बुधवार, 3 अक्तूबर 2012

दीदी तेरा तेवर पुराना~~~~~!!


टाटा मोटर्स के नैनो कार के प्लांट को बंगाल से बाहर कर देने वाली ममता बेनर्जी को अर्थ व्यवस्था की शायद ABCD भी नहीं मालूम...  अपने सनकी व झक्की स्वभाव और तुनुकमिजाजी के लिए ख्यात ममता बनर्जी ने एक बार फिर केन्द्र की यूपीए गठबंधन की सरकार को परेशानी में डाल दिया है। देश के संसदीय इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि रेलमंत्री द्वारा संसद में बजट पेश करने के बाद मंत्री के ही अपने दल ने न केवल बजट का विरोध किया बल्कि प्रधानमंत्री को उसे हटाने के लिए भी कह दिया। ‘गरीबों की मसीहा’ तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यह नहीं चाहती कि रेल के किराये में तनिक भी वृध्दि हो जिससे गरीबों पर बोझ बढ़े। ऐसा प्रतीत होता है कि ममता बनर्जी को इस बात की कोई परवाह नहीं है कि रेलवे की खस्ता आर्थिक हालत को कैसे सुधारा जाये।  पिछले 9 वर्ष से रेल किराये में कोई वृध्दि नहीं हुई। लालू यादव और स्वयं ममता बनर्जी ने सस्ती वाहवाही लूटने के लिए लोक लुभावन बजट पेश करने की मानसिकता के कारण रेल किराये में कुछ भी वृध्दि करने की कोई आवश्यकता नहीं समझी। लालू यादव के समय रेलवे को भारी मुनाफा होने का जो दावा किया गया था वह लेखाविधि का छलयोजन और धोखाधड़ी था, यह बाद में उजागर हो गया। खैर बेचारे दिनेश त्रिवेदी जी की बलि तो ले ली गयी....और शायद अब TMC पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया जाए....!

ममता स्वभाव से निरंकुश हैं और अपनी पार्टी की सर्वेसर्वा हैं। अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिए वह कोई भी निर्णय ले सकती हैं। उनकी पार्टी में कोई सिर उठाकर नहीं चल सकता। मजेदार बात यह है कि उनकी पार्टी के एक नेता और केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री सुलतान अहमद ने बजट का स्वागत करते हुए कहा कि बिना धनराशि का जुगाड़ किये रेलवे का विश्वस्तरीय आधारतंत्र तैयार नहीं किया जा सकता। लेकिन जैसे ही उन्हें मालूम हुआ कि ममता ने किराया वृध्दि का विरोध किया है वह एकाएक पलट गये। क्या ममता बनर्जी यह बतायेंगी कि रेलवे को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए ? ममता बनर्जी केन्द्र सरकार को जिस प्रकार बार-बार डिक्टेशन दे रही हैं उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस से उनका रिश्ता जल्दी ही टूट सकता है। प्राप्त संकेतों के अनुसार कांग्रेस नेता मुलायम सिंह यादव से बात कर रहे हैं ताकि 19 सांसदों की तृणमूल पार्टी के स्थान पर उन्हें 22 सांसदों की समाजवादी पार्टी का समर्थन मिल जाये। मुलायम भी चाहेंगे कि केन्द्र में वह अपना रुतबा बढ़ावें। ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय राजनीति में जल्दी ही कुछ परिवर्तन होंगे...बिसात पर गुणा भाग जारी है..!!

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