कभी सोचा नहीं था कि ऐसा दौर भी आएगा कि लोगों को अपने
आपको राष्ट्रवादी होने का बखान करने के लिए चिल्लाना भी होगा, चीख चीख कर
जनता को बताना होगा कि वो राष्ट्रवादी हैं, अब वो चाहें नेता हों उनके
समर्थक हों, कोई भी संगठन हो या फिर आम हिंदुस्तानी ! देखा जा रहा है कि हर
कोई अपने आपको राष्ट्रवादी बताने की होड़ में लगा है, रोज़ राष्ट्रवाद की
नयी परिभाषाएं गढ़ी जा रही हैं, हर कोई अपने अपने राष्ट्रवाद का झंडा उठाये
दौड़ा चला जा रहा है, पूछताछ पर राष्ट्रवाद के झंडे से डंडा निकाल लिया
जाता है !
अब सवाल यह उठता है कि जो देशवासी अपने आपको राष्ट्रवादी होने के लिए चिल्ला नहीं रहे हैं और ख़ामोशी से राष्ट्रवाद के कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं, तो क्या वो राष्ट्रविरोधी घोषित हो गए ? क्या किसी माँ के बच्चों में से कोई बच्चा मातृत्व प्रेम की अपनी अपनी परिभाषाएं गढ़ता है ? चीख चीख कर शेष परिवार को यह जताता हैं कि सिर्फ वही मातृत्व का सम्मान करता है, प्यार करता है, शेष मातृत्व का अपमान करते हैं, या प्रेम नहीं करते ?
इसको क्या दिखावा नहीं कहा जा सकता, या कुछ और बात है ? राष्ट्रवाद किसी दिखावे या किसी प्रतीकात्मकता का मोहताज नहीं है, यह तो एक जज्बा होता है एक विचार होता है, जो रगों में खून के साथ दौड़ता है !
अब तो लगने लगा है कि राष्ट्रवाद का भी राजनीतिकरण हो चला है, राजनैतिक दल अपनी अपनी सहूलियत और वोटों के समीकरण के आधार पर राष्ट्रवाद की परिभाषाएं गढ़ रहे हैं, सबके राष्ट्रवाद के अपने अपने झंडे हैं अपनी अपनी परिभाषाएं हैं, और इन परिभाषाओं की जंग में जमकर चीख पुकार मची है, होड़ सी लगी है, त्राहिमाम मचा है, लगने लगा है कि चिल्ला चिल्ला कर अपने आपको राष्टवादी बताना एक स्टेटस सिम्बल बन गया है, इसका एक अप्रत्यक्ष सन्देश शायद यह भी हो कि जो चिल्ला कर अपने आपको राष्ट्रवादी घोषित नहीं कर रहे ....वो शायद कहीं न कहीं राष्ट्र विरोधी हैं !
राष्ट्रवाद एक विचारधारा है, एक सशक्त भावना है, राष्ट्र के प्रति एक अगाध निष्ठा की भावना है, सामूहिकता की भावना का दृढीकरण है, और यह भावना, विचारधारा और निष्ठा किसी दिखावे, शोर शराबे या किसी राजनैतिक दल/नेता या संगठन की कतई मोहताज नहीं है !
जय हिन्द !!
अब सवाल यह उठता है कि जो देशवासी अपने आपको राष्ट्रवादी होने के लिए चिल्ला नहीं रहे हैं और ख़ामोशी से राष्ट्रवाद के कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं, तो क्या वो राष्ट्रविरोधी घोषित हो गए ? क्या किसी माँ के बच्चों में से कोई बच्चा मातृत्व प्रेम की अपनी अपनी परिभाषाएं गढ़ता है ? चीख चीख कर शेष परिवार को यह जताता हैं कि सिर्फ वही मातृत्व का सम्मान करता है, प्यार करता है, शेष मातृत्व का अपमान करते हैं, या प्रेम नहीं करते ?
इसको क्या दिखावा नहीं कहा जा सकता, या कुछ और बात है ? राष्ट्रवाद किसी दिखावे या किसी प्रतीकात्मकता का मोहताज नहीं है, यह तो एक जज्बा होता है एक विचार होता है, जो रगों में खून के साथ दौड़ता है !
अब तो लगने लगा है कि राष्ट्रवाद का भी राजनीतिकरण हो चला है, राजनैतिक दल अपनी अपनी सहूलियत और वोटों के समीकरण के आधार पर राष्ट्रवाद की परिभाषाएं गढ़ रहे हैं, सबके राष्ट्रवाद के अपने अपने झंडे हैं अपनी अपनी परिभाषाएं हैं, और इन परिभाषाओं की जंग में जमकर चीख पुकार मची है, होड़ सी लगी है, त्राहिमाम मचा है, लगने लगा है कि चिल्ला चिल्ला कर अपने आपको राष्टवादी बताना एक स्टेटस सिम्बल बन गया है, इसका एक अप्रत्यक्ष सन्देश शायद यह भी हो कि जो चिल्ला कर अपने आपको राष्ट्रवादी घोषित नहीं कर रहे ....वो शायद कहीं न कहीं राष्ट्र विरोधी हैं !
राष्ट्रवाद एक विचारधारा है, एक सशक्त भावना है, राष्ट्र के प्रति एक अगाध निष्ठा की भावना है, सामूहिकता की भावना का दृढीकरण है, और यह भावना, विचारधारा और निष्ठा किसी दिखावे, शोर शराबे या किसी राजनैतिक दल/नेता या संगठन की कतई मोहताज नहीं है !
जय हिन्द !!
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