देश में सोशल साइट्स देखा जाए तो राजनीति का अखाड़ा
ज्यादा ...और सोशल कम नज़र आने लगी हैं...इसमें फेसबुक भी शामिल हो गया
है...जिस तरह से आज फेसबुक पर विगत कुछ वर्षों में ...क्रिया कलापों में
अंतर आया है, उसके सभी पुराने यूज़र साक्षी होंगे, कभी एक समय था जब अधिकांश
यूज़र्स आपस में यहाँ एक दूजे से खूब संवाद करते थे, फोटो, वीडियो शेरो
शायरी आप बीती जग बीती शेयर करते थे, राजनैतिक गुटुर गूं ना के बराबर ही
होती थी ...ना ही कोई ऐसे सम्बंधित ख़ास ग्रुप या पेजेज़ थे !
मगर साल 2011 के आरम्भ होते ही जैसे ही मिस्र में तहरीर चौक क्रांति का आग़ाज़ हुआ...और उस क्रांति में सोशल नेटवर्किंग साइट्स की भूमिका के प्रभाव को ..पूरी दुनिया ने देखा, भारत में भी इस सोशल मिडिया को अपने अपने हितों के लिए साधने की मुहीम प्रारंभ हो गयी, इसका सबसे बड़ा उदाहरण कहा जाए तो वो है अन्ना हजारे टीम द्वारा फेसबुक पर गठित इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) ग्रुप ! जिसने आगे जाकर जनलोकपाल आन्दोलन ...और उसके बाद केजरीवाल और फिर आम आदमी पार्टी को भी जन्म दिया !
इस IAC की नींव रखते ही इसका धुंवा धार प्रचार सोशल मीडिया के साथ धीरे धीरे न्यूज़ चेनलों पर भी होने लगा, तो अन्य दलों, संगठनो के कान भी खड़े हुए...और नतीजा यह निकला कि हर राजनैतिक दल, हर प्रकार के धार्मिक, सामजिक संगठन, NGO's, नेता ..अभिनेता ..सभी इस पर टूट पड़े, और धीरे धीरे यह फेसबुक एक अखाड़े में तब्दील होने लगा, आज यहाँ हर राजनैतिक दल, और उन दलों से जुड़े संगठन...उनके कार्यकर्त्ता अपने अपने दलों के प्रचार के लिए मोजूद हैं !
मगर इसके साथ ही कई अवांछित लोग, संगठन भी यहाँ धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए कमर कसे बैठे हैं, कई बार सुनने में और देखने में आया है कि कुछ मति भ्रष्ट लोग किसी धर्म के खिलाफ कुछ भी लिख देते है, या कई बार आपत्तिजनक फोटो आदि भी पोस्ट कर देते हैं, जो कि बहुत ही घृणित मानसिकता का धोतक है !
अब फेसबुक पर लोग एक दूसरे को किसी न किसी ऐसे राजनैतिक या धार्मिक ग्रुप में घसीट कर ले ही जाते हैं. फेक प्रोफाइल की भरमार हो चली है, अब यहाँ रोज़ कोई न कोई क्रांति का बिगुल बजाया जाने लगा है, रोज़ किसी आन्दोलन की हुंकार भरी जाती नज़र आने लगी है, ..लगने लगा है कि देश यहीं से चलाया जा रहा है, चुनाव में यही से विजय घोषित होगी ...रोज़ इस आभासी दुनिया में राजनैतिक और धार्मिक विषयों पर जमकर हंगामा और लठैती होती है !
यह सही है कि सूचना क्रांति के इस हाई टेक दौर में सोशल मीडिया के इस नायाब मंच का बहुत बड़ा योगदान है, यदि इसका सदुपयोग ....सार्थक राजनीति, धार्मिक और सामजिक गतिविधियों के लिए किया जाए तो यह बहुत ही प्रभावकारी हो सकता है, परन्तु यदि इसके उलट इसका दुरूपयोग देश हित, देश की संप्रभुता, धार्मिक सद्भावना, सामजिक मूल्यों के विरुद्ध या अराजकता फैलाने के लिए होने लगे तो यह चिंतनीय है !!
मगर साल 2011 के आरम्भ होते ही जैसे ही मिस्र में तहरीर चौक क्रांति का आग़ाज़ हुआ...और उस क्रांति में सोशल नेटवर्किंग साइट्स की भूमिका के प्रभाव को ..पूरी दुनिया ने देखा, भारत में भी इस सोशल मिडिया को अपने अपने हितों के लिए साधने की मुहीम प्रारंभ हो गयी, इसका सबसे बड़ा उदाहरण कहा जाए तो वो है अन्ना हजारे टीम द्वारा फेसबुक पर गठित इंडिया अगेंस्ट करप्शन (IAC) ग्रुप ! जिसने आगे जाकर जनलोकपाल आन्दोलन ...और उसके बाद केजरीवाल और फिर आम आदमी पार्टी को भी जन्म दिया !
इस IAC की नींव रखते ही इसका धुंवा धार प्रचार सोशल मीडिया के साथ धीरे धीरे न्यूज़ चेनलों पर भी होने लगा, तो अन्य दलों, संगठनो के कान भी खड़े हुए...और नतीजा यह निकला कि हर राजनैतिक दल, हर प्रकार के धार्मिक, सामजिक संगठन, NGO's, नेता ..अभिनेता ..सभी इस पर टूट पड़े, और धीरे धीरे यह फेसबुक एक अखाड़े में तब्दील होने लगा, आज यहाँ हर राजनैतिक दल, और उन दलों से जुड़े संगठन...उनके कार्यकर्त्ता अपने अपने दलों के प्रचार के लिए मोजूद हैं !
मगर इसके साथ ही कई अवांछित लोग, संगठन भी यहाँ धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए कमर कसे बैठे हैं, कई बार सुनने में और देखने में आया है कि कुछ मति भ्रष्ट लोग किसी धर्म के खिलाफ कुछ भी लिख देते है, या कई बार आपत्तिजनक फोटो आदि भी पोस्ट कर देते हैं, जो कि बहुत ही घृणित मानसिकता का धोतक है !
अब फेसबुक पर लोग एक दूसरे को किसी न किसी ऐसे राजनैतिक या धार्मिक ग्रुप में घसीट कर ले ही जाते हैं. फेक प्रोफाइल की भरमार हो चली है, अब यहाँ रोज़ कोई न कोई क्रांति का बिगुल बजाया जाने लगा है, रोज़ किसी आन्दोलन की हुंकार भरी जाती नज़र आने लगी है, ..लगने लगा है कि देश यहीं से चलाया जा रहा है, चुनाव में यही से विजय घोषित होगी ...रोज़ इस आभासी दुनिया में राजनैतिक और धार्मिक विषयों पर जमकर हंगामा और लठैती होती है !
यह सही है कि सूचना क्रांति के इस हाई टेक दौर में सोशल मीडिया के इस नायाब मंच का बहुत बड़ा योगदान है, यदि इसका सदुपयोग ....सार्थक राजनीति, धार्मिक और सामजिक गतिविधियों के लिए किया जाए तो यह बहुत ही प्रभावकारी हो सकता है, परन्तु यदि इसके उलट इसका दुरूपयोग देश हित, देश की संप्रभुता, धार्मिक सद्भावना, सामजिक मूल्यों के विरुद्ध या अराजकता फैलाने के लिए होने लगे तो यह चिंतनीय है !!
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