प्लेसिबो ( Placebo ) एक लेटिन शब्द है...जिसका अर्थ होता है..."I will please" इसका सबसे पहले औषधीय प्रयोग 18 वीं शताब्दी में हुआ था....आधुनिक चिकित्सा पद्धति मे इसे Faith Healing अर्थात यकीन आधारित उपचार का एक अंग माना गया है। मानसिक रोगो के उपचार मे भी इसका काफी उपयोग होता है। इसकी विस्तृत साइंटिफिक व्याख्या बहुत लम्बी है...इस प्लेसिबो ट्रीटमेंट (यानि दवा रहित गोलियो या इसी तरह का उपचार) का प्रयोग आधुनिक शोधो मे भी होता है। आधुनिक चिकित्सा पद्ध्तियो मे ऐसी गोलियाँ सफलतापूर्वक उपयोग की जा रही है। यह बहुत ही हैरत की बात है कि कैसे बिना दवा के रोगी ठीक हो जाता है या उसे लाभ पहुँचता है। इसका मतलब यह हुआ कि उसका अपना ‘विश्वास’ बहुत बडा काम करता है। एक रिपोर्ट के अनुसार 60% लोगों को प्राइवेट प्रेक्टिशनरों ने Prescriptions ही गलत लिखे थे लेकिन मरीज़ फिर भी अच्छे हो गए .जब डॉ कहता है "चिंता न करो ,तीन चार दिन में बिलकुल ठीक हो जावोगे "तो यह आश्वस्ति ही प्लेसिबो बन जाती है ..आपने इसी ‘विश्वास’ के असर की झलक मुन्ना भाई एमबीबीएस मे भी देखी होगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि दवाओं का असर तब और ज्यादा होता है जब मरीज को उन दवाओं पर भरोसा हो।
यूरोप में एक हज़ार लोगों पर प्रयोग किया गया वो सर्दी-जुकाम से पीडित थे। उनमें से कुछ लोगों को कोई दवा नहीं दी गई और कुछ लोगों को यूं ही कुछ खाली केप्सूलों में ग्लूकोज़ दिया गया । शोधकर्ताओं ने पीडितों को बताया कि उन्हें सदी-जुकाम से निजात दिलाने के लिए नया एंटी बायोटिक्स दिया जा रहा है। कुछ दिन बाद देखा गया कि जिन मरीजों को खाली केप्सूलों में ग्लूकोज़ दिया गया था वो जल्दी ठीक होने लगे...और जिनको कोई दवा नहीं दी गयी वो बीमार ही रहे ! बिना दवा खाए या कोई बेअसर दवा खाने से आराम पाने को मेडिकल की दुनिया में "प्लेसिबो इफेक्ट" कहा जाता है। इसमें बीमार ये सोचता है कि दवाएं खाने से वो ठीक हो रहा है लेकिन वास्तव में दूसरे कारणों से स्वास्थ्य में सुधार हो जाता है, जिसमें उसकी मानसिक संतुष्टि भी बहुत काम करती है...। बीमारियों के इलाज के लिए दवाओं पर भरोसा जरूरी है।
तब क्या आज कल के बाबाओं द्वारा लोगो को बताये जा रहे उलटे सीधे टोटकों का और गंडे -तावीजों , आसन, दवाइयां, और मौलाना साहिब के पढ़े हुए पानी आदि में भी प्लेसिबो असर होता है ...? जी..बिलकुल होता है...बल्कि यह लोग खा चाट ही इस प्लेसिबो इफेक्ट की बदौलत रहे हैं...आज निर्मल बाबा का नाम हर जगह छाया है....इनका प्लेसिबो इफेक्ट बहुत ही ज़बरदस्त है...देखा गया है कि कोई बाबा कहता है...की अपने पलंग के नीचे पीपल का पत्ता रख दो...रात को नींद अच्छी आएगी ..उस व्यक्ति को मानसिक तौर पर विश्वास हो जाएगा... ....तो यह निश्चित है. कि.. वो अपने आप ही समय पर सो जाएगा...जब कि उस पीपल के पत्ते का इसमें कोई रोल नहीं है...आज इसी प्लेसिबो इफेक्ट के दम पर बाबा लोग रोकड़ा बटोर रहे हैं......कोई ज्योतिषाचार्य टी.वी. पर अजब अजब उपाय बता कर तो कोई वास्तु बाबा घर के चीज़ों को इधर से उधर रखवा कर... और बाबा ही नहीं कई मुन्ना भाई डाक्टर भी इस मनोवैज्ञानिक आश्वस्ति या फेथ हीलिंग के दम पर अपनी पौ बारह किये बैठे हैं...और यह भी सच है कि आप और हम इस प्लेसिबो इफेक्ट के कारण ही कई बाधाएं भी पार कर जाते हैं...और कई बीमारियों पर विजय भी पा जाते हैं...यह कहीं न कहीं दवाओं से ज्यादा हमारे आत्म विश्वास और मानसिक दृढ़ता को भी प्रकट करता है, और तो और यह प्लेसिबो इफेक्ट कही��� न कही हमारे सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर भी किसी न किसी रूप में असर अंदाज़ होता है...यहाँ इसका प्रभाव आपसी समझ और विशवास की भावना से पैदा होता है.!
सोचिये यदि यह प्लेसिबो इफेक्ट नहीं होता तो ना जाने क्या होता...??
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