अप्रेल 2011 को जब भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना का
आन्दोलन आरम्भ हुआ तो जनता ने भरपूर समर्थन दिया..." मैं अन्ना हूँ " लिखी
अन्ना टोपियाँ हर जगह नज़र आने लगी...लोग " मैं अन्ना हूँ " की टोपी पहन कर
अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते थे... कई अनशनो और चरणों के बाद इसका
अंतिम चरण केजरीवाल के आमरण अनशन और उसके बाद तेज़ी से घटित एक के बाद एक
घटनाक्रमों ने अचानक से इस आन्दोलन की सार्थकता और अस्तित्व पर प्रश्न
चिन्ह लगाना शुरू कर दिए !
अपने अंतिम चरण में केजरीवाल के असफल अनशन के पश्चात अन्ना द्वारा आन्दोलन ख़त्म करने और राजनितिक पार्टी बनाने की घोषणा करने के बाद से जो नया विवाद उठा है..अब थमने का नाम नहीं ले रहा, अन्ना से अलग होने तथा केजरीवाल द्वारा राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा के बाद..और दिल्ली में उनके धरने प्रदर्शन के दौरान एक नयी टोपी नज़र आयी...जिस पर लिखा था..." मैं अरविन्द हूँ " ..उस धरने प्रदर्शन में " मैं अन्ना हूँ " की टोपी गायब हो गयी थी... यहाँ तक कि टीम केजरीवाल के एक सदस्य ने जब जी.टी.वी. के संवाददाता के सामने " मैं अन्ना हूँ " की टोपी पहने कुछ कहने की कोशिश की तो...दूसरे सदस्य ने उसकी मैं अन्ना हूँ " की टोपी उतारने का इशारा किया, और उसने झट से टोपी उतार कर जेब में रख ली....!
इस समय अन्ना समर्थकों के लिए बड़े ही असमंजस की स्थिति है....क्योंकि " मैं अरविन्द हूँ " की टोपी ने " ...मैं अन्ना हूँ " की टोपी से ओवरटेक कर लिया है...और बड़ी ही तेज़ी से रेस में आगे निकलने की कशमकश जारी है...इसी कशमकश को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी बड़े ही विचित्र और हास्यास्पद ढंग से देखा जा रहा है, अन्ना समर्थक कभी तो प्रोफाइल में अन्ना का फोटो लगाते हैं, कभी केजरीवाल का....ओवरटेकिंग के हिसाब से फोटो अपना स्थान लेते रहते हैं... लगता है कि अन्ना समर्थक अपनी एक जेब में " मैं अरविन्द हूँ " की टोपी रखते हैं...और दूसरी जेब में " मैं अन्ना हूँ " की टोपी...जैसा मौसम वैसी टोपी...!
मगर अब एक नयी टोपी भी 2 अक्टूबर को केजरीवाल की घोषणा सभा में नज़र आयी है...और यह टोपी दोधारी है...यानी इसके एक और लिखा है..." मैं जनलोकपाल हूँ " और दूसरी और लिखा है..." मैं आम आदमी हूँ " ..यानी इस नयी टोपी ने पिछली दोनों टोपियों को भी ओवरटेक कर लिया है..अब यह अन्ना समर्थकों के लिए एक नया सर दर्द हो गया कि कि इस तीसरी टोपी को कौनसी जेब में रखें...दो टोपियाँ पहले से ही उनकी जेब में पड़ी हैं....यही नहीं अब तो बेचारा आम आदमी भी इस नयी दोधारी टोपी को देख कर परेशान है..उसे समझ नहीं आ रहा है कि केजरीवाल ने आम आदमी की टोपी पहनी है...या उसने आम आदमी को टोपी पहना दी है....क्योंकि जिस आन्दोलन के लिए आम आदमी अपने घरों से निकल कर सड़कों पर सैलाब की शक्ल में समर्थन देने निकला था...वो आन्दोलन इन टोपियों की ओवर टेकिंग में कहीं पीछे ...बहुत पीछे छूटता नज़र आ रहा है...!!
अपने अंतिम चरण में केजरीवाल के असफल अनशन के पश्चात अन्ना द्वारा आन्दोलन ख़त्म करने और राजनितिक पार्टी बनाने की घोषणा करने के बाद से जो नया विवाद उठा है..अब थमने का नाम नहीं ले रहा, अन्ना से अलग होने तथा केजरीवाल द्वारा राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा के बाद..और दिल्ली में उनके धरने प्रदर्शन के दौरान एक नयी टोपी नज़र आयी...जिस पर लिखा था..." मैं अरविन्द हूँ " ..उस धरने प्रदर्शन में " मैं अन्ना हूँ " की टोपी गायब हो गयी थी... यहाँ तक कि टीम केजरीवाल के एक सदस्य ने जब जी.टी.वी. के संवाददाता के सामने " मैं अन्ना हूँ " की टोपी पहने कुछ कहने की कोशिश की तो...दूसरे सदस्य ने उसकी मैं अन्ना हूँ " की टोपी उतारने का इशारा किया, और उसने झट से टोपी उतार कर जेब में रख ली....!
इस समय अन्ना समर्थकों के लिए बड़े ही असमंजस की स्थिति है....क्योंकि " मैं अरविन्द हूँ " की टोपी ने " ...मैं अन्ना हूँ " की टोपी से ओवरटेक कर लिया है...और बड़ी ही तेज़ी से रेस में आगे निकलने की कशमकश जारी है...इसी कशमकश को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी बड़े ही विचित्र और हास्यास्पद ढंग से देखा जा रहा है, अन्ना समर्थक कभी तो प्रोफाइल में अन्ना का फोटो लगाते हैं, कभी केजरीवाल का....ओवरटेकिंग के हिसाब से फोटो अपना स्थान लेते रहते हैं... लगता है कि अन्ना समर्थक अपनी एक जेब में " मैं अरविन्द हूँ " की टोपी रखते हैं...और दूसरी जेब में " मैं अन्ना हूँ " की टोपी...जैसा मौसम वैसी टोपी...!
मगर अब एक नयी टोपी भी 2 अक्टूबर को केजरीवाल की घोषणा सभा में नज़र आयी है...और यह टोपी दोधारी है...यानी इसके एक और लिखा है..." मैं जनलोकपाल हूँ " और दूसरी और लिखा है..." मैं आम आदमी हूँ " ..यानी इस नयी टोपी ने पिछली दोनों टोपियों को भी ओवरटेक कर लिया है..अब यह अन्ना समर्थकों के लिए एक नया सर दर्द हो गया कि कि इस तीसरी टोपी को कौनसी जेब में रखें...दो टोपियाँ पहले से ही उनकी जेब में पड़ी हैं....यही नहीं अब तो बेचारा आम आदमी भी इस नयी दोधारी टोपी को देख कर परेशान है..उसे समझ नहीं आ रहा है कि केजरीवाल ने आम आदमी की टोपी पहनी है...या उसने आम आदमी को टोपी पहना दी है....क्योंकि जिस आन्दोलन के लिए आम आदमी अपने घरों से निकल कर सड़कों पर सैलाब की शक्ल में समर्थन देने निकला था...वो आन्दोलन इन टोपियों की ओवर टेकिंग में कहीं पीछे ...बहुत पीछे छूटता नज़र आ रहा है...!!
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