बुधवार, 15 अप्रैल 2015

राजनीति और क्रिकेट एक सामान ??

राजनीति और क्रिकेट एक सामान हो चली है, जहाँ मोदी का मंदिर बनाकर उनकी मूर्ती को मंदिर में स्थापित किया गया है, वहीँ दूसरी ओर सचिन को उसके प्रशंसकों द्वारा क्रिकेट का भगवान घोषित कर देश पर थोप दिया गया है , भले ही बाक़ी देश वासी इससे सहमत हों या ना हों, दूसरी ओर धोनी के भक्तों ने धोनी को विष्णु अवतार में दिखाने वाला पोस्टर ही जारी कर दिया था, उस वाले पोस्टर पर भी विवाद खड़ा हो गया था, और उनकी गिरफ्तारी वारंट तक निकल गए थे !


अब हाल यह हो गया है की राजनीति और क्रिकेट एक दूसरे के पूरक हो चुके हैं, लोगों के इस जूनून को बाजार और राजनीति जमकर बेच रहे है, जैसे नेताओं की हर दौर में चांदी है, ठीक उसी तरह क्रिकेट खिलाडियों की चांदी है, न सिर्फ चांदी है बल्कि रोकड़े का अम्बार लगा हुआ है, और इसमें कार्पोरेट मीडिया बड़ा रोल अदा कर रही है, देश का राष्ट्रिय खेल हॉकी और देश के परंपरागत खेल अपने ही घर में उपेक्षित और बदहाल आखरी साँसे गिन रहे हैं, भले ही हाल ही में हॉकी लीग जैसे आयोजनो से राष्ट्रिय खेल को ऑक्सीजन ज़रूर मिली हो, मगर फिर भी उसका वो सम्माननीय स्तर नहीं है, जो क्रिकेट को मिला हुआ है ! इसमें महिला हॉकी की हालत तो और भी खस्ता है ! 


खैर....... राष्ट्रवाद का तक़ाज़ा है ...वर्ल्ड कप क्रिकेट भी चालू है, सो किरकेट की जय जय कार करते रहिये, वरना आप की राष्ट्रभक्ति पर उँगलियाँ उठते देर नहीं लगेंगी ! सचिन की जय, धोनी की जय, विराट की जय !

BCCI की क्रिकेट टीम ज़िंदाबाद !!  पाकिस्तान मुर्दाबाद !! 

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