सादर नमस्कार, जी हाँ मैं जूता हूँ, मुझे भला कौन नहीं जानता ? हिंदी में जूता , अंग्रेजी में Shoes , पंजाबी में ਸ਼ੂਜ਼ (जुत्त ) , जापानी में दोसोकू , संस्कृत में पादुका ! मानव शिशु जब संभल कर माँ बाप की ऊँगली पकड़ कर चलना सीखता है, तभी से अपनी ड्यूटी पर लग जाता हूँ, और तभी से मैं इंसान का साथी बन जाता हूँ, उसके शरीर का बोझ उठता हूँ, धूल हो या कीचड, पहाड़ हो या तलहटी, मौत हो या ज़िन्दगी, बस का सफर हो या ट्रैन का, हवाई यात्रा हो या समुद्री यात्रा, मंगल ग्रह की यात्रा हो या चन्द्रमा की, मैं हर जगह सदा मानव के साथ रहा हूँ, उसके रास्ते को कष्टकारी होने से बचाता हूँ, लोग मुझे सिर्फ सोते समय मुझे परे करते हैं !
मेरी महिमा भी कम नहीं है, आप मेरे ईराक़ी भाई को ही ले लीजिये जो ईराक़ी पत्रकार मुन्तज़र अल ज़ैदी के पाँवों की शोभा बढ़ा रहा था, और जब वो पाँव से निकल कर बुश की तरफ दौड़ा तो पूरे विश्व में उसकी शौहरत का डंका बज गया, अपुष्ट ख़बरों के अनुसार अब वो जूते संग्रालय की शान बढ़ा रहे हैं, इसी परंपरा को भारत में भी अपनाने की होड़ लग गयी थी, फिर तो हर कोई जब जी में आये हमें किसी भी नेता पर उछाल दिया करता था, चाहे वो पी चिदंबरम पर वर्ष 2009 में जूता फेंकने वाले पत्रकार जरनैल सिंह हो या प्रकाश सिंह बादल पर जूता फेंकने वाले, या फिर राहुल गांधी की सभा में जूता उछालने वाले, या फिर हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की जनसभा में जूता उछालने वाले, सभी को एक चस्का लग गया, और इस परंपरा को आगे बढ़ाने में जुट गए, भले ही हमारी यह उछाला उछाली कई बार राजनैतिक दलों द्वारा स्पांसर ही क्यों न की गयी हो !
और यह हम ही हैं जिसे हैदराबाद से लाने के लिए मायावती का वायुयान एक ऑफिसर और दो सुरक्षा गार्ड के साथ लखनऊ से उड़ान भरता था, और यह हम ही हैं जिसके बेहद शौक़ के कारण तमिलनाडु में तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता और उसकी सखी को सत्ता से उखाड़ फैंका गया था, आज भी लोग मज़ाक में जयललिता के जूता प्रेम का ज़िक्र कर ही देते हैं ! और यह वही नेताओं का जूता है जिसे नेताओं को पहनाते या जिसके फीते बांधते कई प्रशासनिक अधिकारियों के फोटो कई बार मीडिया में नज़र आते हैं, हाल ही में गुजरात के सीमाई इलाके के दौर पर गये गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सेना के जवान से अपने जूते का फीता बंधवाया था !
हम कितने ही जर्जर क्यों न हो जाएँ मानव के काम आते ही रहते हैं, मेरे मालिक मेरी खस्ता हालत होता देख घर से बहार फेंक देता है तो भी मैं किसी और गरीब मानव के काम अवश्य आता हूँ, मेरी भी कई प्रजातियां हैं, जैसे कुछ चमड़े के घराने के, तो कुछ फाइबर के घराने के, तो कुछ प्लास्टिक के घराने के, और वैश्विक स्तर पर हमें कई बिरादरियों में बाँट दिया गया है, जैसे Adidas , Nike , Puma , और भारत में बाटा से लेकर लखानी तक, और लिबर्टी से लेकर केम्पस और मेट्रो शूज़ तक !
मगर यहाँ अंत में आकर हम जूतों को एक बात से बहुत संतुष्टि है और गर्व है कि आप मानवों की संगत में लगातार रहते हुये भी हमने खुद को आपकी सभ्यता से बचा कर रखा. हमारे लिये क्या हिन्दू, क्या मुसलमान, क्या सिख और क्या ईसाई, सब एक हैं. हम सबकी एक समान ही नि:स्वाथ सेवा करते हैं, और सेवा करते हुए अपने आपको होम कर देते हैं !!
(Śỹëd Äsîf Älì)
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