बाबा रामदेव के रामलीला मैदान के फाइव स्टार अनशन के इंतजाम पर कुल 18 करोड़ रुपए खर्च हुए थे .. बाबा ने सिर्फ मैदान के भाड़े पर करीब सवा 2 करोड़ रुपए खर्च किए थे । ठीक इधर अन्ना हजारे के मुंबई अनशन का हश्र है...यहाँ उनके अनशन के लिए एमएमआरडीए मैदान के लिए 3.5 लाख रुपए प्रति दिन के किराए और 17 लाख रूपये अग्रिम पर बुक कराया था...भले ही बाद में कुछ कमी बेशी हुई हो.....यह केवल उनके मुंबई स्थित एमएमआरडीए मैदान वाले अनशन का ही खर्चा है...(इसके पहले के अनशन और तामझाम अलग हैं.)..और यह तो मूल खर्चा है...जो कि सामने है....इसके अतिरिक्त ऐसे बड़े ताम झाम में और भी सैंकड़ों प्रकार के खर्चे आते हैं...इसमें टेंट से लेकर...पानी बिजली...बसों कि व्यवस्था सहित और भी कई मद ऐसे हैं...जो कि ऐसे विशाल आयोजनों में बहुत ही ज़रूरी होते हैं...उनका खर्चा भी काफी बड़ा होता है...अब चाहे मोदी का सद्भावना उपवास हो...जिसमें तीन दिनों के इस सद्भावना उपवास में 60 करोड़ से अधिक का खर्च बैठा था...जिस हॉल में यह उपवास आयोजित किया गया था उसका किराया पांच लाख रुपये प्रतिदिन था ..10 से 12 हजार पुलिसकर्मी, 4 त्वरित कार्रवाई दल, 2 चेतक कमांडो टीम, 9 एसआरपीएफ कमांडो, 10 आईपीएस अधिकारी, एसपी स्तर के 20 अधिकारी सद्भावना उपवास स्थल पर बैठे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में तैनात किये गए थे. इसके अलावा 50 सीसीटीवी कैमरे, 35 छोटे कैमरे, ग्राउंड में 10 वॉच टावर, 2000 कार पार्किंग वीआईपी के लिए, दो से चार हजार कारें, आठ से 10 हजार बाइक और 1500 भारी वाहन जीएमडीसी ग्राउंड में बनाए गए थे. मेडिकल टीम में 10-15 फिजिशियन, एनेसेथेसिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, टेक्नीशियन, मोबाइल आईसीयू चौबीसों घंटे तैनात. 10 प्लाज्मा टीवी, पांच एलईडी टीवी और कई बड़ी स्क्रीन ताकि नरेंद्र मोदी लोगों को करीब से दिखाई देते रहें..!
हैरान है देश की जनता....कि .गाँधी के देश में गाँधी के अस्त्र ...अनशन और उपवास को इन हाई प्रोफाइल आन्दोलनकारियों और अनशन कारियों ने किस रूप में परिवर्तित कर दिया..है , यह सारा देश और देश की जनता देख देख कर हैरान है, लाखों ..करोड़ों रुपयों की यह रेलम पेल क्यों ? क्या बिना पैसे या इतने बड़े ताम झाम के बिना अनशन और उपवास नहीं हो सकता...विरोध नहीं हो सकता...? यह आधुनिक और डिज़ाईनर अनशनकारी और आन्दोलनकारी... इन करोड़ों ..लाखों रुपयों को पानी की तरह क्यों बहा रहे हैं...? इन करोड़ों ..लाखों रुपयों का स्त्रोत क्या है....? यह कैसे अनशन, कैसे आन्दोलन और कैसे उपवास हैं...? गाँधी जी ने तो कभी ऐसा नहीं किया था...!यह विरोध की अभिव्यक्ति का कौनसा नया प्रकार उभर कर सामने आ रहा है....? और अब जिस प्रकार के यह ताम झाम वाले अनशन, उपवास और आन्दोलन और एकएक चकाचौंध भरे शो की तरह धूम धडाके के साथ..एक TRP और दर्शकों से भरे मैदान के साथ शुरू तो होते हैं...मगर जल्दी ही अपना आधार भी खो बैठते हैं....इसके पीछे जो मूल कारण हैं....उन से यह आन्दोलनकारी, अनशनकारी, और उपवास करने वाले भी भली भाँती पर्रिचित हैं...फिर भी उन कारणों का निवारण नहीं कर रहे हैं.....? यह और भी अचरज की बात है....मगर इससे एक हानि यह हो रही है...की आम जनता में इन आंदोलनों, उपवासों और अनशनो की पृष्ठभूमि, उद्देह्श्य, आधार और नीयत पर संदेह बढ़ता ही जा रहा है...क्योंकि यह सब बीच रास्ते में दम तोड़ते नज़र आये हैं....और दूसरी हानि भविष्य में यदि कोई सार्थक और नेकनीयत से आन्दोलन करने आगे आएगा...तो उसके लिए हर बार की तरह जनता बाहर निकलने में बहुत संकोच करेगी....जो की इस गाँधी के इस अस्त्र और शानदार परिपाटी के लिए और साथ ही लोकतान्त्रिक व्यवस्था की शुद्धिकरण के लिए बहुत ही नुकसानदेह साबित होगा.....!!
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