सोमवार, 7 मार्च 2016

महिला शिक्षा बिना 'नारी दिवस' या 'नारी सशक्तिकरण' अधूरा !!

आज हर साल की तरह फिर से नारी दिवस मनाया जा रहा है, जो कि एक औपचारिकता ही कही जा सकती है, नारी दिवस हर रोज़ हर महीने मनाना चाहिए, और इसकी सबसे पहली सीढ़ी है बेटियों को तालीम/शिक्षा से आरास्ता करना, तालीम माँ-बाप की ओर से बेटियों को दिया गया वो अनमोल तोहफा है, जिससे बेटियां मानसिक तौर पर सशक्त होती हैं, ज़िन्दगी में आने वाली हर मुश्किल का सामना कर सकती हैं ! ज़िन्दगी में आगे तरक़्क़ी की राह खुलती है, समाज में इज़्ज़त मिलती है !


यहाँ एक बात यह गौर करने वाली है कि बेटियों को एक जैसी शिक्षा के लिए बेटों से ज़्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, वो बेटों से ज़्यादा जद्दो जहद करती हैं, घर से बाहर निकलने से लेकर, अपनी सुरक्षा, समाज का नजरिया और बहुत कुछ झेलना पड़ता है !

शिक्षा नहीं होगी तो बेटियों का सशक्तिकरण नहीं हो पायेगा, आज भी हम जब ऐसे मौक़ों पर कुछ सोचते हैं या उदाहरण देने बैठते हैं तो हमारा ध्यान उन बेटियों/महिलाओं पर जाता है, जो अपनी शिक्षा/क़ाबलियत के दम पर नारी शक्ति का परचम लहरा रही हैं !

वो दिन मेरे लिए बहुत ख़ास होगा जब मेरी बेटियों को तालीम की वजह से पहचाना जायेगा, लोग इन्हे इज़्ज़त के साथ सलाम करेंगे, और हमें हमारी पहचान की जगह उनके नाम से पहचाना जायेगा ! वो लम्हा बहुत फख्र का होता है जब औलाद की उपलब्धियों और आला मक़ाम की वजह से माँ बाप को पहचान मिलती है !

इसलिए कोशिश कीजिये कि बेटियों को पहली सीढ़ी से ही सशक्त बनाना शुरू करें, तालीम और तरबियत से आरास्ता करें, ताकि भविष्य में कभी नारी दिवस मने तो वो बेटियां आपको याद करें, आपको सलाम करें, उस मुक़ाम तक पहुँचाने के लिए आपकी शुक्रगुज़ार रहें, दुनिया में आप रहें या ना रहें, बेटियों को आपका दिया हुआ तालीम का तोहफा महकता रहेगा !

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