रविवार, 26 नवंबर 2017

मुझे अपने हिस्से की थोड़ी 'प्राइवेसी' दे दो प्लीज़ !!

जब से सरकार ने आधार को बैंक खाते, मोबाइल सिम आदि से लिंक करना अनिवार्य कर दिया है, लोगो की आफत आयी हुई है, यदि आधार इसी तरह से हर चीज़ से लिंक होता रहा तो भविष्य में हमारी निजी से भी निजी जानकारियां एक क्लिक पर डिजिटल चौराहे पर किसी को भी आसानी से उपलब्ध हो जाएंगी, तब कैसा हाल होगा ? इस पर एक व्यंग्य पेश है :-

एक ग्राहक पिज़्ज़ा शॉप पर फोन लगाता है :

पिज़्ज़ा शॉप से सेल्स गर्ल : गुड़ इवनिंग सर !

ग्राहक : हेल्लो मुझे एक पिज़्ज़ा आर्डर करना है !

सेल्स गर्ल : श्योर सर, केन आई हेव योर योर मल्टी परपज़ आइडेंटिफिकेशन नंबर ?

ग्राहक : एक सेकंड .... ये है RSP 0686740 xyz

सेल्स गर्ल : नंबर बताने के लिए शुक्रिया, क्या मैं मुरारी जी से बात कर रही हूँ ?

ग्राहक : जी बिलकुल !

सेल्स गर्ल : क्या आप लम्बी गली के पास वाले पोस्ट ऑफिस के पीछे मकान नंबर 420 में रहते हैं ?

ग्राहक : जी बिलकुल सही है !

सेल्स गर्ल : और आपका मोबाइल नंबर है : 9028 ..... आदि इत्यादि है ?

ग्राहक : जी यही है !

सेल्स गर्ल : और लेंड लाइन नंबर 0 .......xyz है ?

ग्राहक : जी यही है, मगर आपके पास ये सब जानकारियां कैसे हैं ?

सेल्स गर्ल : हम मल्टी परपज़ आइडेंटिफिकेशन नंबर के ज़रिये आधार से जुड़ गए हैं, इसीलिए आपकी सारी जानकारी आपको बता रहे हैं !

ग्राहक : ये अच्छी बात है, खैर मैं एक रेगुलर साइज पिज़्ज़ा आर्डर करना चाहता हूँ !

सेल्स गर्ल : ज़रूर श्रीमान, मगर शायद आपका चयन सही नहीं है !

ग्राहक : क्या मतलब ?

सेल्स गर्ल : जैसा कि हम आपकी मेडिकल हिस्ट्री के रिकॉर्ड से देख पा रहे हैं कि अगस्त 2017 को मुंबई हॉस्पिटल में आपके आखरी चेक अप में आपको हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर दर्ज हुआ था !

ग्राहक : ये आप क्या कह रही हैं ?

सेल्स गर्ल : हॉस्पिटल की रिपोर्ट मेरे सामने हैं !

ग्राहक : ओके  ओके, अब आप क्या सजेस्ट करेंगी ?

सेल्स गर्ल : हम आपको लो कैलोरी पिज़्ज़ा लेने की सलाह देंगे सर !

ग्राहक : ठीक है, इसकी क़ीमत कितनी होगी ?

सेल्स गर्ल : इसकी क़ीमत 350/- रूपये होगी !

ग्राहक : ओके, आप घर पिज़्ज़ा भिजवा दीजिये, मैं क्रेडिट कार्ड से पेमेंट कर दूंगा !

सेल्स गर्ल : मुझे खेद है, आपको कैश से ही पेमेंट करना होगा !

ग्राहक : मगर क्यों, किसलिए ?

सेल्स गर्ल : वो इसलिए कि आपके 'लेना बैंक' के क्रेडिट कार्ड की क्रेडिट लिमिट पूरी हो चुकी है, आप पर बैंक के 79,785/- रुपए भी बाक़ी चल रहे हैं !

ग्राहक : बस बस आगे कुछ मत कहिये, आप मुझे पिज़्ज़ा भेजें मैं नज़दीकी ATM से कैश निकलकर पेमेंट कर दूंगा !

सेल्स गर्ल : सॉरी सर, आप अपने बैंक के ATM से डेली कैश लिमिट क्रॉस कर चुके हैं, जब आप अपनी पत्नी को छोड़ने एयरपोर्ट गए थे, तो आपने लिमिट वाला कैश निकल लिया था !

ग्राहक : उफ्फ्फ, ये सब आपको कैसे पता ?

सेल्स गर्ल : सर हम मल्टी परपज़ आइडेंटिफिकेशन सिस्टम से जुड़े हुए हैं इसलिए !

ग्राहक : चलिए पिज़्ज़ा भेजिए, मेरे पास इतना कैश तो है, मैं पेमेंट यही कर दूंगा, कितना समय लगेगा डिलीवरी में ?

सेल्स गर्ल : दस मिनट में पिज़्ज़ा पहुँच जायेगा सर !

ग्राहक : दस मिनट तो बहुत हो जायेंगे, मुझे बहुत भूख लगी है !

सेल्स गर्ल : फिर ऐसा कीजिये कि आपके घर के पास चार मिनट की कार ड्राइव की दूरी पर एक पिज़्ज़ा शॉप है, आप अपनी लाल फिएट कार नंबर xyz 0420 से पहुँच सकते हैं !

ग्राहक : ऐसी की तैसी $%?@@%*& ये क्या तमाशा लगा रखा है तुमने !

सेल्स गर्ल : देखिये सर आप इस तरह की भाषा इस्तेमाल नहीं कर सकते, जैसा कि हम मल्टी परपज़ आइडेंटिफिकेशन नंबर सिस्टम से देख पा रहे हैं, आप फ़रवरी 2015 में एक पुलिसवाले से गाली गलौच करने के आरोप में चार दिन हवालात की हवा भी खा चुके हैं, इसके अलावा जून 2016 में एक महिला से दुर्व्यवहार करने के आरोप में भी जेल जा चुके हैं !

ग्राहक : आग लगे इस मल्टी परपज़ आइडेंटिफिकेशन नंबर के सिस्टम को,  हे भगवान् कैसे भी करके मुझे मेरी थोड़ी सी प्राइवेसी प्रदान कर दो !!


शुक्रवार, 10 नवंबर 2017

अरबी फारसी शोध संस्थान टोंक में तीन दिवसीय अखिल भारतीय सेमिनार संपन्न !!

विश्व में टोंक का नाम रोशन करने वाली शोध संस्थान मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी रिसर्च इंस्टिट्यूट में 7 से 9 नवम्बर' 2017 तक आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय सेमिनार संपन्न हुआ, समारोह के मुख्य अतिथि टोंक विधायक अजीत सिंह मेहता थे, जबकि समारोह की अध्यक्षता मेजर अनवर शाह खान ने की !


इस सेमिनार का विषय था 'अरबी फ़ारसी और उर्दू में संस्कृत भाषा की धरोहर !', सेमिनार में विभिन्न राज्यों के लगभग 35 साहित्यकारों, विद्वानों और स्कालर्स ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये, जिनमें प्रमुख थे पटना यूनिवर्सिटी के फारसी विभाग के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद आबिद हुसैन, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमीरेटस, फारसी विभाग के अब्दुल कादर जाफरी साहब, कुरू क्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा की प्रोफेसर पुष्पा शर्मा, डॉ. अब्दुल कादिर जाफरी, इलाहबाद, प्रो. ईद मोहम्मद (पटना) प्रो. ताहिरा वहीद अब्बासी, भोपाल और प्रोफेसर मोहम्मद आबिद हुसैन (पटना) थे !


वहीँ दूसरे सेशन में कोटा राजस्थान से डॉ. हुस्न आरा (विभागाध्यक्ष - उर्दू, राजकीय महाविद्यालय, कोटा) ने 'संस्कृत ज़बान की विरासत भगवत गीता एक जायज़ा', पर शोध पत्र पढ़ा और भगवत गीता के उपदेशों की वर्तमान समय में अहमियत और उसके शांति के संदेशों पर रौशनी डाली, और गीता को क़ौमी एकता को फ़रोग़ देने में सहायक बताया, जिसकी काफी सराहना की गयी, तथा उदयपुर की डॉ. सरवत खान ने 'कालीदास का संस्कृत नाटक अभिज्ञान शकुन्तलम का उर्दू तरजुमा शकुन्तला अज सागर निजामी', पर शोध पत्र पढ़ा !


सेमीनार के तीसरे सेशन में डॉ. रामअवतार मीणा, डॉ. राशिद मियां, डॉ. अजीजुल्लाह शीरानी और मुख्तार टोंकी ने अपने शोध पत्र पढे !

चौथे और अंतिम सेशन में मोहम्मद उमर खान, प्रो. ताहिरा वहीद अब्बासी, कैफ, डॉ. नुसरत फातिमा, अनवारून्निसां नादेरा, मुफती मोहम्मद आदिल नदवी, डॉ. रउफ अहमद, प्रो. कमर गफ्फार, डॉ. सैयद अब्दुल मोहिमिन, मोलाना मोहम्मद असलम इसलाहुद्दीन, डॉ. सैयद बदर अहमद और डॉ. खुर्शीद जहां ने भी शोध पत्र पढे जो अरबी फारसी और अंग्रेजी भाषा में थे !

बुधवार, 23 अगस्त 2017

ट्रिपल तलाक़ फैसला और सरकार की नियत !!


कल सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने विवादास्पद तीन तलाक़ पर फैसला दे दिया है, लोग और मीडिया इसे भले ही इसे मुस्लिम महिलाओं को मिली आज़ादी या मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश कर रहे हैं मगर असलियत कुछ और ही है !

सबसे पहली बात तो ये कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल इंस्टेंट ट्रिपल तलाक़ (तलाक-ए-बिद्दत) को असंवैधानिक घोषित करने की मांग तो ठुकरा दी लेकिन सरकार को कानून बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया है !

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने क़ुरआने पाक में बताये गए तरीके से नियमानुसार और तय शुदा अवधि में तलाक़ या तीन तलाक़ देने पर किसी प्रकार की कोई समीक्षा या निर्देश नहीं दिए हैं, यानी तलाक़ देने वाले शरीयत के हिसाब  तलाक़ देंगे ही !

इस्लाम सिर्फ एक मज़हब ही नहीं नैतिक व्यवस्था के अंतर्गत एक जीवन पद्धति है, क़ुरआने पाक में इस नैतिक व्यवस्था और जीवन पद्धति के लिए हर तरह की हिदायतें और निर्देश हैं !

इस्लाम मे तलाक़ को बुरा माना गया है, और तलाक देने जरूरी हो जाये तो तलाक़ देने के लिए क़ुरआने पाक में सम्बंधित निर्देश दिए गए हैं !

मामला इसलिए बिगड़ा कि सही वक़्त पर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस इंस्टेंट ट्रिपल तलाक़ मुद्दे पर उचित और त्वरित क़दम नहीं उठाये ! लोगो को तलाक़ के बुनियादी उसूल नहीं समझाए गए, गली मोहल्ले छाप मौलानाओं ने इस इंस्टेंट ट्रिपल तलाक़ (तलाक-ए-बिद्दत) की अपनी अपनी तरह से व्याख्याएं कीं और पीड़ित महिलाओं को इन्साफ से वंचित रखा गया !

अब बात करते हैं ट्रिपल तलाक़ पर आये फैसले पर मोदी सरकार की तथाकथित ऐतिहासिक 'उपलब्धि' की, बारीकी से देखे तो इस मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक स्तर सुधारने या मुस्लिम समुदाय के भले का समीकरण दूर दूर तक नज़र नहीं आ रहा ! 


यह बात अलग है कि इंस्टेंट ट्रिपल तलाक़ के गिनती के जो मामले होते थे, उनमें कमी आएगी और इस कमी का न सिर्फ AIMPLB बल्कि सभी मुसलमान सहर्ष स्वागत भी करेंगे  ! इंस्टेंट ट्रिपल तलाक़ के मामले मुस्लिम आबादी के आंकड़ों के अनुपात में भूसे के ढेर में सुई के सामान हैं, और इसके कोई आधिकारिक आंकड़े भी मौजूद नहीं है, केवल अनुमान हैं :-

"The divorce rate among Muslims in the 2011 Census is lower than among Hindus. And while there is no survey on cases of ‘triple talaq’, the incidence could be as low as 1% of the total."
Source :-
https://www.nationalheraldindia.com/minorities/census-put-muslim-divorce-rate-at-056-rate-triple-talaq-lower-than-hindus


आखरी बात इस इंस्टेंट तलाक़ पर आये फैसले और सरकार की नियत की तो इस ट्रिपल तलाक़ मुद्दे को मोदी सरकार ने मीडिया, अपने कुछ संगठनों के ज़रिये एक सुनियोजित रणनीति के तहत उछाल कर मुद्दा बना कर राजनैतिक हित उत्तरप्रदेश चुनाव में साधे थे !

यदि मोदी सरकार को मुस्लिम महिलाओं की इतनी चिंता है तो उन्हें इस बात पर भी गौर करना होगा कि केवल इंस्टेंट ट्रिपल तलाक़ पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश जारी करा देने से 20 करोड़ की आधी आबादी यानि मुस्लिम महिलाओं का उत्थान नहीं होने वाला, ना ही उनका सामाजिक जीवन सुधरने वाला, ये तभी संभव है जब मोदी जी समग्र मुस्लिम समुदाय के लिए ही ऐसी चिंता करें, और उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई ठोस नीति बनाएं !

बात अगर पीड़ित मुस्ल्मि महिलाओं की आती है तो गुमशुदा नजीब की माँ भी पीड़ित महिला है, दादरी के अख़लाक़ की बेवा भी मुस्लिम महिला है, बहरोड़ में मॉब लिंचिंग का शिकार हुए पहलू खान की अंधी माँ और उसकी बेवा बीवी, और हाल ही में ट्रैन में मारे गए जुनैद की माँ भी पीड़ित मुस्लिम महिला है !

इसलिए इस इंस्टेंट तलाक़ को मुस्लिम महिलाओं की जीत, सामाजिक उत्थान, सशक्तिकरण या फिर मोदी सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धि जैसे अलंकारों से अलंकृत करने के बजाय मूल में जाकर देखेंगे तो एक राजनैतिक हितसाधन का प्रयास ही नज़र आएगा !


यदि मुस्लिम महिलाओं की पारिवारिक सुरक्षा और उनके सामाजिक उत्थान की चिंता वास्तविक है तो उन्हें समस्त मुस्लिम समुदाय की चिंता करना होगी, सामाजिक सुरक्षा के लिए कोई कारगर नीति बनानी होगी, तभी ये सामाजिक उत्थान, पारिवारिक सुरक्षा और सशक्तिकरण जैसे अलंकरण साकार होंगे ! 

बुधवार, 19 जुलाई 2017

जानिये निजता की धज्जियाँ उड़ाते 'DNA प्रोफाइलिंग बिल' के बारे में !!


नोटबंदी और GST के बाद मोदी सरकार एक और करतब करने जा रही है, जिसकी तैयारी काफी पहले 2015 में ही पूरी कर ली गयी थी, वो है DNA प्रोफाइलिंग बिल !
यह बिल लगभग पूरा तैयार हो चुका है, आधार के बहाने 'निजता आपका मूल अधिकार है या नहीं' तक मुद्दा इसी लिए उछाला गया है ताकि इस विवादित बिल के लिए रास्ता साफ़ हो सके ! इस निजता के बहाने ही DNA प्रोफाइलिंग बिल की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है !
भारत के नागरिकों को निजता का अधिकार है या नहीं? क्या यह मौलिक अधिकार है? ये सवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश की सर्वोच्च अदालत में पूछ कर एक सिरहन-सी पैदा की है।
चिंता और अधिक इसलिए भी है क्योंकि ये सवाल ऐसे समय पूछा गया जब देश की संसद में डीएनए प्रोफाइलिंग बिल पेश होने को है और सर्वोच्च न्यायालय में आधार कार्ड और आधार परियोजना पर बहस चल रही है। क्या संकेत यह है कि नागरिक की निजता का जबर्दस्त उल्लंघन करने की तैयारी है?
क्या है DNA प्रोफाइलिंग बिल :-
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बिल के तहत डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए इनटिमेट बॉडी सैंपल्स (शरीर के प्राइवेट पार्ट्स का नमूना) इकट्ठा करने की योजना बना रही है। विशेषज्ञों के अनुसार बिल को लेकर देश भर में बड़ा विवाद उठ सकता है। बिल के मसौदे में जिंदा लोगों के भी प्राइवेट पार्ट्स के भी सैंपल लिए जाने की अनुशंसा की गई है।
डीएनए प्रोफाइलिंग विधेयक के प्रावधान तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं। इस विधेयक के मसौदे में जिंदा लोगों के शरीर से जांच के लिए नमूने लेने का प्रावधान किया गया है। नए कानून में व्यक्ति के शरीर से इनटिमेट बॉडी सैंपल (शरीर के गुप्तांगों के नमूने) लेने की तैयारी चल रही है। इसमें गुप्तांग, कूल्हे, स्त्री के स्तनों के नमूने और फोटोज़ लेने की तैयारी हो रही है।
गुप्तांगों का बाहरी परीक्षण के अलावा Pubic Hairs (गुदा के बालों) से सैंपल्स लेने का भी अधिकार जांच एजेंसियों को दिया जा रहा है। विधेयक में शरीर से न केवल नमूने लिए जाएंगे बल्कि उस हिस्से की फोटो या वीडियो रिकॉर्डिंग करने की भी छूट होगी। यानी एक व्यक्ति के शरीर का सारा ब्यौरा, उसका डीएनए प्रोफाइल राज्य के पास होगा।
अभी तो कहा जा रहा है कि सार्वजनिक नहीं किया जाएगा, लेकिन इस आश्वासन पर खुद ही वैज्ञानिक तैयार नहीं है। वैज्ञानिक दिनेश अब्रॉल का कहना है कि यह सीधे-सीधे नागरिकों की निजता पर हमला है और बड़ी कंपनियों के लिए भारतीय शरीर को प्रयोग के लिए गिनी पिग बनाने की खूली छूट है। इसका इस्तेमाल किसी जाति-किसी वर्ग, किसी समुदाय के खिलाफ किया जा सकता है। ऐसी कोई कानून किसी भी आजाद देश के नागरिक को गवारा नहीं हो सकता।
सरकार के अनुसार क्यों जरूरी है डीएनए बिल :-
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सरकार का तर्क है कि वर्तमान में अपराधी प्लास्टिक सर्जरी तथा अन्य मेडिकल सुविधाओं के चलते अपना रंग-रूप बदल लेते हैं, जिससे उनकी पहचान मुश्किल हो जाती है। डीएनए बिल से ऐसा नहीं हो सकेगा। डीएनए बिल पारित होने से अपराधी की त्वरित पहचान संभव हो सकेगी, खास तौर पर रेप और हत्या जैसे मामलों में अपराधी को पकड़ना सहज हो सकेगा।
इस बिल के मसौदे दस्तावेज में एक और बेहद चिंताजन पहलू भी है और वह यह कि इसका इस्तेमाल सिर्फ आपराधिक मामलों के निपटारे में ही नहीं बल्कि दीवानी मामलों में किया जाएगा। मिसाल के तौर पर सेरोगेसी, मातृत्व या पितृत्व, अंग प्रत्यारोपण, इमिग्रेशन और व्यक्ति की शिनाक्चत आदि में भी डीएनए प्रोफाइलिंग के इस्तेमाल की बात कही गई है।
और तो और डीएनए प्रोफाइल के जरिए जमा की गई जानकारी का प्रयोग जंनसंख्या को नियंत्रित करने के प्रयासों में भी किया जाएगा। इसे लेकर पहले अल्पसंख्यक समुदायों, आदिवासियों और दलितों में गहरी आशंकाएं हैं। इस तरह से जुटाई गई जानकारी को इन तमाम तबकों को निशाने पर लेने, उन्हें सामाजिक रूप से अपमानित करने और नियंत्रित करने में किया जा सकता है।
जहां तक अपराधियों को नियंत्रित करने, उनका ट्रैक रखने और उनसे संबंधित सारी जानकारियों को एक जगह जमा करने ताकि वह प्लासिट सर्जरी आदि कराकर भी बच न पाए-ये सब इस प्रस्तावित विधेयक का मुख्य लक्ष्य बताया जा रहा। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह फोरेंसिक प्रक्रिया केवल सजायाफ्ता के लिए ही नहीं बल्कि विचाराधीन कैदियों पर भी अपनाई जाएगी।
ये मसौदा बिल गई आपत्त‌ियों को सिरे से नजरंदाज करके संसद की दहलीज तक पहुंचा है। इस विधेयक के लिए जो उच्च स्तरीय समीक्षा कमेटी बनाई गई थी, जिसने लंबी अवधि तक सघन चर्चा हुई, उसके दो सदस्यों ने इन तमाम प्रावधानों की जमकर आपत्त‌ि जताई थी।
लेकिन उन्हें हैरानी है कि उनकी आपत्त‌ियों को मसौदे में कोई जगह नहीं मिली और न ही उनका उल्लेख किया गया। इस समिति के जिन दो सदस्यों ने निजता का हनन करने वाले इन प्रावधानों को हटाने की मांग की थी, वे है अंतर्राष्टीय कानूनविद उषा रमानाथन और सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी के निदेशक सुनील अब्राहम।
इस पूरे मसले पर उषा रमानाथन ने बताया कि यह विधेयक बेहद खतरनाक है। यह नागरिकों की निजता का खुलेआम उल्लंघन करते हुए राज्य और जांच एजेंसियों को व्यक्ति के जीवन ही नहीं, बल्कि शरीर पर भी अतिक्रमण करने की अपार छूट देता है।
यह तानाशाही को बढ़ावा देने वाला है और कहीं से भी वैज्ञानिक नहीं है। खासतौर से आज के दौर में जब जानकारियां कहीं भी सुरक्षित नहीं रहती, तब व्यक्तियों की निजी जिंदगी से जुड़ी जानकारियों का क्या इस्तेमाल हो सकता है, इसका किसी को अंदाजा नहीं है। ऐसे में डीएएन डाटा बैंक बनाना कितना खतरनाक हो सकता है, इस बारे में समाज को सोचना चाहिए।
एक तरफ केंद्र इस बिल को संसद में पेश करने की जुगत बैठा रहा है, वहीं ठीक उसी समय आधार कार्ड की वैधानिकता और उसे अनिवार्य किए जाने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष में कहा कि नागरिकों को निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। अदालत में सरकार ने निजता के अधिकार पर सवाल उठाकर दो तरफा मार की।
एक तो उसने आधार की वैधानिकता पर चल रही सुनवाई को बिल्कुल दूसरी तरफ मोड़ने की कोशिश की, वहीं यह आभास देने की भी कोशिश की कि यह अधिकार कभी भी छीना जा सकता है।
इस बारे में वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर का कहना है कि एक तरफ जहां आधार पर सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है कि किसी को भी आधार कार्ड न होने की वजह से किसी भी लाभ या हक से वंचित नहीं किया जा सकता है, ऐसे में केंद्र सरकार तमाम योजनाओं को खुलेआम जोडक़र अदालत के आदेश की अवमानना कह रही है।
उषा रमानथन कहती है कि दरअसल, सरकार की कोशिश है कि आधार के आधार को इतना फैला दिया जाए कि कल वे अदालत में कहें कि अब इतने अधिक लोग इससे जुड़ गए हैं, कि इसे खारिज नहीं किया जा सकता।
आधार को किस तरह से तमाम बुनियादी योजनाओं, सुविधाओं के लिए बाध्यकारी बना दिया गया है और किस तरह से इसके जरिए भी नागरिकों की सारी जानकारी को जमा किया जा रहा है, अगर इसकी पड़ताल हो तो दूसरी ही तस्वीर सामने आएगा।
देश की राजधानी दिल्ली में भी मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए आधार कार्ड की मांग हो रही है और इसके बिना मना किया जा रहा है। अधिकारी न तो पासपोर्ट कार्ड और न ही ड्राइविंग लाइसेंस को पहचान पत्र मानने को तैयार हैं। यानी सीधे-सीधे लोगों को आधार की ओर ढकेला जा रहा है। और, जब आधार की वैधानिकता पर चर्चा होती है तो सरकारी वकील (एटॉर्नी जनरल) इस अंदाज में दलील देते हैं कि नागरिकों की निजता सरकार के लिए कोई मायने नहीं रखती।
ये सारा परिदृश्य निजता के हनन के राज के आगमन की तुरही बजाता दिखा रहा है। वह भी ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री से लेकर मंत्रियों की यात्राओं पर हो रहे खर्चे बेहद गोपनीय विषय बने हुए हैं।
डीएनए प्रोफाइलिंग विधेयक के खतरे
- व्यक्ति के शरीर से इनटिमेट बॉडी सैंपल (शरीर के गुप्तांगों के नमूने) लेने का प्रावधान।
-शरीर से न केवल नमूने लिए जाएंगे बल्कि उस हिस्से की फोटो या वीडियो रिकॉर्डिंग करने की भी छूट होगी
-इसका इस्तेमाल सिर्फ आपराधिक मामलों के निपटारे में ही नहीं बल्कि दीवानी मामलों में होगा।
-इसका प्रयोग जंनसंख्या को नियंत्रित करने के प्रयासों में भी किया जाएगा
Sources :-

गुरुवार, 30 मार्च 2017

शरीक-ए-हयात को मिला राजस्थान उर्दू अकादमी का प्रतिष्टित अवार्ड !!


मेरे लिए और बेटियों के लिए कल 29 मार्च 2017 का वो यादगार और फख्र का दिन था जब जयपुर में राजस्थान उर्दू अकादमी द्वारा मेरी शरीक-ए-हयात, राजकीय महाविद्यालय में उर्दू की व्याख्याता और विभागाध्यक्ष डा. हुस्न आरा को उर्दू अदब की खिदमात के लिए दर्स-ओ-तदरीस प्रतिष्टित अवार्ड दिया गया !

डा. हुस्न आरा राजकीय महाविद्यालय में उर्दू की व्याख्याता और विभागाध्यक्ष हैं साथ ही PhD गाइड भी हैं, और उनकी निगरानी में कई स्टूडेंट्स अपनी PhD मुकम्मल कर चुके हैं और कई कर रहे हैं !


डा. हुस्न आरा के कई रिसर्च पेपर्स इंटरनेशनल और नेशनल जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं, साथ ही उनकी कई किताबें भी प्रकशित हो चुकी हैं !


डा. हुस्न आरा को इस अवार्ड के तहत एक मोमेंटो राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एम.एन. भंडारी साहब के कर कमलों द्वारा प्रदान दिया गया, जबकि प्रमाणपत्र समारोह के मुख्य अतिथि माननीय खान एवं भूगर्भ विभाग मंत्री राजस्थान सरकार श्री सुरेन्द्रपाल टी.टी. जी द्वारा प्रदान किया गया !

साथ ही राजस्थान उर्दू अकादमी द्वारा सम्मान हेतु दिया गया शाल दूरदर्शन केंद्र के डायरेक्टर श्री रमेश शर्मा जी के कर कमलों द्वारा दिए गया, एवम etv और Zee टी.वी. राजस्थान की टॉक शो होस्ट डा. अनिता हाड़ा द्वारा फूलों का गुलदस्ता भेंट किया गया !


ज्ञातव्य रहे कि राजस्थान उर्दू अकादमी द्वारा 6 वर्ष के अंतराल के बाद ये प्रतिष्टित पुरस्कार समारोह आयोजित किया है !

.राजस्थान में उर्दू अदब के फ़रोग़ के लिए राजस्थान उर्दू अकादमी द्वारा अदीबों, शायरों मीडिया पर्सनालिटीज, और शिक्षा से जुड़े विद्वानों को और भी कई पुरस्कार दिए गए, ख़ुशी की बात यह रही कि इस समारोह में टोंक और कोटा का दबदबा देखने को मिला, जहाँ डा. हुस्न आरा खुद टोंक से ताल्लुक़ रखती हैं, वही टोंक से ही डा. सादिक़ अली को मौलाना एह्तेरामुद्दीन शाग़िल अवार्ड से नवाज़ा गया, टोंक के ही अज़ीज़ुल्लाह शीरानी साहब, इमदाद अली और मुख़्तार टोंकी को भी पुरस्कारों से नवाज़ा गया !

वहीँ उर्दू अकादमी का सबसे बड़ा प्रतिष्टित पुरस्कार 'महमूद शीरानी अवार्ड' उर्दू अदब की जानी मानी शख्सियत डा. फ़ारूक़ बख्शी साहब को प्रदान किया गया, डा. फ़ारूक़ बक्शी साहब कोटा से ही हैं, और आजकल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में उर्दू के प्रोफ़ेसर और विभागाध्यक्ष हैं उनके तीन काव्य संग्रह 'पलकों के साये', उदास लम्हों के मौसम', और चाँद चेहरा सी एक लड़की प्रकाशित हो चुके हैं, साथ ही उर्दू तनक़ीद पर उनकी पांच किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं !

इसके साथ ही कोटा शहर के ही डा. पुरषोत्तम यक़ीन को 'चाँद बिहारी लाल सबा' अवार्ड से नवाज़ा गया !

सबसे ख़ास और ख़ुशी की बात यह है कि राजस्थान उर्दू अकादमी के सचिव जनाब मोअज़्ज़म अली साहब की बेइंतेहा कोशिशों से ही ये समारोह मुमकिन हो सका, 6 साल बाद राजस्थान उर्दू अकादमी ने ये पुरस्कार समारोह आयोजित किया है, और इस बार उन्होंने राजस्थान के कोने कोने से उर्दू अदब के लिए बेलौस खिदमत करने वालों के साथ साथ उर्दू अदब के फ़रोग़ के लिए कोशिशों में लगे अदीबों, विद्वानों, शिक्षकों को एक मंच पर लाकर न सिर्फ इकठ्ठा कर ये सम्मान दिलाया बल्कि उर्दू अदब के लिए उनकी खिदमात को इस समारोह के ज़रिये आम लोगों तक पहुंचाया है !

उर्दू अदब की इस शानादार महफ़िल को कामयाब बनाने के लिए राजस्थान उर्दू अकादमी के सचिव जनाब मोअज़्ज़म अली साहब की अथक मेहनत और उर्दू अदब से उनके लगाव के जज़्बे को तहे दिल से सलाम और मुबारकबाद ! 

राजस्थान उर्दू अकादमी के सचिव जनाब मोअज़्ज़म अली साहब की इस मुहीम में उनके साथ रह कर उर्दू अदब के फ़रोग़ के लिए उन्हें हर मुमकिन मदद और हौंसला दिया राजस्थान उर्दू अकादमी के चेयरमैन जनाब अशरफ अली खिलजी साहब ने, इन दोनों हज़रात की कोशिशों की बदौलत जयपुर में राजस्थान उर्दू अकादमी के बैनर तले अदीबों की इस महफ़िल में उर्दू मुस्कुराती नज़र आयी !!

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

मिलिए पाक में तेज़ाब से जलाई औरतों की मसीहा मुसर्रत मिस्बाह से !!

लाहौर (पाकिस्तान) में एक ब्यूटी पार्लर ऐसा है जहाँ तेज़ाब से जलाई गयी औरतें, वहां आने वाली औरतों की सुंदरता में चार चाँद लगाती हैं !

मुसर्रत मिस्बाह ने जो कि खुद एक ब्यूटी एक्सपर्ट, मीडिया पर्सनालिटी और सोशल एक्टिविस्ट हैं, इनके पुनर्वास का बीड़ा उठाया हुआ है ! उन्होंने इनके लिए 'Depilex Smile Again Foundation' नाम का फाउंडेशन बनाया है !

इसकी शुरआत की नींव तब पड़ी जब 2003 में उनके पास एक चेहरा ढके औरत आकर मदद के लिए गिड़गिड़ाने लगी, जब उन्होंने उसको चेहरा दिखाने को कहा तो वो सन्न रह गयीं, उसके चेहरा पर तेज़ाब फेंक गया था, नाक नहीं रही थी, आँखों की पलकें पिघल गयीं थीं, और चेहरे की पूरी त्वचा माँ की तरह झिल्ली के रूप में लटक रही थी !

उसकी हालत देखकर वो फूट फूट कर रोने लगीं,उन्होंने फ़ौरन ही उसे मेडिकल मदद उपलब्ध कराई, उसके बाद उन्होंने तय कर लिया कि वो तेज़ाब हमलों से पीड़ित औरतों के लिए आवाज़ उठाएंगी और जागरूकता फैलाएंगी !

उन्होंने अपने पारिवारिक मित्रों के साथ मिलकर पाक मीडिया के ज़रिये महिलाओं पर तेज़ाब के हमलों के खिलाफ मोर्चा खोला, और साथ साथ ही तेज़ाब के हमलों से पीड़ित महिलाओं के पुनर्वास का काम शुरू किया !

जल्दी ही उनके पास तेज़ाब के हमलों से पीड़ित औरतों की संख्या बढ़ने लगी, उन्होंने इसके लिए एक NGO खोला जिसे  'Depilex Smile Again Foundation' का नाम दिया गया !

इस फाउंडेशन के तहत वो तेज़ाब के हमलों से पीड़ित औरतों को स्वावलंबन से जीना सिखाती हैं, वो इन सभी पीड़ित औरतों को प्रशिक्षित कर अपने पार्लर में काम देती हैं, ताकि वो आर्थिक तौर मज़बूत हो सकें, किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े !

मुसर्रत मिस्बाह के 'Depilex Smile Again Foundation' की पाकिस्तान में 35 सब ब्रांचेज हैं, जहाँ तेज़ाब पीड़ित औरतों की देखभाल की जाती है, उन्हें रोज़गार से लेकर चिकित्सा सुविधाओं सहित आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक तौर पर सुदृढ़ करने की कोशिश की जाती है !

जैसा कि 2005 तक के आंकड़े बताते हैं कि मुसर्रत मिस्बाह ने 2005 तक 600 तेज़ाब पीड़ित महिलाओं का पुनर्वास किया था, इसमें उनके चेहरों के आपरेशन से लेकर उन्हें आर्थिक संबल प्रदान करने तक की कोशिशें शामिल थीं !

उनके फाउंडेशन की प्रसिद्धि और इंसानियत के लिए किया जाने वाले काम की प्रशंसा दुनिया भर में है, विश्व के लगभग सभी बड़े अखबारों ने उनके इस फाउंडेशन और उनके सराहनीय कामों के लिए समय समय पर लेख लिखे हैं, वीडिओज़ बनाये हैं, इंटरव्यूज लिए हैं ! और यह क्रम जारी है !

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बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

मिलिए नन्ही फिलस्तीनी शेरनी बेटी अहद अल-तमीमी से !!

14 साल की एक फिलिस्तीनी बच्ची अहद अल-तमीमी का नाम विश्व के लिए अब अनजान नहीं रहा, यह बच्ची अब फिलस्तीन की पोस्टर गर्ल के नाम से मशहूर हो गयी है, अहद अल-तमीमी द्वारा एक इस्राईली सैनिक की पिटाई से एक बार फिर उसका नाम सुर्ख़ियों में है !

अपने बड़े भाई की पिटाई और गिरफ्तारी करने वाले इस्राईली सैनिकों के ज़ुल्म के सामने डट कर खड़े होने वाली इस बच्ची को 2012 में तुर्की का वीरता पुरस्कार 'Hanzala Courage Award' दिया गया था !


यह नन्ही बच्ची आये दिन इज़्राईली सैनिकों की बर्बरता के खिलाफ उनके सामने सिर्फ तन कर खड़ी होती नज़र आती है, बल्कि कई बार इज़्राईली सैनिकों को पीटते हुए इसके कई वीडिओज़ भी इंटरनेट पर मौजूद हैं !

अहद अल-तमीमी के पिता और माता कई बार इज़राइली ज़ुल्म के खिलाफ शांति पूर्ण प्रदर्शनों के लिए गिरफ्तार किये जा चुके हैं, वहीँ अहद अल-तमीमी के चाचा 17 नवम्बर 2012 को इज़्राईली सैनिकों की गोली से मारे गए थे !

अहद अल-तमीमी अब फिलस्तीनियों के संघर्ष का प्रतीक और उनका हौंसला बन कर खड़ी हुई है !

इस नन्ही शेरनी को हम सब का सलाम, दुआ करते हैं कि यह नन्ही बच्ची अपने हक़ की लड़ाई में कामयाब हो !

अहद अल-तमीमी के बारे में पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें :-