फेसबुक पर कई लोग फ्रेंड रिक्वेस्ट इसलिए भेजते हैं कि वो हमारी किसी पोस्ट या स्टेटस को पसंद करते हैं, या लिखे गए किसी नोट या शेरो शायरी को पसंद करते हैं, तो कुछ लोग फ्रेंड रिक्वेस्ट सिर्फ और सिर्फ इसलिए भेजते हैं कि हम उनकी पोस्ट पढ़ें ... न कि वो हमारी, कुछ लोग फ्रेंड रिक्वेस्ट इसलिए भेजते हैं कि वो हमें टैग कर सकें, तो कुछ लोग फ्रेंड रिक्वेस्ट इसलिए भेजते हैं कि पोस्ट चोरी कर सकें, तो कुछ लोग फ्रेंड रिक्वेस्ट इसलिए भेजते हैं कि कुछ खुफियापंथी कर सकें ! ऐसे कुछ खुफियापंथी करने वाले लोग फ्रेंड रिक्वेस्ट न भजेकर फॉलोवर्स भी बनते देखे गए हैं, मैंने ही 300 से ज़्यादा फॉलोवर्स से छुटकारा पाया है !
कुछ लोग सिर्फ फ्रेंड रिक्वेस्ट इसलिए भेजते हैं कि उनकी फ्रेंड लिस्ट लम्बी हो सके, और कुछ लोग सिर्फ फोटो या नाम देखकर भी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं.....मगर सिर्फ महिलाओं की ! कुछ लोग फ्रेंड रेक्वेस्ट्स सिर्फ इसलिए भेजते हैं कि हमें दोस्त बनते ही पकड़ कर किसी ग्रुप में ठेल दें ! वैचारिक आदान प्रदान के लिए ही दोस्त बनाने वालों का प्रतिशत यहाँ दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है !
इसका बड़ा कारण यही है कि कोई भी नया फेसबुक यूज़र महीने भर में स्वघोषित सेलिब्रिटी हो जाता है, जैसे जैसे दोस्तों (समर्थकों) की संख्या बढ़ती जाती है, उनमे सेलिब्रिटी पन आने लगता है, उनका फेसबुकिया व्यवहार बदलने लगता है, ऐसे ही कुछ सेलिब्रिटी टाइप लोग फ़ौरन ही अपना पेज या ग्रुप बना लेता है, जहाँ उसे सदस्यों के बीच पूर्ण संतुष्टि की प्राप्ति होती है ! जैसे जैसे दोस्तों की संख्या बढ़ती जाती है.....उनके कॉलर ऊंचे होते जाते हैं...लोग उनकी एक like के लिए तरस जाते हैं, कमेंट तो बहुत दूर की बात हो जाती है !!
यही एक आम फेसबुकिये दस्तूर हो चला है, इसमें फेसबुक के पीछे का मनोविज्ञान ही काम करता है, यूज़र तो एक खिलौना बन कर अपना किरदार निभाता रहता है !
इन सबके बाद और इस फेसबुकिये दस्तूर से अछूते और शेष बचे खुचे लोग......अपने दोस्तों के सहारे लोग फेसबुक पर अपनी महफ़िलें सजाने की कोशिश करते देखे जाते हैं !!
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