अप्रैल' 2011 में जब समाजसेवी अण्णा हजारे भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने दिल्ली के जंतर-मंतर गए और उनके तथाकथित आमरण अनशन के समर्थन में हजारों लोगों की भीड़ जमा हो गई तो मीडिया के एक वर्ग ने इस आंदोलन की तुलना इजिप्ट के तहरीर चौक क्रांति से की थी।सोशल नेटवर्किंग मीडिया के उस वर्ग ने अण्णा के आंदोलन में जितना बखूबी सदुपयोग किया गया उससे भी अण्णा लीला और जास्मिन क्रांति का साम्य दिखाना स्वाभाविक था। जिस रिकी पटेल ने इजिप्त, जॉड्रन और ट्यूनीशिया में सोशल मीडिया का उपयोग किया था वही रिकी पटेल अण्णा हजारे की अनशनलीला में भी योगदान कर रहा था। यह दुर्दशा अकेले जंतर-मंतर की मौखिक क्रांति की ही नहीं है, बल्कि अरब की जास्मिन क्रांति भी विफलता का सामना कर रही है। जब अण्णा ‘मौन व्रत’ पर थे ठीक उसी समय जास्मिन क्रांति के भूक्षेत्र अरब में महत्वपूर्ण घटनाएं हुई।
तहरीर चौक की क्रांति के साथ ही लीबिया में शुरू हुई बगावत में छिड़े युद्ध में कर्नल मुअम्मर गद्दाफी अपने गृह नगर सिरते में मारे गए। गद्दाफी के बाद सऊदी अरब के 86 वर्षीय राजकुमार की मौत और ट्यूनीशिया में चुनाव सम्पन्न हुए। जास्मिन क्रांति में शामिल सीरिया में बशर-अल-असद की सत्ता के खिलाफ हिंसा का दौर जारी है, यमन अराजकता के अंधड़ से मुकाबिल है। इजिप्त तहरीर चौक की क्रांति पर पछता रहा है। आठ माह पुरानी क्रांति घायल, रक्तरंजित और भ्रमित है, विशेषकर बड़े पैमाने पर अब अलोकप्रिय है। कोई नहीं जानता कि इसका नियंत्रा किसके पास है? शक है कि यह सचमुच क्रांति थी या सैनिक तख्तापलट। अधिकांश इजिप्तवासी निराश और खौफजदा हैं।होस्ने मुबारक को हटाना सेना को तो मुबारक हुआ है, जनता को नहीं। अमेरिका के पैसों पर पलने वाली सेना अब वहां आम निहत्ते नागरिकों का क़त्ले आम कर रही है...कुछ दिनों पहले पूरे विश्व में मिश्री सेना द्वारा सरे आम एक महिला को निर्वस्त्र कर जूते लातों से निर्ममता से पीटने का विडियो और समाचार प्रकाशित हो चुके हैं...तहरीर चौक रो रहा है...उधर बहरीन में जास्मिन क्रांति विफलता का स्वाद चख चुकी है। अब मुंबई में जनलोकपाल पर हुए असफल आन्दोलन के बाद ....केवल असफलता के समाचार निकल कर आ रहे हैं... टीम अन्ना के निरंकुश बर्ताव ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है...जिस टीम ने कभी अपने मंच से उमा भारती को चढ़ने नहीं दिया था...जिस ने रामदेव से परहेज़ किया था...अब वही टीम अन्ना के सदस्य ...रामदेव की शरण में जा रहे हैं...उन रामदेव की ...जिनका काला धन मुद्दा...हाशिये पर पड़ा है...बाबा काले धन पर जोर लगाएं.....या जनलोकपाल पर......कुल मिलकर ...देखा जाए....तो तहरीर चौक की क्रान्ति से लेकर....लीबिया, यमन, ट्यूनिसिया, सीरिया...की प्रायोजित क्रांतियों के साथ जनलोकपाल आन्दोलन का हश्र भी लगभग...एक जैसा ही हो चुका है.....!!
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