दोस्तों आपमें से कितनो ने यह नाम सुना है और कितनो ने नहीं....पता नहीं मगर किसी समय अमेरिका के लिए सर दर्द बने इस संगठन के इतिहास और कार्य प्रणाली पर रौशनी डाली जाए देखा जाए कि कैसे इससे मिलती जुलती विचारधारा कई देशों में फल फूल रही है, इन्टरनेट के माध्यम से अतिवादी विचार परोसना, अतिवादी लोगों का महिमा मंडन करना....व्यवस्था परिवर्तन की आड़ में दुष्प्रचार करना, लोगों की अभिव्यक्ति पर लठैती करना आदि इत्यादि !
अमेरिका में 24 दिसंबर 1865 को वजूद में आये इस तीन K K K (कू क्लक्स कलान) संगठन ने भी किसी समय लोगों को ऐसे ही मोहित कर अपनी पैठ बनाई थी, इस संगठन का लोगो था जलता हुआ क्रास और उसके सदस्य मुखौटे पहन कर कार्य करते, मीटिंग करते थे...और सड़कों पर जुलूस आदी निकाला करते थे...और पेश है इस संगठन के बारे में कुछ जानकारियाँ :--
अमेरिका में संधि सेना के पुलास्की, टेनेसी निवासी छः मध्य-वर्गीय पूर्व सैनिकों ने, अमरीकी गृह-युद्ध के तुरंत बाद, 24 दिसंबर 1865 को मूल कू क्लक्स क्लान की स्थापना की..इसमें.क्लान का मुखौटा हटाने पर अश्वेत-विरोधी निग़रानी समिति के सदस्यों के समूहों का एक झुण्ड, असंतुष्ट श्वेत किसान, युद्ध-काल के गुरिल्ला दल, विस्थापित डेमोक्रेटिक राजनेता, अवैध शराब आसवक, प्रतिरोधी नैतिक सुधारक, परपीड़क, बलात्कारी, अश्वेत प्रतिस्पर्द्धा से भयभीत श्वेत श्रमिक, श्रम अनुशासन के प्रवर्तन का प्रयास करने वाले नियोक्ता, सामान्य चोर, दशकों-पुरानी शत्रुता वाले पड़ोसी और यहां तक कि कुछ मुक्त-जन और श्वेत रिपब्लिकन उजागर हुए, जिन्होंने डेमोक्रेटिक श्वेतों के साथ सांठ-गांठ कर ली थी या जिनका स्वयं का कोई आपराधिक कार्यक्रम था.
उन्होंने अश्वेतों के शिक्षा, आर्थिक उन्नति, मतदान के अधिकार, और हथियारों को रखने व प्रयोग करने के अधिकार पर प्रतिबंध लगाने के लिये कार्य किया. क्लू क्लक्स क्लान जल्दी ही लगभग प्रत्येक दक्षिणी राज्य में फ़ैल गया और इसने अश्वेत और श्वेत दोनों ही तरह के रिपब्लिकन नेताओं के विरूद्ध एक "आतंक का अभियान" छेड़ दिया. इस अभियान के दौरान मारे गये राजनैतिक नेताओं में अर्कान्सास के कांग्रेस-सदस्य जेम्स एम. हिन्ड्स, दक्षिण कैरोलिना की विधायिका के तीन सदस्य, और ऐसे विभिन्न लोग शामिल थे, जिन्होंने संवैधानिक सम्मेलनों में अपनी सेवाएं दीं थीं !
KKK ब्यूरो के प्रतिनिधि अश्वेतों को धमकियां दिये जाने और उनकी हत्या कर दिये जाने की साप्ताहिक जानकारी दिया करते थे. "सशस्त्र गुरिल्ला युद्ध ने हज़ारों अश्वेतों को मार डाला; राजनैतिक दंगे आयोजित किये गये; उनके कारण व अवसर सदैव ही अज्ञात होते थे, उनके परिणाम सदैव ही निश्चित होते थे; श्वेतों की तुलना में दस से सौ गुना तक अधिक नीग्रो मारे गये." नक़ाबपोश लोग घरों पर गोलियां दाग़ते थे और कभी-कभी भीतर निवासियों के होते हुए भी उनमें आग लगा देते थे. उन्होंने सफल अश्वेत किसानों को उनकी भूमि से भगा दिया. सामान्यतः ऐसा कहा जा सकता है कि उत्तरी व दक्षिणी कैरोलिना में, जून 1867 में समाप्त हुए 18 महीनों में, हत्या की 197 और भड़काये गये हमलों की 548 घटनाएं हुईं..!
क्लान हिंसा ने अश्वेत मतदान को दबाने के लिये कार्य किया. जैसा कि निम्नलिखित उदाहरण सूचित करते हैं, नवंबर 1868 के राष्ट्रपति चुनावों के पूर्व कुछ सप्ताहों में ही लुईसियाना में 2,000 से ज़्यादा लोग मारे गये, घायल हुए या किसी अन्य प्रकार से ज़ख़्मी हुए. हालांकि सैंट लैंड्री पैरिश के पास 1071 औपचारिक रिपब्लिकन सदस्यों का बहुमत था, लेकिन हत्याओं के बाद, किसी भी रिपब्लिकन सदस्य ने वसंत के चुनावों में मतदान नहीं किया. ग्रैंट के विरोध के लिये श्वेत डेमोक्रेटिक सदस्यों ने पैरिश को पूरे वोट दिये.
KKK ने जंगलों में ढ़ूंढकर व पीछा करके 200 से अधिक अश्वेत रिपब्लिकन सदस्यों को मार डाला और घायल किया. तेरह बंधकों को जेल से ले जाकर गोली मार दी गई; 25 आधी-दफ़न लाशों का ढेर जंगल में पाया गया. KKK ने लोगों को डेमोक्रेटिक पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिये बाध्य किया और उन्हें इस तथ्य के प्रमाणपत्र भी दिये..!
एक ओर जहां क्लान ने गैर-राजनैतिक अपराधों के लिये मुखौटे का प्रयोग किया, वहीं दूसरी ओर राज्य या स्थानीय सरकारों ने शायद ही कभी उनके ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही की. अफ़्रीकी अमरीकियों को न्यायालयों से बाहर रखा गया. मार-पीट के मामलों में, सभी श्वेत न्यायाधीशों ने कू क्लक्स क्लान के सदस्यों पर लगभग कभी भी अभियोग नहीं चलाया.
यदि कोई दुर्लभ अभियोग चलाया जाता था, तो न्यायाधीशों द्वारा सज़ा के लिये मतदान किया जाना असंभावित था. कुछ हद तक, ज्यूरी के सदस्यों को स्थानीय क्लान सदस्यों द्वारा बदला लिये जाने का भय था.कुछ अन्य लोग अश्वेतों पर अपना प्रभुत्व बनाए रखने के एक मार्ग के रूप में मार-पीट का समर्थन कर सकते थे. कई राज्यों में, अधिकारी क्लान के सदस्यों के ख़िलाफ़ अश्वेत नागरिक-सेना का प्रयोग करने में हिचकते थे क्योंकि उन्हें भय था कि इससे नस्लीय तनाव बढ़ जाएगा..!
अमेरिका में 24 दिसंबर 1865 को वजूद में आये इस तीन K K K (कू क्लक्स कलान) संगठन ने भी किसी समय लोगों को ऐसे ही मोहित कर अपनी पैठ बनाई थी, इस संगठन का लोगो था जलता हुआ क्रास और उसके सदस्य मुखौटे पहन कर कार्य करते, मीटिंग करते थे...और सड़कों पर जुलूस आदी निकाला करते थे...और पेश है इस संगठन के बारे में कुछ जानकारियाँ :--
अमेरिका में संधि सेना के पुलास्की, टेनेसी निवासी छः मध्य-वर्गीय पूर्व सैनिकों ने, अमरीकी गृह-युद्ध के तुरंत बाद, 24 दिसंबर 1865 को मूल कू क्लक्स क्लान की स्थापना की..इसमें.क्लान का मुखौटा हटाने पर अश्वेत-विरोधी निग़रानी समिति के सदस्यों के समूहों का एक झुण्ड, असंतुष्ट श्वेत किसान, युद्ध-काल के गुरिल्ला दल, विस्थापित डेमोक्रेटिक राजनेता, अवैध शराब आसवक, प्रतिरोधी नैतिक सुधारक, परपीड़क, बलात्कारी, अश्वेत प्रतिस्पर्द्धा से भयभीत श्वेत श्रमिक, श्रम अनुशासन के प्रवर्तन का प्रयास करने वाले नियोक्ता, सामान्य चोर, दशकों-पुरानी शत्रुता वाले पड़ोसी और यहां तक कि कुछ मुक्त-जन और श्वेत रिपब्लिकन उजागर हुए, जिन्होंने डेमोक्रेटिक श्वेतों के साथ सांठ-गांठ कर ली थी या जिनका स्वयं का कोई आपराधिक कार्यक्रम था.
उन्होंने अश्वेतों के शिक्षा, आर्थिक उन्नति, मतदान के अधिकार, और हथियारों को रखने व प्रयोग करने के अधिकार पर प्रतिबंध लगाने के लिये कार्य किया. क्लू क्लक्स क्लान जल्दी ही लगभग प्रत्येक दक्षिणी राज्य में फ़ैल गया और इसने अश्वेत और श्वेत दोनों ही तरह के रिपब्लिकन नेताओं के विरूद्ध एक "आतंक का अभियान" छेड़ दिया. इस अभियान के दौरान मारे गये राजनैतिक नेताओं में अर्कान्सास के कांग्रेस-सदस्य जेम्स एम. हिन्ड्स, दक्षिण कैरोलिना की विधायिका के तीन सदस्य, और ऐसे विभिन्न लोग शामिल थे, जिन्होंने संवैधानिक सम्मेलनों में अपनी सेवाएं दीं थीं !
KKK ब्यूरो के प्रतिनिधि अश्वेतों को धमकियां दिये जाने और उनकी हत्या कर दिये जाने की साप्ताहिक जानकारी दिया करते थे. "सशस्त्र गुरिल्ला युद्ध ने हज़ारों अश्वेतों को मार डाला; राजनैतिक दंगे आयोजित किये गये; उनके कारण व अवसर सदैव ही अज्ञात होते थे, उनके परिणाम सदैव ही निश्चित होते थे; श्वेतों की तुलना में दस से सौ गुना तक अधिक नीग्रो मारे गये." नक़ाबपोश लोग घरों पर गोलियां दाग़ते थे और कभी-कभी भीतर निवासियों के होते हुए भी उनमें आग लगा देते थे. उन्होंने सफल अश्वेत किसानों को उनकी भूमि से भगा दिया. सामान्यतः ऐसा कहा जा सकता है कि उत्तरी व दक्षिणी कैरोलिना में, जून 1867 में समाप्त हुए 18 महीनों में, हत्या की 197 और भड़काये गये हमलों की 548 घटनाएं हुईं..!
क्लान हिंसा ने अश्वेत मतदान को दबाने के लिये कार्य किया. जैसा कि निम्नलिखित उदाहरण सूचित करते हैं, नवंबर 1868 के राष्ट्रपति चुनावों के पूर्व कुछ सप्ताहों में ही लुईसियाना में 2,000 से ज़्यादा लोग मारे गये, घायल हुए या किसी अन्य प्रकार से ज़ख़्मी हुए. हालांकि सैंट लैंड्री पैरिश के पास 1071 औपचारिक रिपब्लिकन सदस्यों का बहुमत था, लेकिन हत्याओं के बाद, किसी भी रिपब्लिकन सदस्य ने वसंत के चुनावों में मतदान नहीं किया. ग्रैंट के विरोध के लिये श्वेत डेमोक्रेटिक सदस्यों ने पैरिश को पूरे वोट दिये.
KKK ने जंगलों में ढ़ूंढकर व पीछा करके 200 से अधिक अश्वेत रिपब्लिकन सदस्यों को मार डाला और घायल किया. तेरह बंधकों को जेल से ले जाकर गोली मार दी गई; 25 आधी-दफ़न लाशों का ढेर जंगल में पाया गया. KKK ने लोगों को डेमोक्रेटिक पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिये बाध्य किया और उन्हें इस तथ्य के प्रमाणपत्र भी दिये..!
एक ओर जहां क्लान ने गैर-राजनैतिक अपराधों के लिये मुखौटे का प्रयोग किया, वहीं दूसरी ओर राज्य या स्थानीय सरकारों ने शायद ही कभी उनके ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही की. अफ़्रीकी अमरीकियों को न्यायालयों से बाहर रखा गया. मार-पीट के मामलों में, सभी श्वेत न्यायाधीशों ने कू क्लक्स क्लान के सदस्यों पर लगभग कभी भी अभियोग नहीं चलाया.
यदि कोई दुर्लभ अभियोग चलाया जाता था, तो न्यायाधीशों द्वारा सज़ा के लिये मतदान किया जाना असंभावित था. कुछ हद तक, ज्यूरी के सदस्यों को स्थानीय क्लान सदस्यों द्वारा बदला लिये जाने का भय था.कुछ अन्य लोग अश्वेतों पर अपना प्रभुत्व बनाए रखने के एक मार्ग के रूप में मार-पीट का समर्थन कर सकते थे. कई राज्यों में, अधिकारी क्लान के सदस्यों के ख़िलाफ़ अश्वेत नागरिक-सेना का प्रयोग करने में हिचकते थे क्योंकि उन्हें भय था कि इससे नस्लीय तनाव बढ़ जाएगा..!
इस अतिवादी संगठन का इतिहास और कारनामो की लिस्ट बड़ी लम्बी है...अमेरिका को इस संगठन को ख़त्म करने में बड़ी दिक्क़त पेश आयी थी....फिर भी अभी भी उस देश में इसके कई भूमिगत सदस्य है !
Ku Klux klaan हमेशा से ही अतिवादी लोगों, चरमपंथी संगठनो का आदर्श रहा है, कई देशों में कई संगठन आज भी इस संगठन की मूल विचारधारा का अनुसरण करते हैं !
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