बचपन में एक कहानी सुनी थी...कि किसी देश में एक राजा
हुआ करता था, वो बहुत ही घमंडी,झूठा, दम्भी, निरंकुश और निर्दयी था...उसे
अपनी चापलूसी बहुत ही पसंद थी, उसके दरबारी भी उसके इस दुर्गुणों को भुनाने
में पीछे नहीं थे, वो उसके हर करतब में सहमति जताते और वाह वाही करते थे,
उस राजा के दुर्गुणो की चर्चा पूरे देश में थी, जनता उसकी बातों को सुनकर
हंसती और मज़े लेती थी, लोग एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते थे !
इसी बीच चार ठगों की एक मंडली को भी राजा की इस दुर्गुणों और कमज़ोरी का पता चला, उन्होंने एक योजना बनाई और दरबार के लिए निकल लिए ! वहाँ पहुँच कर उन्होंने राजा से मिलने की इच्छा जताई और बताया कि वो बहुत ही बारीक, नफीस और कमाल का जादुई कपडा बुनने और सिलने में माहिर कारीगर हैं, मगर उनके बुने हुए कपडे सिर्फ सज्जन, ईमानदार और वफादार लोगों को ही नज़र आते हैं, अगले ही दिन राजा से उनकी मुलाक़ात हुई...राजा उन ठगों का दावा सुनकर खुश हो गया...और उसने उनसे अपने लिए एक शाही जोड़ा तैयार करने का आदेश दिया....बदले में ठगों ने राजा से एक लाख सोने की मोहरों की मांग की...जिसे राजा ने सहर्ष स्वीकार कर लिया, ठगों को उनकी इच्छा के अनुसार उम्दा कमरा...खाना पीना और ऐशो आराम दिया गया !
कुछ दिन बीतने के बाद राजा को अपने तैयार होने वाले जोड़े के बारे में जानने की इच्छा हुयी...उसने अपने महामंत्री से कहा कि जाकर देखकर आओ क्या प्रगति है...महामंत्री ठगों के कमरे में गया ...जैसे ही ठगों को खबर हुई कि महामंत्री शाही जोड़े के प्रगति के बारे में जानने आ रहे हैं...उन्होंने ऐसा अभिनय करना शुरू किया जैसे वो कपडे को थान में लपेट रहे हों....महामंत्री को वहाँ कोई कपडा तो नज़र आया नहीं....मगर ठग बाक़ायदा अपने अभिनय में लगे रहे...महामंत्री ने पूछा कि शाही जोड़े की तैय्यारी कहाँ तक पहुंची...? ठगों ने कहा कि कपडा तो बुन लिया है...और थान में लपेट रहे हैं...अब सिर्फ सिलाई का काम बाक़ी है, महामंत्री हैरान होकर बोला कि मुझे तो कहीं कोई कपडा नज़र ही नहीं आ रहा, इस पर ठगों ने कहा कि आपको याद है कि हमने कहा था कि वो जादुई कपडा सिर्फ सज्जन, ईमानदार और वफादार लोगों को ही नज़र आता है, आपको नज़र नहीं आ रहा ....यानि आप या तो नेक नहीं है, ईमानदार नहीं हैं....या फिर वफादार नहीं है, राजा साहब को आपका यह चरित्र शायद पता ही नहीं है ? इस पर महामंत्री घबरा गया....और बोला कि नहीं कपडा बहुत ही बारीक है...इसलिए अब मुझे हल्का हल्का कपडा थान पर नज़र तो आ रहा है....और यह कहता हुआ ...उलटे पाँव वापस भाग लिए !
ऐसे ही चार पांच चक्कर लगवाने के बाद एक दिन ठग मंडली ने दरबार में घोषणा की कि महाराज का जादुई शाही जोड़ा तैयार है, राजा ख़ुशी ख़ुशी उनके कमरे में गया, वहाँ ठगों ने उनसे कहा कि आप अपने पुराने कपडे उतार दीजिये....आपका जादुई शाही जोड़ा लेकर आते हैं...राजा ने फ़ौरन ही अपने पहने कपडे अलग किये और तैयार हो गया...ठग मंडली के चारों सदस्य दूसरे कमरे से ऐसा अभिनय करते निकले जैसे किसी जोड़े को बहुत ही सम्भाल कर ला रहे हों, राजा अवाक रह गया, उसने कहा कि यह क्या हो रहा है, जादुई शाही जोड़ा कहाँ है....? तब ठगों ने कहा कि महाराज हम वही तो लेकर आ रहे हैं...कहीं ऐसा तो नहीं कि यह जोड़ा आपको नज़र ही नहीं आ रहा हो ? राजा सन्न रह गया ...फिर उसे ठगों द्वारा कही बातें याद आ गयीं कि यह जादुई जोड़ा सिर्फ सज्जन, ईमानदार, और वफादार लोगों को ही नज़र आता है...उसने सोचा ज़रूर मुझमें कहीं खोट है....जो मुझे यह जोड़ा नज़र नहीं आ रहा ! कुछ हिचकिचाकर उसने कहा मैं तो मज़ाक़ कर रहा था...लाओ पहना दो, इस पर ठगों ने उसे जोड़ा पहनाने का भरपूर अभिनय किया...और अंत में पायजामे के नाड़े की गाँठ बांघने का अभिनय करते बोले.....लीजिये महाराज ! आपका जादुई शाही जोड़ा तैयार है, अब आप दुनिया में इकलौते ऐसे राजा हैं जिसके पास यह जादुई जोड़ा है ! यह कहते हुए ठगों ने राजा के सर पर उसकी शाही पगड़ी रखी ...और जाने की आज्ञा के साथ अपना मेहनताना एक लाख सोने की मोहरें मांगी...जिसे राजा ने फ़ौरन ही मंगवा कर उनको दीं....एक लाख मोहरें लेकर ठग मंडली ....महल से निकल गयी !
अब महाराज सर पर पगड़ी रखे ...नंगे ही ...ठगों के कमरे से बाहर निकले...और दरबार में जा पहुंचे, राजा को नंगा आते देख सारे दरबारियों की आँखें फटी की फटी रह गयीं और उनकी चीखें निकल गयीं, राजा ने सोचा मेरा जादुई शाही जोड़ा और उसकी सुंदरता देख इनकी चीखें निकल रही है, तभी महामंत्री ने जल्दी जल्दी सभी को बताया कि भूल कर भी सच मत बोल देना...महाराज ने जो जादुई शाही जोड़ा पहन रखा है, वो सिर्फ सज्जन, ईमानदार और वफादार लोगों को ही नज़र आता है, यदि हमें नज़र नहीं आ रहा ....और हमने राजा से कह दिया ...तो अपनी नौकरी तो गयी...सो भला इसी में है कि जयकारे लगाते रहो...अपनी बला से नंगा ही घूमता फिरे, हमें इससे क्या ...इसी बीच नंगे महाराज अपने सिंहासन पर विराजमान हो चुके थे...और उन्होंने वहाँ से आवाज़ लगाईं....सभी शांत हो जाएँ....और यह बताएं कि मेरा यह जादुई शाही जोड़ा कैसा लग रहा है ? सभी दरबारी अपने नंगे महाराज को देखा और एक सुर में बोले..." वाह वाह महाराज ...आपकी जय हो, इस जादुई जोड़े में तो आप पर निराली छटा छा रही है...आप बहुत ही सुन्दर, शक्ति शाली, आभामय लग रहे हैं !"
यह सुनकर नंगे महाराज ख़ुशी से फूले नहीं समाये...और उन्होंने तुरंत ही घोषणा कर डाली कि ....मैं अभी शहर का दौरा करूंगा....और अपनी प्रजा को इस जादुई शाही जोड़े के दर्शन कराउंगा ...महामंत्री ने तुरंत फुरंत ही नंगे महाराज के दौरे का इंतज़ाम किया, शहर में चुपचाप मुनादी करा दी गयी कि महाराज अपने जादुई शाही जोड़े को पहन कर जनता जनार्दन को दर्शन देने पधार रहे हैं, कोई आवाज़ नहीं करे....जैसा हम कहें और जैसी हम नारे बाज़ी और वाह वाही करें...सभी वैसा ही करें...वर्ना खैर नहीं...क्योंकि यह जोड़ा सिर्फ सज्जन, ईमानदार और वफादार लोगों को ही नज़र आता है ...इंतज़ाम पूरे होने के बाद एक सजे हुए हाथी पर नंगे महाराज केवल सर पर पड़गी पहने ....शहर के दौरे पर निकल लिए !
जब नंगे महाराज हाथी पर बैठ कर शहर में निकल रहे थे....तो जनता का हंसी के मारे बुरा हाल था...मगर कुछ चापलूसी में तो कुछ भय के कारण....नंगे महाराज के जादुई शाही जोड़े के सम्मान में जयकारे कर रहे थे....तारीफें की जा रही थीं.....वाह वाही हो रही थी....तभी भीड़ में एक छोटा नन्हा बच्चा बाहर आया, उसने जैसे ही राजा को देखा ...तो ठहाके मार कर हंसने लगा ....और चिल्लाया " राजा नंगा.....राजा नंगा...!" लोगों ने हँसते.....झेंपते हुए ....फ़ौरन ही उसके मुंह पर हाथ रख दिया...और भीड़ से बाहर ले गए !
कुल मिलकर यदि इस कहानी को देश के राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो ...हमें ऐसे कई नंगे महाराजा बखूबी नज़र आयेंगे, जो मुद्दों से दूर अपनी अपनी ढफली अपने अपने राग लिए जनता के सामने परेड करते नज़र आते हैं ...उन्हें भ्रमित करते नज़र आयेंगे...साथ ही में उनके जयकारे करती ...चापलूस मंडली ....के साथ कई ठग मंडलियां भी अपना उल्लू सीधा करती नज़र आएंगी..... और यदि इनके बीच कोई इनको आईना दिखाने की कोशिश करे तो...उसे कान पकड़ कर धकेल दिया जाता है, या फिर इन नंगे महाराजाओं के चाटुकार और चापलूस उसपर टूट पड़ते हैं...जमकर लठैती होती है ! जनता को ऐसा राजा चाहिए होता है जो खुद अपने गिरेबान में झाँक सकता हो, चाटुकारिता और चापलूसी से नफरत करता हो, आडम्बर, अभिमान, घमंड से परे हो, .वास्तविकता से परिचित हो, हवा में न रह कर ज़मीन की बात करे...अपने फैसले लेने की क्षमता हो, जनमानस की नब्ज़ पहचानता हो, सुखों और दुखों से भली भाँती परिचित हो, अपनी जनता के दुखों और उनसे जुड़े मुद्दों के लिए प्रतिबद्ध हो, और अपने राज्य के सर्वांगीण विकास, गौरव और सम्मान की बात करे !!
जय हिन्द !!
(Disclaimer :- इस काल्पनिक कहानी का किसी ज़िंदा या मुर्दा ...या तख़्त नशीं या किसी होने वाले राजा से किसी प्रकार का कोई लेना देना नहीं है )
इसी बीच चार ठगों की एक मंडली को भी राजा की इस दुर्गुणों और कमज़ोरी का पता चला, उन्होंने एक योजना बनाई और दरबार के लिए निकल लिए ! वहाँ पहुँच कर उन्होंने राजा से मिलने की इच्छा जताई और बताया कि वो बहुत ही बारीक, नफीस और कमाल का जादुई कपडा बुनने और सिलने में माहिर कारीगर हैं, मगर उनके बुने हुए कपडे सिर्फ सज्जन, ईमानदार और वफादार लोगों को ही नज़र आते हैं, अगले ही दिन राजा से उनकी मुलाक़ात हुई...राजा उन ठगों का दावा सुनकर खुश हो गया...और उसने उनसे अपने लिए एक शाही जोड़ा तैयार करने का आदेश दिया....बदले में ठगों ने राजा से एक लाख सोने की मोहरों की मांग की...जिसे राजा ने सहर्ष स्वीकार कर लिया, ठगों को उनकी इच्छा के अनुसार उम्दा कमरा...खाना पीना और ऐशो आराम दिया गया !
कुछ दिन बीतने के बाद राजा को अपने तैयार होने वाले जोड़े के बारे में जानने की इच्छा हुयी...उसने अपने महामंत्री से कहा कि जाकर देखकर आओ क्या प्रगति है...महामंत्री ठगों के कमरे में गया ...जैसे ही ठगों को खबर हुई कि महामंत्री शाही जोड़े के प्रगति के बारे में जानने आ रहे हैं...उन्होंने ऐसा अभिनय करना शुरू किया जैसे वो कपडे को थान में लपेट रहे हों....महामंत्री को वहाँ कोई कपडा तो नज़र आया नहीं....मगर ठग बाक़ायदा अपने अभिनय में लगे रहे...महामंत्री ने पूछा कि शाही जोड़े की तैय्यारी कहाँ तक पहुंची...? ठगों ने कहा कि कपडा तो बुन लिया है...और थान में लपेट रहे हैं...अब सिर्फ सिलाई का काम बाक़ी है, महामंत्री हैरान होकर बोला कि मुझे तो कहीं कोई कपडा नज़र ही नहीं आ रहा, इस पर ठगों ने कहा कि आपको याद है कि हमने कहा था कि वो जादुई कपडा सिर्फ सज्जन, ईमानदार और वफादार लोगों को ही नज़र आता है, आपको नज़र नहीं आ रहा ....यानि आप या तो नेक नहीं है, ईमानदार नहीं हैं....या फिर वफादार नहीं है, राजा साहब को आपका यह चरित्र शायद पता ही नहीं है ? इस पर महामंत्री घबरा गया....और बोला कि नहीं कपडा बहुत ही बारीक है...इसलिए अब मुझे हल्का हल्का कपडा थान पर नज़र तो आ रहा है....और यह कहता हुआ ...उलटे पाँव वापस भाग लिए !
ऐसे ही चार पांच चक्कर लगवाने के बाद एक दिन ठग मंडली ने दरबार में घोषणा की कि महाराज का जादुई शाही जोड़ा तैयार है, राजा ख़ुशी ख़ुशी उनके कमरे में गया, वहाँ ठगों ने उनसे कहा कि आप अपने पुराने कपडे उतार दीजिये....आपका जादुई शाही जोड़ा लेकर आते हैं...राजा ने फ़ौरन ही अपने पहने कपडे अलग किये और तैयार हो गया...ठग मंडली के चारों सदस्य दूसरे कमरे से ऐसा अभिनय करते निकले जैसे किसी जोड़े को बहुत ही सम्भाल कर ला रहे हों, राजा अवाक रह गया, उसने कहा कि यह क्या हो रहा है, जादुई शाही जोड़ा कहाँ है....? तब ठगों ने कहा कि महाराज हम वही तो लेकर आ रहे हैं...कहीं ऐसा तो नहीं कि यह जोड़ा आपको नज़र ही नहीं आ रहा हो ? राजा सन्न रह गया ...फिर उसे ठगों द्वारा कही बातें याद आ गयीं कि यह जादुई जोड़ा सिर्फ सज्जन, ईमानदार, और वफादार लोगों को ही नज़र आता है...उसने सोचा ज़रूर मुझमें कहीं खोट है....जो मुझे यह जोड़ा नज़र नहीं आ रहा ! कुछ हिचकिचाकर उसने कहा मैं तो मज़ाक़ कर रहा था...लाओ पहना दो, इस पर ठगों ने उसे जोड़ा पहनाने का भरपूर अभिनय किया...और अंत में पायजामे के नाड़े की गाँठ बांघने का अभिनय करते बोले.....लीजिये महाराज ! आपका जादुई शाही जोड़ा तैयार है, अब आप दुनिया में इकलौते ऐसे राजा हैं जिसके पास यह जादुई जोड़ा है ! यह कहते हुए ठगों ने राजा के सर पर उसकी शाही पगड़ी रखी ...और जाने की आज्ञा के साथ अपना मेहनताना एक लाख सोने की मोहरें मांगी...जिसे राजा ने फ़ौरन ही मंगवा कर उनको दीं....एक लाख मोहरें लेकर ठग मंडली ....महल से निकल गयी !
अब महाराज सर पर पगड़ी रखे ...नंगे ही ...ठगों के कमरे से बाहर निकले...और दरबार में जा पहुंचे, राजा को नंगा आते देख सारे दरबारियों की आँखें फटी की फटी रह गयीं और उनकी चीखें निकल गयीं, राजा ने सोचा मेरा जादुई शाही जोड़ा और उसकी सुंदरता देख इनकी चीखें निकल रही है, तभी महामंत्री ने जल्दी जल्दी सभी को बताया कि भूल कर भी सच मत बोल देना...महाराज ने जो जादुई शाही जोड़ा पहन रखा है, वो सिर्फ सज्जन, ईमानदार और वफादार लोगों को ही नज़र आता है, यदि हमें नज़र नहीं आ रहा ....और हमने राजा से कह दिया ...तो अपनी नौकरी तो गयी...सो भला इसी में है कि जयकारे लगाते रहो...अपनी बला से नंगा ही घूमता फिरे, हमें इससे क्या ...इसी बीच नंगे महाराज अपने सिंहासन पर विराजमान हो चुके थे...और उन्होंने वहाँ से आवाज़ लगाईं....सभी शांत हो जाएँ....और यह बताएं कि मेरा यह जादुई शाही जोड़ा कैसा लग रहा है ? सभी दरबारी अपने नंगे महाराज को देखा और एक सुर में बोले..." वाह वाह महाराज ...आपकी जय हो, इस जादुई जोड़े में तो आप पर निराली छटा छा रही है...आप बहुत ही सुन्दर, शक्ति शाली, आभामय लग रहे हैं !"
यह सुनकर नंगे महाराज ख़ुशी से फूले नहीं समाये...और उन्होंने तुरंत ही घोषणा कर डाली कि ....मैं अभी शहर का दौरा करूंगा....और अपनी प्रजा को इस जादुई शाही जोड़े के दर्शन कराउंगा ...महामंत्री ने तुरंत फुरंत ही नंगे महाराज के दौरे का इंतज़ाम किया, शहर में चुपचाप मुनादी करा दी गयी कि महाराज अपने जादुई शाही जोड़े को पहन कर जनता जनार्दन को दर्शन देने पधार रहे हैं, कोई आवाज़ नहीं करे....जैसा हम कहें और जैसी हम नारे बाज़ी और वाह वाही करें...सभी वैसा ही करें...वर्ना खैर नहीं...क्योंकि यह जोड़ा सिर्फ सज्जन, ईमानदार और वफादार लोगों को ही नज़र आता है ...इंतज़ाम पूरे होने के बाद एक सजे हुए हाथी पर नंगे महाराज केवल सर पर पड़गी पहने ....शहर के दौरे पर निकल लिए !
जब नंगे महाराज हाथी पर बैठ कर शहर में निकल रहे थे....तो जनता का हंसी के मारे बुरा हाल था...मगर कुछ चापलूसी में तो कुछ भय के कारण....नंगे महाराज के जादुई शाही जोड़े के सम्मान में जयकारे कर रहे थे....तारीफें की जा रही थीं.....वाह वाही हो रही थी....तभी भीड़ में एक छोटा नन्हा बच्चा बाहर आया, उसने जैसे ही राजा को देखा ...तो ठहाके मार कर हंसने लगा ....और चिल्लाया " राजा नंगा.....राजा नंगा...!" लोगों ने हँसते.....झेंपते हुए ....फ़ौरन ही उसके मुंह पर हाथ रख दिया...और भीड़ से बाहर ले गए !
कुल मिलकर यदि इस कहानी को देश के राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो ...हमें ऐसे कई नंगे महाराजा बखूबी नज़र आयेंगे, जो मुद्दों से दूर अपनी अपनी ढफली अपने अपने राग लिए जनता के सामने परेड करते नज़र आते हैं ...उन्हें भ्रमित करते नज़र आयेंगे...साथ ही में उनके जयकारे करती ...चापलूस मंडली ....के साथ कई ठग मंडलियां भी अपना उल्लू सीधा करती नज़र आएंगी..... और यदि इनके बीच कोई इनको आईना दिखाने की कोशिश करे तो...उसे कान पकड़ कर धकेल दिया जाता है, या फिर इन नंगे महाराजाओं के चाटुकार और चापलूस उसपर टूट पड़ते हैं...जमकर लठैती होती है ! जनता को ऐसा राजा चाहिए होता है जो खुद अपने गिरेबान में झाँक सकता हो, चाटुकारिता और चापलूसी से नफरत करता हो, आडम्बर, अभिमान, घमंड से परे हो, .वास्तविकता से परिचित हो, हवा में न रह कर ज़मीन की बात करे...अपने फैसले लेने की क्षमता हो, जनमानस की नब्ज़ पहचानता हो, सुखों और दुखों से भली भाँती परिचित हो, अपनी जनता के दुखों और उनसे जुड़े मुद्दों के लिए प्रतिबद्ध हो, और अपने राज्य के सर्वांगीण विकास, गौरव और सम्मान की बात करे !!
जय हिन्द !!
(Disclaimer :- इस काल्पनिक कहानी का किसी ज़िंदा या मुर्दा ...या तख़्त नशीं या किसी होने वाले राजा से किसी प्रकार का कोई लेना देना नहीं है )
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