि एक्‍ट के तहत गिरफ्तार 141 युवकों में से केवल 18 के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई। बाकी के 123 निर्दोष साबित हुए। इनमें से भी अधिकांश को ऊपरी अदालतों ने रिहा किया। मुस्लिम युवकों को अंधाधुंध तरीके से आतंकी या आईएस समर्थक बताकर पकड़ा गया था !

अभी भी वक़्त है कि ऐसी गिरफ्तारियों पर नज़र रख कर निर्दोषों को न्याय दिलाने के लिए मुस्लिम तंज़ीमें और आलिम आगे आएं, क़ौम की रीढ़ टूटने से बचाएँ !


1 टिप्पणी:

  1. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कभी भी इन सब तवज्जो दी है। इनके पास पैसे और पॉवर दोनों हैं लेकिन पता नही क्यूँ ये कतराते हैं इस मसले पर, रिहाई मंच जो हमेशा इस पर काम करती आई है। बाक़ी सिर्फ़ तमासीन बने रहते हैं। अफ़सोसअफ़सोस☹️

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