सोशल मीडिया पर इन दिनों कई साईबर फतवे धारी प्रकट हुए हैं जो कि बजरंगी भाईजान फिल्म का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विरोध करते नज़र आ रहे हैं, एक से बढ़कर एक नसीहतें दी जा रही हैं, फोटोशॉप का फूहड़ उपयोग कर सलमान खान और फिल्म का मज़ाक उड़ाया जा रहा है !
मैं सलमान खान का प्रशंसक तो नहीं मगर इस प्रकार के पूर्वाःग्रहों के खिलाफ ज़रूर हूँ, मैंने pk फिल्म के समय भी सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं देखी हैं, मोदी महोदय के साथ सलमान के पतंग उड़ाने के बाद 'जय हो' फिल्म के समय भी प्रतिक्रियाएं देखी हैं, इनमें से कई लोगों द्वारा डर्टी पिक्चर का विश्लेषण भी सोशल मीडिया पर देखा और पढ़ा है और इन दिनों बजरंगी भाईजान पर नाज़िल हो रहे इन साईबर फतवों को भी देख रहा हूँ !
हैरानी इस बात पर होती है कि कभी pk के समय बढ़ चढ़ कर लोगों को pk देखने की नसीहतें देने वाले अधिकांश लोग अब बजरंगी भाईजान के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं, यह क्या तमाशा है ?
इनका विरोध सिर्फ एक फिल्म के लिए है, चाहे आप बाहुबली देख आएं, मगर बजरंगी भाईजान ना देखें ! हास्यास्पद बात तो यह है कि यह इस फिल्म के विरोध के लिए फूहड़ तर्क देकर खुद ही उपहास का केंद्र बने हुए हैं !
फ़िल्में मनोरंजन का साधन है, यह किसी समूह के पूर्वाःग्रहों की संतुष्टि के लिए नहीं बनाई जाती हैं, हाँ यह बात अलग है कि फिल्म को कई बार मार्केटिंग के लिए विवाद का विषय बना कर लोगों का ध्यान आकर्षित करने का फंडा भी आज़माया जाने लगा है !
pk फिल्म पर तालियाँ बजाने वाले और बजरंगी भाईजान को गलियाने वाले अधिकांश लोग वही हैं जो भारत में बैन हुई फिल्म 50 Shades of Grey को यू ट्यूब पर देख कर शेखी बघार चुके हैं, डर्टी पिक्चर पर अपना विश्लेषण दे चुके हैं, और pk की तारीफ कर चुके हैं ! बजरंगी भाईजान का विरोध करने वाले लोग पहले अपने ड्राईंग रूम्स से टी.वी. उठकर फेंकें, केबल नोच डालें फिर आकर फतवेबाज़ी करें !
आज जहाँ एक ओर मंगल ग्रह पर बस्तियां बसाने की तैयारियां चल रही हैं, मस्तिष्क प्रत्यार्पण में सफलता पा ली गयी हो, मानव चाँद पर जाकर लौट आया हो, वहीँ दूसरी ओर इस प्रकार की कूप मंडूक मानसिकता तथा हास्यास्पद पूर्वाःग्रहों से ग्रसित लोग अपने फूहड़ एजेंडों को थोपने की नाकाम कोशिशें करते नज़र आ रहे हैं !
अफ़सोस !!
(बजरंगी भाईजान विरोधी मुझे अन्फ्रेंड कर सकते हैं, मुझे ख़ुशी होगी)
मैं सलमान खान का प्रशंसक तो नहीं मगर इस प्रकार के पूर्वाःग्रहों के खिलाफ ज़रूर हूँ, मैंने pk फिल्म के समय भी सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं देखी हैं, मोदी महोदय के साथ सलमान के पतंग उड़ाने के बाद 'जय हो' फिल्म के समय भी प्रतिक्रियाएं देखी हैं, इनमें से कई लोगों द्वारा डर्टी पिक्चर का विश्लेषण भी सोशल मीडिया पर देखा और पढ़ा है और इन दिनों बजरंगी भाईजान पर नाज़िल हो रहे इन साईबर फतवों को भी देख रहा हूँ !
हैरानी इस बात पर होती है कि कभी pk के समय बढ़ चढ़ कर लोगों को pk देखने की नसीहतें देने वाले अधिकांश लोग अब बजरंगी भाईजान के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं, यह क्या तमाशा है ?
इनका विरोध सिर्फ एक फिल्म के लिए है, चाहे आप बाहुबली देख आएं, मगर बजरंगी भाईजान ना देखें ! हास्यास्पद बात तो यह है कि यह इस फिल्म के विरोध के लिए फूहड़ तर्क देकर खुद ही उपहास का केंद्र बने हुए हैं !
फ़िल्में मनोरंजन का साधन है, यह किसी समूह के पूर्वाःग्रहों की संतुष्टि के लिए नहीं बनाई जाती हैं, हाँ यह बात अलग है कि फिल्म को कई बार मार्केटिंग के लिए विवाद का विषय बना कर लोगों का ध्यान आकर्षित करने का फंडा भी आज़माया जाने लगा है !
pk फिल्म पर तालियाँ बजाने वाले और बजरंगी भाईजान को गलियाने वाले अधिकांश लोग वही हैं जो भारत में बैन हुई फिल्म 50 Shades of Grey को यू ट्यूब पर देख कर शेखी बघार चुके हैं, डर्टी पिक्चर पर अपना विश्लेषण दे चुके हैं, और pk की तारीफ कर चुके हैं ! बजरंगी भाईजान का विरोध करने वाले लोग पहले अपने ड्राईंग रूम्स से टी.वी. उठकर फेंकें, केबल नोच डालें फिर आकर फतवेबाज़ी करें !
आज जहाँ एक ओर मंगल ग्रह पर बस्तियां बसाने की तैयारियां चल रही हैं, मस्तिष्क प्रत्यार्पण में सफलता पा ली गयी हो, मानव चाँद पर जाकर लौट आया हो, वहीँ दूसरी ओर इस प्रकार की कूप मंडूक मानसिकता तथा हास्यास्पद पूर्वाःग्रहों से ग्रसित लोग अपने फूहड़ एजेंडों को थोपने की नाकाम कोशिशें करते नज़र आ रहे हैं !
अफ़सोस !!
(बजरंगी भाईजान विरोधी मुझे अन्फ्रेंड कर सकते हैं, मुझे ख़ुशी होगी)
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