करप्शन और महंगाई से पस्त और तमतमाई जनता जैसे ही अन्ना की ललकार से होश में आयी, उसके तेवर, तैश और वैचारिक सैलाब को रोकना सरकार के लिए दूभर सा हो गया था...हर वर्ग और हर धर्म का, हर आयु , हर प्रांत का आदमी, बच्चे, औरतें, बूढ़े करप्शन को ललकारने सड़कों पर निकल कर अन्ना की आवाज़ से आवाज़ मिलाने आ गए..! इस ऐतिहासिक घटना से और इतने जन सैलाब को सड़कों पर निकलते देख....मानो नेताओं, राजनैतिक पार्टियों, और संगठनो के मुहं में पानी आ गया ...यह सब अन्ना का ही जादू था..!
इस जन सैलाब के तैश और विचारों के तेवरों को फ़ौरन ही केश कराने के लिए सब मौक़ा परस्त अपने अपने हथकंडे ले कर POLITICAL CIRCUS करने निकल पड़े हैं, जैसे सर्कस में हर आयु वर्ग के लिए अलग अलग करतब होते हैं...वैसे ही करतब यह मौक़ा परस्त अलग अलग करने निकल पड़े हैं, कोई नेता अपने उल जलूल बयानों से गालियाँ खाकर किसी की तालियाँ बटोर रहा है, ...कोई काले धन का सर्कस दिखा कर तालियाँ और समर्थन ले कर खुश हो है, कोई रथ पर चढ़ कर घूम घूम कर सर्कस दिखाने को निकलने की घोषणा से तालियाँ और समर्थन के लिए तैयार है, कोई सद्भावना उपवास कर कहीं निशाना लगा कर तालियाँ बजवा रहा है, कोई अपनी टोपी किसी को पहनाने की कोशिश से तालियाँ हासिल कर रहा है, कोई उस टोपी को न पहन कर तालियाँ बटोरने की कोशिश कर रहा है...! इन सब करतबों का केंद्र...है दिल्ली की कुर्सी....या सत्ता सुन्दरी की ललक, मगर इन एक के बाद एक सर्कसों के शो से जनता भ्रमित हो कर एक करतब बाज़ से दूसरे करतब बाज़ तक दौड़ लगा रही है, हर करतब बाज़ अपने शो, करतब या प्रदर्शन के लिए अधिक से अधिक शो करना और अधिक से अधिक लोगों की भीड़ इकट्ठी करना चाह रहा है...ताकि उनका लक्ष्य जल्दी से जल्दी पूरा हो जाए....... और इन सब करतबों में अन्ना का भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना कही हाशिये पर जा पड़ा है...!
मतलब सब करतबबाज़ अपने अपने दर्शक और अपने अपने लक्ष्य टटोल रहे हैं...संभावनाएं कुरेदी जा रही हैं...और यह सब बड़ी जल्दी और योजनाबद्ध तरीके से हो रहा है...करतबों के लगातार एपिसोड लिख लिए गए हैं...और इस जल्दी का कारण यह है की...कही अन्ना द्वारा जगाया यह जन आक्रोश ठंडा न पड़ जाए...या फिर कही अन्ना इस जन सैलाब को आवाज़ न दे डाले...अगर ऐसा हुआ तो सारे आगामी एपिसोड मात्र एक झुनझुना बन कर रह जायेंगे.....जो की यह करतब बाज़ खुद अकेले में बैठ कर बजाया करेंगे....खैर.....फिर भी सावधान Political Circus पूरे ज़ोरों पर चार चार शो में चालू है.....!!
ज़रा सोचिये दोस्तों~~~~~~!!
इस जन सैलाब के तैश और विचारों के तेवरों को फ़ौरन ही केश कराने के लिए सब मौक़ा परस्त अपने अपने हथकंडे ले कर POLITICAL CIRCUS करने निकल पड़े हैं, जैसे सर्कस में हर आयु वर्ग के लिए अलग अलग करतब होते हैं...वैसे ही करतब यह मौक़ा परस्त अलग अलग करने निकल पड़े हैं, कोई नेता अपने उल जलूल बयानों से गालियाँ खाकर किसी की तालियाँ बटोर रहा है, ...कोई काले धन का सर्कस दिखा कर तालियाँ और समर्थन ले कर खुश हो है, कोई रथ पर चढ़ कर घूम घूम कर सर्कस दिखाने को निकलने की घोषणा से तालियाँ और समर्थन के लिए तैयार है, कोई सद्भावना उपवास कर कहीं निशाना लगा कर तालियाँ बजवा रहा है, कोई अपनी टोपी किसी को पहनाने की कोशिश से तालियाँ हासिल कर रहा है, कोई उस टोपी को न पहन कर तालियाँ बटोरने की कोशिश कर रहा है...! इन सब करतबों का केंद्र...है दिल्ली की कुर्सी....या सत्ता सुन्दरी की ललक, मगर इन एक के बाद एक सर्कसों के शो से जनता भ्रमित हो कर एक करतब बाज़ से दूसरे करतब बाज़ तक दौड़ लगा रही है, हर करतब बाज़ अपने शो, करतब या प्रदर्शन के लिए अधिक से अधिक शो करना और अधिक से अधिक लोगों की भीड़ इकट्ठी करना चाह रहा है...ताकि उनका लक्ष्य जल्दी से जल्दी पूरा हो जाए....... और इन सब करतबों में अन्ना का भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना कही हाशिये पर जा पड़ा है...!
मतलब सब करतबबाज़ अपने अपने दर्शक और अपने अपने लक्ष्य टटोल रहे हैं...संभावनाएं कुरेदी जा रही हैं...और यह सब बड़ी जल्दी और योजनाबद्ध तरीके से हो रहा है...करतबों के लगातार एपिसोड लिख लिए गए हैं...और इस जल्दी का कारण यह है की...कही अन्ना द्वारा जगाया यह जन आक्रोश ठंडा न पड़ जाए...या फिर कही अन्ना इस जन सैलाब को आवाज़ न दे डाले...अगर ऐसा हुआ तो सारे आगामी एपिसोड मात्र एक झुनझुना बन कर रह जायेंगे.....जो की यह करतब बाज़ खुद अकेले में बैठ कर बजाया करेंगे....खैर.....फिर भी सावधान Political Circus पूरे ज़ोरों पर चार चार शो में चालू है.....!!
ज़रा सोचिये दोस्तों~~~~~~!!
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