देश में हर चीज़ का बाज़ार खडा हो गया है, मुनाफे के लिए
किसी भी चीज़ को मुलम्मा चढ़ा कर जनता के सामने ग्लेमरस ढंग से परोसा जाने
लगा है, इधर कुछ दिनों से जी टी.वी. पर DID सुपर मोंम का एक रियलिटी शो
शुरू हुआ है, जिसमें कई मम्मियां अपने पति परमेश्वरों और अपने बच्चों के
साथ अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाने आयी हुई हैं..उनको उपाधि दी गयी है...सुपर
मोंम की !
हिंदुस्तानी समाज में माँ का स्थान बहुत ऊंचा और आदरणीय रहा है, हर धर्म में माँ को आदर और सम्मान दिया गया है, अपने आँखों के तारे पुत्र चन्दन का बलिदान देकर स्वामिभक्ति का परिचय देने वाली वीरांगना पन्ना धाय से लेकर आपकी और हमारी माताएं...सभी कहीं न कहीं सुपर मोंम से किसी भी तरह कम नहीं हैं, हमारी यह सभी माताएं अपना कर्तव्य बखूबी निबाहती चली आ रही हैं !
हर व्यक्ति के लिए उसकी माँ ही सबसे बड़ी सुपर मोंम होती है, किस घर में सुपर मोंम नहीं है ? हमारे आस पास और देश में ऐसी लाखों करोड़ों सुपर मोंम होंगी जो अपनी गृहस्थी में मग्न हो कर अपना कर्तव्य पालन कर रही हैं, दूसरी और देखा जाए तो करोड़ों माताएं कामकाजी हैं, लाखों बड़े बड़े पदों पर आसीन हैं, राजनीति से लेकर सेना और बेंकिंग से लेकर पुलिस और प्रशासनिक सेवाओं तक...सब जगह उन्होंने गृहस्थी और नौकरी में बढ़िया सामंजस्य बैठा रखा है, वो न केवल एक आदर्श माँ , एक आदर्श पत्नी, एक आदर्श बहू, बल्कि एक आदर्श कामकाजी मोंम से किसी भी प्रकार से कम नहीं हैं, न किसी कर्तव्य में पीछे हैं, न ही उनकी प्रतिभा किसी की मोहताज है !
टी.वी. और बाज़ार के अपने फंडे होते हैं, उन्होंने जो सुपर मोम्स पेश की हैं, उनकी प्रतिभा और टी.वी. तथा बाज़ार के समीकरण के अनुसार वो सुपर मोंम हो सकती हैं, मगर असली सुपर मोम्स तो हमारी आपकी माताएं हैं, जो अनेको प्रतिभाओं के होते हुए भी बेलोस ढंग से पारिवारिक कर्तव्यों का निबाह रही हैं...एक माँ, एक बहु, एक पत्नी, अनेक रूपों में अपने घर परिवार को अपने प्यार और संस्कारों से सींच रही हैं..!
टी.वी. और बाज़ार की सुपर मोंम आज पर्दे पर हैं तो कल पर्दे से गायब हो कर भुला दी जाएँगी, मगर आपकी और हमारी सुपर मोम्स और उनके आशीर्वाद, उनके संस्कार सदा हमारे साथ रहेंगे !
हम सब अपनी सुपर मोम्स ( जो किसी टी.वी. या बाज़ार की मोहताज नहीं हैं) को उनकी प्रतिभा उनके नि:स्वार्थ समर्पण, उनके जज्बे, उनके प्यार को सलाम करते हैं, !!
हिंदुस्तानी समाज में माँ का स्थान बहुत ऊंचा और आदरणीय रहा है, हर धर्म में माँ को आदर और सम्मान दिया गया है, अपने आँखों के तारे पुत्र चन्दन का बलिदान देकर स्वामिभक्ति का परिचय देने वाली वीरांगना पन्ना धाय से लेकर आपकी और हमारी माताएं...सभी कहीं न कहीं सुपर मोंम से किसी भी तरह कम नहीं हैं, हमारी यह सभी माताएं अपना कर्तव्य बखूबी निबाहती चली आ रही हैं !
हर व्यक्ति के लिए उसकी माँ ही सबसे बड़ी सुपर मोंम होती है, किस घर में सुपर मोंम नहीं है ? हमारे आस पास और देश में ऐसी लाखों करोड़ों सुपर मोंम होंगी जो अपनी गृहस्थी में मग्न हो कर अपना कर्तव्य पालन कर रही हैं, दूसरी और देखा जाए तो करोड़ों माताएं कामकाजी हैं, लाखों बड़े बड़े पदों पर आसीन हैं, राजनीति से लेकर सेना और बेंकिंग से लेकर पुलिस और प्रशासनिक सेवाओं तक...सब जगह उन्होंने गृहस्थी और नौकरी में बढ़िया सामंजस्य बैठा रखा है, वो न केवल एक आदर्श माँ , एक आदर्श पत्नी, एक आदर्श बहू, बल्कि एक आदर्श कामकाजी मोंम से किसी भी प्रकार से कम नहीं हैं, न किसी कर्तव्य में पीछे हैं, न ही उनकी प्रतिभा किसी की मोहताज है !
टी.वी. और बाज़ार के अपने फंडे होते हैं, उन्होंने जो सुपर मोम्स पेश की हैं, उनकी प्रतिभा और टी.वी. तथा बाज़ार के समीकरण के अनुसार वो सुपर मोंम हो सकती हैं, मगर असली सुपर मोम्स तो हमारी आपकी माताएं हैं, जो अनेको प्रतिभाओं के होते हुए भी बेलोस ढंग से पारिवारिक कर्तव्यों का निबाह रही हैं...एक माँ, एक बहु, एक पत्नी, अनेक रूपों में अपने घर परिवार को अपने प्यार और संस्कारों से सींच रही हैं..!
टी.वी. और बाज़ार की सुपर मोंम आज पर्दे पर हैं तो कल पर्दे से गायब हो कर भुला दी जाएँगी, मगर आपकी और हमारी सुपर मोम्स और उनके आशीर्वाद, उनके संस्कार सदा हमारे साथ रहेंगे !
हम सब अपनी सुपर मोम्स ( जो किसी टी.वी. या बाज़ार की मोहताज नहीं हैं) को उनकी प्रतिभा उनके नि:स्वार्थ समर्पण, उनके जज्बे, उनके प्यार को सलाम करते हैं, !!
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