भारत की जनता की मानसिकता की असल पहचान और उनकी नब्ज़ की सही पकड़ शायद बाबा रामदेव, आचार्य रजनीश, श्री श्री रविशंकर और आसाराम जी बापू के पास ही है, न की अन्ना हजारे, स्वामी अग्निवेश, टी.एन. शेषण और किरण बेदी के पास नहीं है, तभी तो आज यह सब सच्चे देशभक्त और ईमानदार लोग अपने विचार और उद्देश्यों को साकार नहीं कर पा रहे, यहाँ तक की किरण बेदी जैसी icon को अपनी बेटी को शिमला के कॉलेज में admission दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ना पड़ी थी, अन्ना हजारे को सिर्फ आमरण अनशन से ही न्याय मिलता है, यह ज़मीन से जुड़े ईमानदार और देशभक्त लोग हैं, जिनके हाथ में यदि देश की बागडोर आ जाये तो शायद कल देश के राजनीतिक नक्शे का हाल ही दूसरा हो.
मगर क्योंकि हम न जाने क्यों आज २१ वीं सदी में भी इन मायावी चोलाधारी बाबाओं से सम्मोहित हैं, चाहे वोह बाबा रामदेव हों, आसाराम जी हों, श्री श्री हों, हम इनका अन्धनुकरण करे जा रहे हैं, और इनको मालामाल किये जा रहे हैं, कोई द्वीप खरीद रहा है, कोई हेलोकोप्टेर्स में घूम रहा है, कोई आर्ट्स ऑफ़ लिविंग के नाम पर लोगों को भ्रमित कर रहा है, क्या आर्ट्स ऑफ़ लिविंग की ज़रुरत केवल धनाड्य वर्ग को ही है, बाकी 60 % जनता को क्या आर्ट्स ऑफ़ लिविंग की कोई ज़रुरत नहीं है ?
हमारी इस भ्रमित, लाचार और सम्मोहित मानसिकता का खामियाजा यह गिनती के समर्पित देशभक्त भुगत रहे हैं ! और यही कारण हैं की यह बाबा लोग आज बहुसंख्यक हो रहे हैं, और यह समर्पित देशभक्त अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं, आज हमारे देश को इन बाबाओं से कही ज्यादा किरण बेदी, अन्ना हजारे, स्वामी अग्निवेश जैसे लोगों की बहुत आवश्यकता है, मगर मुझे नहीं लगता की ऐसा हो जायेगा, क्योंकि जो लोग इन बाबाओं को सर पर बिठा रहे हैं, वोह देश का कम प्रतिशत हैं, और जो देश का अधिकांश प्रतिशत हैं उन को अपनी दो वक़्त की रोटी, और महीना चलाने की ज्यादा फ़िक्र है, न जाने कब हम जागेंगे और देश जागेगा !!
मगर क्योंकि हम न जाने क्यों आज २१ वीं सदी में भी इन मायावी चोलाधारी बाबाओं से सम्मोहित हैं, चाहे वोह बाबा रामदेव हों, आसाराम जी हों, श्री श्री हों, हम इनका अन्धनुकरण करे जा रहे हैं, और इनको मालामाल किये जा रहे हैं, कोई द्वीप खरीद रहा है, कोई हेलोकोप्टेर्स में घूम रहा है, कोई आर्ट्स ऑफ़ लिविंग के नाम पर लोगों को भ्रमित कर रहा है, क्या आर्ट्स ऑफ़ लिविंग की ज़रुरत केवल धनाड्य वर्ग को ही है, बाकी 60 % जनता को क्या आर्ट्स ऑफ़ लिविंग की कोई ज़रुरत नहीं है ?
हमारी इस भ्रमित, लाचार और सम्मोहित मानसिकता का खामियाजा यह गिनती के समर्पित देशभक्त भुगत रहे हैं ! और यही कारण हैं की यह बाबा लोग आज बहुसंख्यक हो रहे हैं, और यह समर्पित देशभक्त अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं, आज हमारे देश को इन बाबाओं से कही ज्यादा किरण बेदी, अन्ना हजारे, स्वामी अग्निवेश जैसे लोगों की बहुत आवश्यकता है, मगर मुझे नहीं लगता की ऐसा हो जायेगा, क्योंकि जो लोग इन बाबाओं को सर पर बिठा रहे हैं, वोह देश का कम प्रतिशत हैं, और जो देश का अधिकांश प्रतिशत हैं उन को अपनी दो वक़्त की रोटी, और महीना चलाने की ज्यादा फ़िक्र है, न जाने कब हम जागेंगे और देश जागेगा !!
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