भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस लड़ाई के आयाम, कोण और दिशायें पूर्ण रूप से केवल भ्रष्टाचार के ही खिलाफ होना चाहिये न कि किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ या किसी राजनीतिक दल विशेष के खिलाफ , भ्रष्टाचार वहॉं भी है जहॉं भाजपा की या अन्य गैर कांग्रेसी दलों की सरकारें हैं , लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की दिशा बदल कर जब कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई में बदल जाती है तो भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाया जाने वाला हर आंदोलन चाहे वह सामाजिक आंदोलन ही क्यों न हो दूषित होकर उसमें खोट आ जाता है और तब वह आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ न होकर कांग्रेस के या सरकार के या संसद के खिलाफ आंदोलन में परिणित हो जाता है...! तब ऐसा आंदोलन राजनीतिक आंदोलन में स्वत: परिणित हो जाता है और खुद ब खुद ही ध्वस्त हो जाता है , रामदेव हों या अन्ना हों ... जब तक सामाजिक जमीन पर रहे .. आंदोलन की दिशा सामाजिक बनाये रखे रहे तब तक इनके आंदोलन जीवित बने रहे, लेकिन जैसे ही इनके आंदोलनों में राजनीतिक मिश्रण प्रारंभ हुआ और इनकी लड़ाईयॉं भ्रष्टाचार से हट कर राजनीतिक लड़ाई में तब्दील हुयीं, तैसे ही इनके आंदोलन और इन लोगों के वजूद भी ध्वस्त हो गये.... देश बनाम भ्रष्टाचार और आंदोलन बनाम कांग्रेस में बहुत फर्क है ... दूसरी बात जो भी भ्रष्टाचार की लड़ाई के फौजी खुद ही तीन पॉंच करने काले पीले नीले हरे करने के काम में लिप्त हो यह देश उसका साथ कतई नहीं देगा ...!!
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