IPL 6 में हुए फिक्सिंग काण्ड के बाद से क्रिकेट
प्रेमियों में निराशा और दुःख का माहौल बना हुआ है...वही दूसरी और राजस्थान
रायल्स के तीन खिलाडियों की गिरफ़्तारी और उसके बाद बिंदु दारा सिंह के साथ
BCCI चीफ श्रीनिवासन के दामाद मयप्पन की गिरफ्तारी ने पूरे देश को चौंका
ही दिया, साथ ही एक के बाद एक सट्टेबाजों की गिरफ्तारी और उनके तार BCCI के
साथ IPL की टीमों और खिलाडियों से जुड़ने के सबूत भी सामने आने लगे हैं,
फिर भी छोटी मछलियाँ फंस रही हैं, बड़ी मछलियों पर कोई आंच नहीं आ पायी !
इन सबके बाद BCCI अध्यक्ष श्रीनिवासन पर इस्तीफे का दबाव भी बढ़ गया है, दामाद की गिरफ्तारी के बाद भी श्रीनिवासन अपना इस्तीफ़ा नहीं देने पर अड़े हैं, अब धीरे धीरे राज्य संघों ने भी इस्तीफे के लिए आवाज़ उठानी आरम्भ कर दी है !
मगर केवल श्रीनिवासन के इस्तीफे से ही बात नहीं बनने वाली, BCCI ने आरम्भ से अपने आपको बड़ी चतुराई से किसी भी सरकारी नियंत्रण से मुक्त रखा है, जबकि BCCI करोड़ों रुपयों की मनोरंजन कर में छूट सरकार से ही लेती है, इसके अलावा लीज़ पर ज़मीनें, और दूसरी और BCCI इनकम टेक्स, कस्टम ड्यूटी और अन्य कई प्रकार की छूट सरकार से ही लेती है, और हर छोटे बड़े खेल आयोजन पर सुरक्षा और अन्य नागरिक सुविधाओं की ज़िम्मेदार भी सरकार ही उठाती आयी है !
अब जब कि IPL जैसे आयोजन में ललित मोदी के समय से जमकर लूटा खसोटी, सट्टेबाजी, खिलाडियों का इसमें लिप्त होने जैसी खबरें निकल कर बाहर आयीं हैं, तो भी BCCI हर पिछले काण्ड की तरह लीपा पोती पर उतर आया है, बात यहाँ श्रीनिवासन के इस्तीफे की हो रही थी, मगर केवल इस्तीफ़ा ही पर्याप्त नहीं होगा...BCCI को खेल अधिनियम और RTI के दायरे में भी लाया जाए, बोर्ड में खिलाडियों को ज्यादा तरजीह दी जाए, राजनीतिज्ञों का हस्तक्षेप बिलकुल ख़त्म हो, हर IPL और अन्य आयोजनों में पारदर्शिता लाने के लिए आयोजन से पहले ही सतर्कता कमिटी बनाई जाए, जिसमें गृह मंत्रालय के अफसरों के साथ पूर्व क्रिकेट खिलाडियों के साथ BCCI और खेल मंत्रालय के अफसर भी शामिल हों...ताकि आगे से कोई भी ऐसा काण्ड नहीं हो जिससे भारत की क्रिकेट का नाम विश्व में बदनाम हो !
और यह तभी संभव हो पायेगा जब BCCI को दिग्गजों, राजनीतिज्ञों, से मुक्त किया जाए, इनकी जगह पूर्व क्रिकेट खिलाडियों को अधिक से अधिक बागडोर सौंपी जाए, फ्रेंचाइज़ी से आने वाले पैसों और जाने वाले पैसों के प्रवाह पर कड़ी नज़र रखी जाए, ...और इस स्वच्छंद हो चुके BCCI नामक घोड़े को खेल अधिनियम और RTI की लगाम से काबू में किया जा सके !!
इन सबके बाद BCCI अध्यक्ष श्रीनिवासन पर इस्तीफे का दबाव भी बढ़ गया है, दामाद की गिरफ्तारी के बाद भी श्रीनिवासन अपना इस्तीफ़ा नहीं देने पर अड़े हैं, अब धीरे धीरे राज्य संघों ने भी इस्तीफे के लिए आवाज़ उठानी आरम्भ कर दी है !
मगर केवल श्रीनिवासन के इस्तीफे से ही बात नहीं बनने वाली, BCCI ने आरम्भ से अपने आपको बड़ी चतुराई से किसी भी सरकारी नियंत्रण से मुक्त रखा है, जबकि BCCI करोड़ों रुपयों की मनोरंजन कर में छूट सरकार से ही लेती है, इसके अलावा लीज़ पर ज़मीनें, और दूसरी और BCCI इनकम टेक्स, कस्टम ड्यूटी और अन्य कई प्रकार की छूट सरकार से ही लेती है, और हर छोटे बड़े खेल आयोजन पर सुरक्षा और अन्य नागरिक सुविधाओं की ज़िम्मेदार भी सरकार ही उठाती आयी है !
अब जब कि IPL जैसे आयोजन में ललित मोदी के समय से जमकर लूटा खसोटी, सट्टेबाजी, खिलाडियों का इसमें लिप्त होने जैसी खबरें निकल कर बाहर आयीं हैं, तो भी BCCI हर पिछले काण्ड की तरह लीपा पोती पर उतर आया है, बात यहाँ श्रीनिवासन के इस्तीफे की हो रही थी, मगर केवल इस्तीफ़ा ही पर्याप्त नहीं होगा...BCCI को खेल अधिनियम और RTI के दायरे में भी लाया जाए, बोर्ड में खिलाडियों को ज्यादा तरजीह दी जाए, राजनीतिज्ञों का हस्तक्षेप बिलकुल ख़त्म हो, हर IPL और अन्य आयोजनों में पारदर्शिता लाने के लिए आयोजन से पहले ही सतर्कता कमिटी बनाई जाए, जिसमें गृह मंत्रालय के अफसरों के साथ पूर्व क्रिकेट खिलाडियों के साथ BCCI और खेल मंत्रालय के अफसर भी शामिल हों...ताकि आगे से कोई भी ऐसा काण्ड नहीं हो जिससे भारत की क्रिकेट का नाम विश्व में बदनाम हो !
और यह तभी संभव हो पायेगा जब BCCI को दिग्गजों, राजनीतिज्ञों, से मुक्त किया जाए, इनकी जगह पूर्व क्रिकेट खिलाडियों को अधिक से अधिक बागडोर सौंपी जाए, फ्रेंचाइज़ी से आने वाले पैसों और जाने वाले पैसों के प्रवाह पर कड़ी नज़र रखी जाए, ...और इस स्वच्छंद हो चुके BCCI नामक घोड़े को खेल अधिनियम और RTI की लगाम से काबू में किया जा सके !!
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