कल परसों आतंकवाद पर एक बयान निकल कर आया, अब वो
सिर्फ बयान था, खुलासा था, खबर थी या फिर मजबूरी थी, यह समझ नहीं आ रहा,
मगर इससे एक बात तो पता चली कि अब आतंकवाद के भी कई रंग हो गए हैं, पहले भी
कोई रंग था पता नहीं, अब जब यह बयान बाहर आया है तो पता चला कि आतंकवाद भी
अब रंग रंगीलो हो गयो है, मगर यह बयान क्या सिर्फ एक खबर मात्र है या कुछ
और ?
यह खबर है या खुलासा है, या सिर्फ बयान है? या फिर मजबूरी ? तुष्टिकरण या राजनैतिक हथकंडा भी हो सकता है, कोई नया पैंतरा भी हो सकता है, या फिर सच भी हो सकता है, मगर सूचना क्रांति के इस दौर में कुछ भी छिपा नहीं है, देश के बाहर और अन्दर हुई हर बड़ी आतंकवादी घटनाओँ और बम ब्लास्ट के कारण और नतीजे खुले तौर पर मौजूद हैं। और इनमें हुई गिरफ्तारियाँ भी सब को पता हैं, किस रंग के आतंकवाद में कौन गिरफ्तार हुआ है ..देश जानता है, और क़ार्रवाहियाँ चल भी रही है।
अब ऐसे में जब यह बयान बाहर आया है तो हैरानी होती है कि इस का मंतव्य क्या है ? यदि सबूत हैं तो देश के सामने लाये जाएँ, और इनमें लिप्त लोगों या संगठनो पर फ़ौरन कार्रवाही की जाए, यह आतंकवाद किसी भी रंग का हो वो न केवल देश की एकता, अखंडता और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए खतरनाक है बल्कि यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी बहुत ही घातक है , इससे किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाना चाहिए, और ना ही देरी की जानी चाहिए, और ना ही इस झुनझुने को और बजाना चाहिए। और यदि ऐसा नहीं होता है, तो यह बहुत ही शर्मनाक बात होगी, देश ऐसे राजनेताओं को कभी माफ़ नहीं करेगा। अब तीर (बयान) कमान से निकल चुका है, इसका अंजाम जो भी हो ...मगर यही दुआ करते हैं कि कोई रंग बदनाम नहीं होने पाए, कोई धर्म बदनाम नहीं होने पाए ..इसी आशा के साथ।
( )
यह खबर है या खुलासा है, या सिर्फ बयान है? या फिर मजबूरी ? तुष्टिकरण या राजनैतिक हथकंडा भी हो सकता है, कोई नया पैंतरा भी हो सकता है, या फिर सच भी हो सकता है, मगर सूचना क्रांति के इस दौर में कुछ भी छिपा नहीं है, देश के बाहर और अन्दर हुई हर बड़ी आतंकवादी घटनाओँ और बम ब्लास्ट के कारण और नतीजे खुले तौर पर मौजूद हैं। और इनमें हुई गिरफ्तारियाँ भी सब को पता हैं, किस रंग के आतंकवाद में कौन गिरफ्तार हुआ है ..देश जानता है, और क़ार्रवाहियाँ चल भी रही है।
अब ऐसे में जब यह बयान बाहर आया है तो हैरानी होती है कि इस का मंतव्य क्या है ? यदि सबूत हैं तो देश के सामने लाये जाएँ, और इनमें लिप्त लोगों या संगठनो पर फ़ौरन कार्रवाही की जाए, यह आतंकवाद किसी भी रंग का हो वो न केवल देश की एकता, अखंडता और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए खतरनाक है बल्कि यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी बहुत ही घातक है , इससे किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाना चाहिए, और ना ही देरी की जानी चाहिए, और ना ही इस झुनझुने को और बजाना चाहिए। और यदि ऐसा नहीं होता है, तो यह बहुत ही शर्मनाक बात होगी, देश ऐसे राजनेताओं को कभी माफ़ नहीं करेगा। अब तीर (बयान) कमान से निकल चुका है, इसका अंजाम जो भी हो ...मगर यही दुआ करते हैं कि कोई रंग बदनाम नहीं होने पाए, कोई धर्म बदनाम नहीं होने पाए ..इसी आशा के साथ।
( )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें