होली पर लोगों ने सोशल मीडिया पर नेताओं पर खूब चुटकियाँ लीं, सोचा एक चुटकी अपनी भी सही, सो एक व्यंग्य कि यदि दीवार फिल्म के संवाद आप की अंतर्कलह पर फिट किये जाएँ तो कैसा रहे :-
(यहाँ : AK - अरविन्द केजरीवाल / YY - योगेन्द्र यादव/ PB - प्रशांत भूषण)
पहला दृश्य ~~!!
==========
AK :- पहले मैं यह जानना चाहता हूँ कि मेरे साथ कोई आपिये बात कर रहे है, या फिर कोई बवाली ?
YY/PB :- जब तक एक आपिया बोलेगा एक आपिया सुनेगा, जब एक घाघ नेता बोलेगा, दूध का दूध ...पानी का पानी करने वाला बोलेगा !
AK :- लगता है हमारे बीच जो दीवार है, वो इस यमुना ब्रिज से कहीं ऊंची है ! YY/PB तुम जानते हो कि दोनों जिस बागी रास्ते पर चल रहे हो उसका अंजाम क्या हो सकता है ?
YY/PB :- जिस रास्ते पर हम चल रहे हैं उसका अंजाम शायद बुरा भी हो सकता है, लेकिन जिस रस्ते पर तुम चल रहे हो उसका अंजाम सिर्फ बुरा ही होता है भाई AK !
AK : मैं तो अपनी बाज़ी खेल चुका हूँ, अब हारूँ या जीतूं ! लेकिन तुम्हारे पास तो अभी चाँस है, इस पार्टी के अलावा देश में और भी तो पार्टियां हैं, उन्हें ज्वाइन क्यों नहीं कर लेते ?
YY/PB :- नहीं हमारे उसूल हमारे आदर्श इसकी तनिक भी आज्ञा नहीं देते !!
AK :- उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ तुम्हारे उसूल तुम्हारे आदर्श !! किस काम के हैं तुम्हारे आदर्श तुम्हारे उसूल ? तुम्हारे सारे उसूलों को गूंध कर एक महीने का चंदा नहीं मिल सकता ! मेरे इलाज का खर्चा नहीं निकल सकता, क्या दिया है तुम्हारे उसूलों ने आदर्शों ने ? राजनैतिक विश्लेषक का तमगा, आठ दस चमचे, विद्रोही का खिताब ?? देखो इधर देखो, यह वही मैं हूँ और यह वही तुम हो, हम तीनो ने एक साथ पार्टी बनायी थी, लेकिन आज तुम कहाँ रह गए और मैं कहाँ आ गया हूँ, आज मेरे पास अंजलि दामनिया है, कुमार विश्वास है, मनीष सिसोदिया है, आशुतोष है, संजय सिंह है, मुख्यमंत्री पद है, सरकारी बांग्ला है, Z-plus सिक्योरिटी है, सरकारी गाडी है, चमचों की फ़ौज है, पार्टी का चंदा है ! क्या है तुम्हारे पास ?
YY/PB :- हमारे पास देश की जनता का समर्थन है, नैतिकता है, सिद्धांत हैं, पारदर्शिता है, सच्चाई है, और इन सबसे आगे.....हमारे पास मयंक गांधी है, जो ब्लॉग लिख लिख कर तुम्हारी नाक में दम करते रहेंगे !!
दूसरा दृश्य~~~!!
=========
=========
YY/PB :- AK से, तुम पार्टी संयोजक पद से इस्तीफे पर साइन करोगे या नहीं ?
AK :- हाँ मैं साइन करूंगा, मगर अकेले नहीं करूंगा, जाओ पहले उस आदमी के साइन लेकर आओ जिसकी वजह से मैं नौकरी छोड़ कर राजनीति की कबड्डी खेलने को मजबूर हो गया, जाओ पहले उन लोगों के साइन लेकर आओ जिन्होंने मेरे माथे पर यह ठप्पा लगा दिया कि मैं ही एक मात्र राष्ट्रिय ईमानदार हूँ, उसके बाद मेरे भाइयों तुम दोनों जिस कागज़ पर कहोगे मैं साइन करूंगा !
YY/PB :- दूसरों को घाघ नेता कहने से यह सच्चाई नहीं बदल जाती AK भाई कि अब तुम भी पूरे घाघ नेता बन चुके हो, और यही सच्चाई तुम्हारे हमारे बीच एक दीवार है, और जब तक यह दीवार है, हम तीनो एक पार्टी में नहीं रह सकते, हम PAC से जा तो रहे हैं, मगर अब जो रायता फ़ैल चुका है, उसे कैसे समेटोगे ??
(व्यंग्य मात्र है, किसी की भावनाओं को आहत करने का उद्देश्य बिलकुल नहीं है)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें