आंद्रे ब्रेविक ने नार्वे में जो नर संहार किया है, उसकी तैयारी और वैचारिक पूर्ती उसको नेटवर्किंग साईट्स से ही मिली थी, और यह ऐसी sites के दुरूपयोग कि एक जिंदा मिसाल है, कट्टरपंथ से आतंक की राह भी निकल सकती है, यह इस घटना से साफ़ हो गया है, और अब हमारे देश में भी ऐसे न जाने कितने ब्रेविक और कसाब तैयार किये जा रहे हैं, फेसबुक पर ऐसे कई संगठनो द्वारा चलाये जा रहे समूहों की अचानक बाढ़ सी आ गयी है, और इनमें ज़्यादातर का जन्म अन्ना हजारे के आन्दोलन के बाद India Against Corruption (IAC) समूह की सफलता को देख कर हुआ, इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध आरम्भ हुए इस आन्दोलन की आड़ लेकर अब फेसबुक पर सैंकड़ों की संख्या में प्रायोजित समूह पैदा हो गए हैं...जहाँ ऐसी रेवड़ियाँ बांटी जा रही हैं, और भ्रष्टाचार के विरुद्ध चलाये जा रहे आन्दोलन के गर्म तवे पर खूब कई प्रकार की रोटियां सेंकी जा रही हैं, कसाब और ब्रेविक की तरह युवा वर्ग का brain wash किया जा रहा है, मगर यह समूह और इनको चलने वाली मूढ़ बुद्धि लोग यह क्यों नहीं सोचते की ऐसे कसाब ब्रेविक अगर उन्होंने पैदा भी कर दिया तो वो कर क्या लेंगे..?.केवल अशांति और विध्वंस ही तो कर सकते हैं..जैसे ब्रेविक ने किया जैसे कसाब ने किया..अरबों के इस देश में ऐसे समूह और ऐसे brain washed लोग सौ दो सौ लोगों को ही मार सकते हैं...किसी देश के system को कभी भी ऐसे मुठ्ठी भर सर फिरे नहीं बदल सकते...system को बदलने के लिए अन्ना हजारे जैसे व्यक्ति की इस देश को आवश्यकता है, न की ब्रेविक या कसाब जैसे लोगों की,यह फेसबुक के दुरूपयोग का जीता जागता उदाहरण भी है इस देश में, ऐसे तो कभी भी देश में तहरीर चौक जिंदा ही नहीं हो सकता, दूसरी और ऐसे देशप्रेमी लोग भी हैं जो सच्चे मन से बढ़िया समूह बनाकर देश के ज्वलंत मुद्दों पर आमराय बना रहे हैं..और भ्रष्टाचार के विरुद्ध चलाये जा रहे आन्दोलन को आमजन तक पहुंचा रहे हैं, मंथन कर रहे हैं...इस आन्दोलन को सड़कों सड़कों और गलियों गलियों तक ले जा रहे हैं....वे धन्यवाद के पात्र हैं...और उनके जज्बे और मेहनत को मेरा सलाम....जय हिंद..!!
बुधवार, 27 जुलाई 2011
रविवार, 17 जुलाई 2011
आओ tweet करें~~~~~~~~~~!! =====================
Social Networking Sites ने इस दौर को दो ऐसी चीज़ें भी दी हैं..जिसका दुरूपयोग भी उतना ही हो रहा है जितना की उपयोग...और वो हैं..पहला facebook ..और दूसरा है tweeter ...! ट्वीटर का नाम आते है हमें IPL के दौरान शशि थरूर और ललित मोदी के बीच हुए ट्वीटर युद्ध याद आ जाता है, और इसी युद्ध के कारण थरूर की कुर्सी भी चली गयी थी ! और फिर एक बार ट्वीटर सुर्ख़ियों में है...मुंबई बम ब्लास्ट के बाद महान हस्तियों ने खूब ट्वीट किये..सामयिक मुद्दों पर फिल्म बनाने वाले और फैशन फिल्म के निर्माता मधुर भंडारकर उस समय एक फैशन शो के मज़े ले रहे थे, जब मुंबई ब्लास्ट हो चुके थे....और वो लगातार ट्वीट कर के अपनी भावनाए बता रहे थे, लोगो को पुलिस कंट्रोल रूम के नंबर भी ट्वीट कर रहे थे.. और सुन्दर बालाओं की केटवाक वाली महफ़िल में डूबे हुए भी थे !
दूसरा उदाहरण शाहरूख खान का है...ब्लास्ट के समय यह भी " ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा " फिल्म के सितारों के साथ पार्टी के मज़े ले रहे थे...और लोगों को ट्वीट कर के दुःख भी जता रहे थे. यह दोनों वही लोग हैं जिनको मुंबई ने एक पहचान दी है...और मुंबई के लोग इन लोगों को सर आँखों पर बैठाते हैं...इन के केर्रिएर और TRP बढाते है, और इन लोगों ने ऐसे दुखद समय में मुम्बईकरों के साथ भद्दा मजाक किया है, यह Celebrity बाजारवाद के मोहरे हैं....इन को केवल अपनी TRP और Career की पहले चिंता है, न देश की न जनता की, इन की फिल्म हिट होना ज़रूरी है...इसके लिए यह किसी हद तक भी जा सकते हैं....माई नेम इस खान फिल्म के लिए शाहरुख़ खान ने अमेरिका में जो ड्रामा किया था...वो इसका एक उदाहरण है....यह लोग ...भावनाओं से खेल कर अपना उल्लू सीधा कर काम निकालने में माहिर हैं....और अब तो इन के हाथ एक और हथियार और लग गया है...नाम है....ट्वीटर, ...तो आओ दोस्तों.हम इनके ज़मीर और अंतरात्मा को एक .tweet करें कि कुछ भी करो मगर ऐसे हादसों के समय ऐसे मजाक करके लोगों के ज़ख्मों पर नमक तो नहीं छिड़का करें..!!
दूसरा उदाहरण शाहरूख खान का है...ब्लास्ट के समय यह भी " ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा " फिल्म के सितारों के साथ पार्टी के मज़े ले रहे थे...और लोगों को ट्वीट कर के दुःख भी जता रहे थे. यह दोनों वही लोग हैं जिनको मुंबई ने एक पहचान दी है...और मुंबई के लोग इन लोगों को सर आँखों पर बैठाते हैं...इन के केर्रिएर और TRP बढाते है, और इन लोगों ने ऐसे दुखद समय में मुम्बईकरों के साथ भद्दा मजाक किया है, यह Celebrity बाजारवाद के मोहरे हैं....इन को केवल अपनी TRP और Career की पहले चिंता है, न देश की न जनता की, इन की फिल्म हिट होना ज़रूरी है...इसके लिए यह किसी हद तक भी जा सकते हैं....माई नेम इस खान फिल्म के लिए शाहरुख़ खान ने अमेरिका में जो ड्रामा किया था...वो इसका एक उदाहरण है....यह लोग ...भावनाओं से खेल कर अपना उल्लू सीधा कर काम निकालने में माहिर हैं....और अब तो इन के हाथ एक और हथियार और लग गया है...नाम है....ट्वीटर, ...तो आओ दोस्तों.हम इनके ज़मीर और अंतरात्मा को एक .tweet करें कि कुछ भी करो मगर ऐसे हादसों के समय ऐसे मजाक करके लोगों के ज़ख्मों पर नमक तो नहीं छिड़का करें..!!
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