जी हाँ दोस्तों, हमारे बुज़ुर्ग तो कहते थे कि जो डर गया समझो मर गया, मगर इस दौर में तो उल्टा ही हो रहा है, ऐसा लग रहा है कि जो न डरा समझो वो मर गया....इसकी कई मिसालें मैं आपको दे रहा हूँ.....पहली मिसाल अन्ना हजारे की ही ले लीजिये....उसने देश की जनता को भ्रष्टाचार ( Corruption ) से डराया तो कितना फायदा हुआ..लोग डर कर दौड़ कर घरों से बहार निकल आये, और डर डर कर अन्ना की आवाज़ से आवाज़ मिलाने लगे, बात ही ऐसी डराने वाली थी, फिर ऐसा ही एक डर बाबा जी ने काले धन के बारे में बता कर किया, लोगो ने खूब घबरा कर नारे लगाए ....और कहा की फ़ौरन ही काला धन वापस लाओ, नेता लोग भी हमेशा डरा कर ही तो वोट लेते हैं...कोई कहता है की हमें वोट नहीं दोगे तो भूखे मर जाओगे, हमारी पार्टी तुम्हारे पेट भरने का वादा करती है, यानी यह डराने का धंधा खूब फल फूल रहा है, और सफल भी हो रहा है, चाहे राजनीति में हो, समाज में, या धर्म में...सब डरा डरा कर लोगों के होश उड़ा रहे हैं.....अल्प संख्यकों को डराया जा रहा है की हमें वोट दो नहीं तो तुम्हारा नामो निशाँ मिट जाएगा, बहु संख्यकों को ...यह कह कर डराया जा रहा है की....हमें वोट नहीं दिया तो यह लोग बहु संख्यक हो जायेंगे, कोई टोपी दे कर डरा रहा है, कोई टोपी नहीं ले कर डरा रहा है, कहीं मोदी से डराया जा रहा है, कहीं राहुल से डराया जा रहा है, कहीं विकिलीक्स डरा रहा है, कहीं तहलका डरा रहा है, ....फार्मूला खूब काम कर रहा है...धार्मिक ठेकेदार लोगों को " धर्म खतरे में है "...का नारा दे कर डराते रहे हैं....और लोग अब भी बहुत डरते हैं...विशेष रूप से हम हिन्दुस्तानी तो इस डर विशेष के आदि भी हो चुके हैं...क्या करें....यह डर हमारे मस्तिष्क में नसों में बार बार इंजेक्ट किया जाता रहा है...इसका anti dose आते ही ....फिर से इस डर को दोबारा इंजेक्ट कर दिया जाता है...!
समाज में और परिवारों तक मैं इस डर की फसल बोई और काटी जाती रही है.....सैंकड़ों मिसालें हैं...जिनको रोज़ हम ख़बरों में और आम ज़िन्दगी में होते देख रहे..बच्चों को डराया जा रहा है, कि अगर वो नहीं पढेंगे तो डाक्टर और इंजीनियर कैसे बनेंगे, हैं....कहीं माँ बाप अपनी संपत्ति का डरावा देकर सेवा करवा रहे हैं, बाज़ार भी इस डर को भला कैसे न भुनाए...कई कास्मेटिक कम्पनियां डरा रही हैं कि यदि यह क्रीम नहीं लगाईं तो लडकियाँ हर क्षेत्र में पीछे रह जायेंगी, और उनका करियर तक खराब हो जाएगा....दूसरी और होर्लिक्स दावा कर रही है कि यदि इसको बच्चों ने नहीं पिया तो उनका मानसिक विकास रुक जायेगे..उनका भविष्य खराब हो जाएगा..., मतलब यह कि डर कि फसल खूब बोई और काटी जा रही है, और इस डर को बहुत ही logically तरीके से और मार्केटिंग के साथ फैलाया जा रहा है, ....और इसके पीछे कही हमारी मनोवृत्ति और मनोविज्ञान से जी भर कर खिलवाड़ किया जा रहा है.... .इसलिए अब तो यही कह सकते हैं ...की इस दौर में डरना ज़रूरी सा हो गया है.लग रहा है कि " जो नहीं डरा समझो वो मरा " .......सो .. डरिये ना प्लीज़...!!
समाज में और परिवारों तक मैं इस डर की फसल बोई और काटी जाती रही है.....सैंकड़ों मिसालें हैं...जिनको रोज़ हम ख़बरों में और आम ज़िन्दगी में होते देख रहे..बच्चों को डराया जा रहा है, कि अगर वो नहीं पढेंगे तो डाक्टर और इंजीनियर कैसे बनेंगे, हैं....कहीं माँ बाप अपनी संपत्ति का डरावा देकर सेवा करवा रहे हैं, बाज़ार भी इस डर को भला कैसे न भुनाए...कई कास्मेटिक कम्पनियां डरा रही हैं कि यदि यह क्रीम नहीं लगाईं तो लडकियाँ हर क्षेत्र में पीछे रह जायेंगी, और उनका करियर तक खराब हो जाएगा....दूसरी और होर्लिक्स दावा कर रही है कि यदि इसको बच्चों ने नहीं पिया तो उनका मानसिक विकास रुक जायेगे..उनका भविष्य खराब हो जाएगा..., मतलब यह कि डर कि फसल खूब बोई और काटी जा रही है, और इस डर को बहुत ही logically तरीके से और मार्केटिंग के साथ फैलाया जा रहा है, ....और इसके पीछे कही हमारी मनोवृत्ति और मनोविज्ञान से जी भर कर खिलवाड़ किया जा रहा है.... .इसलिए अब तो यही कह सकते हैं ...की इस दौर में डरना ज़रूरी सा हो गया है.लग रहा है कि " जो नहीं डरा समझो वो मरा " .......सो .. डरिये ना प्लीज़...!!
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