31 दिसंबर 2017 की रात को पूरे विश्व सहित भारत में भी नववर्ष के आगमन पर हर बार की तरह हर्षोल्लास के साथ साल 2018 का स्वागत किया गया, एक दूसरे को बधाइयां और शुभकामनायें दीं, मगर कल सोशल मीडिया पर देखा गया कि कई दोस्तों ने नए साल की बधाइयों से परहेज़ कर साल के आखिरी दिन कश्मीर के पुलवामा में पाक आतंकियों द्वारा हमारे छह जवानों की शहादत को सम्मान दिया, इससे पहले भी 24 दिसंबर को भी ठीक ऐसे ही हमले में एक मेजर सहित तीन जवान भी शहीद हुए थे, अगर इससे और पीछे जाते जाएँ तो हर सप्ताह में एक हमला और शहीद होते सैनिकों की तादाद मिलती जाएगी !
ये अच्छी बात है, भारतीय सेना के शहीद हुए जवानो के प्रति ये हम हिन्दुस्तानियों के दुःख हमारी संवेदनाओं और सम्मान को दर्शाता है !
आइये अब इसके दूसरे असंवेदनशील और निष्ठुर राजनैतिक पहलू देखते हैं, एक अपुष्ट खबर के अनुसार कारगिल शहीदों से ज़्यादा जवान NDA सरकार के इस शासनकाल में पाकिस्तानी आतंकी हमलों में शहीद हो चुके हैं !
साल 2016 में 87 जवान शहीद हो चुके थे, इनमें से 71 जवान सिर्फ कश्मीर घाटी में शहीद हुए थे, 2008 के बाद किसी एक साल में सुरक्षा बलों की शहादत का ये सबसे बड़ा आंकड़ा है !
https://navbharattimes.indiatimes.com/state/jammu-and-kashmir/srinagar/3-jawans-killed-in-jk-toll-in-16-reaches-87-worst-since-08/articleshow/56044133.cms
सबसे पहले संघ का पाकिस्तान के प्रति नजरिया देखिये कि मोहन भगवत कहते हैं कि "पाकिस्तान तो हमारा भाई- सरकार उससे रिश्ते मजबूत करे !"
https://www.bhaskar.com/news/NAT-NAN-pakistan-is-our-brother-government-must-work-to-improve-ties-rss-5104551-NOR.html
एक के बदले दस सर लाने का ठेका लेने वाली कंपनी और उसके सरदार के लिए जवानो की शहादत अब शायद अखबार में छपे उस भविष्यफल के समान हो गयी है जिस पर सरसरी नज़र मार कर लोग अपने मतलब की ख़बरें पढ़ने के लिए पन्ने पलट लिया करते हैं !
संवेदनाएं नदारद हो चुकी हैं, ट्वीट ख़त्म हो चुके हैं, एक के बदले दस सर लाने की जगह पाकिस्तान मुर्दाबाद और पाक के झंडे जलाकर कर इतिश्री कर ली जाती है, पाक पर हमला कर मज़ा चखाने हुंकारा अब म्याऊं में तब्दील हो चुका है, ज़ोर देकर विचार विमर्श करें तो भक्त बिरादरी इस मुद्दे पर कूटनैतिक हवाला देकर पतली गली से निकलती नज़र आने लगी है !
UPA सरकार में पाक की ओर से एक गोली चलने पर ट्वीट करने वाले प्रधान मंत्री के पास अब शहीद होते जवानो के प्रति संवेदना के ट्वीट नज़र नहीं आते, आप ट्वीटर पर उनके आधिकारिक हैंडल पर जाकर देख सकते हैं कि 31 दिसंबर को पुलवामा के जिन शहीदों की शहादत पर शोकाकुल होकर जिस देश के लोग सोशल मीडिया पर नववर्ष की बधाइयों से परहेज़ कर रहे हैं, उस देश के प्रधानमंत्री शहीदों की शहादत पर ट्वीट करने के बजाय खुद राष्ट्रपति के साथ नववर्ष की शुभकामनाओं का आदान प्रदान का ट्वीट करते नज़र आ रहे हैं !
इससे आगे बढिये तो आप देखेंगे कि भारत - पाक के बीच सभी व्यापारिक लेनदेन, आवागमन बराबर चल रहा है, अटारी बॉर्डर पर इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) के जरिए दोनों देशों के बीच व्यापार होता है, भारत पाकिस्तान द्वारा करीब 150-200 ट्रक सामान आयात करता हैं, जो कि बिना किसी विरोध या रोकटोक के बदस्तूर जारी है !
भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान को दिया गया 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा लाख सर फोड़ने के बाद भी वापस नहीं लिया जा रहा !
इससे आगे चलिए....गौरक्षा का दम भरने वाली और गौरक्षा व बीफ पर इंसानी खून से सड़कें लाल करने वाले भक्तों और भाजपा कार्यकर्ताओं वाली भाजपा सरकार के आने के बाद भारत ने पाकिस्तान को 113 करोड़ का बीफ निर्यात किया है :-
http://muslimmirror.com/eng/india-exports-beef-worth-rs-113-crores-to-pakistan/
यही नहीं पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिए जाने की वजह से साल 2016 - 17 में भारत पाकिस्तान के बीच 15,271.12 करोड़ का व्यापर हुआ है !
यहाँ आप इस व्यापार की पूरी लिस्ट देख सकते हैं :-
http://indianretailsector.com/news/india-and-pakistan-trade-balance-5-years-export-import-analysis/#sthash.3QIgBe0V.hZqIK92g.dpbs
पाक राजदूत को और उसके स्टाफ को बराबर वही सिक्योरिटी दी जा रही है, ना उन्हें तलब कर सीमा पर हो रही इन घटनाओं के प्रति चिंता व्यक्त की ना ही ऐसे कोई तेवर नज़र आने की उम्मीद है, आप चाहें तो पाक दूतावास के सामने जाकर एक बार उग्र विरोध प्रदर्शन कर देखिये, दिल्ली पुलिस तशरीफ़ सुजा कर घर भेज देगी !
अब इससे और आगे ... एक चुटकुला और ....कुलभूषण जाधव की माता जी और पत्नी से पाकिस्तानी अधिकारीयों द्वारा दुर्व्यवहार किये जाने के बाद और जब सुषमा जी पाकिस्तान के साथ क्रिकेट न खेलने का पाकिस्तान को मुंहतोड़ बयान दे रही थीं ठीक उसी समय भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और पाकिस्तान के सुरक्षा सलाहकार ले. नासिर खान जंजुआ के बीच 26 दिसंबर को बैंकॉक में गुप्त बैठक चल रही थी !
यानी क्रिकेट और फिल्मों की रोकटोक तक जनता को लॉलीपॉप बाक़ी सब धंधे परदे के पीछे चालू ?
और दूसरा चुटकुला ये कि हाल ही में सितम्बर 2017 को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी ने कहा था कि "जब तक पाकिस्तान सीमा पार से जारी आतंकवाद को नहीं रोकता तब तक उसके साथ बातचीत नहीं होगी !"
इस चुटकुले का अगला भाग देखिये कि राजनाथ सिंह जी के उपरोक्त बयान के बावजूद भी भारत के सुरक्षा सलाहकार और पाकिस्तान के सुरक्षा सलाहकार बैंकॉक में गुप्त बैठक कर लेते हैं :-
https://www.jansatta.com/rajya/new-delhi/national-security-advisors-nsa-india-ajit-doval-pakistani-counterpart-lt-general-nasir-khan-janjua-met-bankok-kulbhushan-jadhav-met-family-pakistan/535000/
मने काम सब हो रहे हैं, जनता को क्रिकेट बेन, पाक कलाकार बेन, कुलभूषण जाधव, पाकिस्तान मुर्दाबाद जैसे लॉलीपॉप को राष्ट्रवाद के रैपर में लपेट कर थमा दिया गया है जिसे जनता चूसे जा रही है और नारे लगाए जा रही है !
जिन पर इन प्रायोजित आतंकी घटनाओं को रोकने की रणनीतियां बनाने, कूटनैतिक क़दम उठाने की ज़िम्मेदारी है उन्हें इनसे कोई मतलब नज़र नहीं आता, ज़्यादा ज़ोर मारो तो सर्जिकल स्ट्राइक का ढोल बजाकर जनता से तालियां बाजवा कर अपने बैनर शहरों में लटका देते हैं, पंद्रह दिन बाद फिर से जवानो के शहीद होने की दुखद ख़बरें आने लगती हैं !
ये कैसी कूटनीति है ? कैसी पाक नीति है ? कैसी रणनीति है कि चार साल होने को आये ना ही पाक काबू में आया और ना ही कश्मीर समस्या सुलझी ?
पाकिस्तान सम्बन्धी मुद्दों को मीडिया के साथ नेता लोग भी नमक मिर्च लगाकर इसीलिए परोसते रहते हैं क़ि भक्त खोपड़ी पाकिस्तान का मतलब 'मुसलमान' ही समझती है, इसी पाकिस्तान के बहाने देश के मुसलमानो पर गुर्राने और उन्हें चिढ़ाने या नीचा दिखने का कुत्सित मौक़ा मिल जाता है, और ये कई बार साबित भी हो चुका है !
मगर केवल इस कुत्सिक मानसिकता को खाद पानी देने के लिए अगर पाकिस्तानी हरकतों को नज़र अंदाज़ किया जा रहा है तो ये बहुत ही गंभीर संकेत है, और यदि नहीं तो फिर ये सरकार की विदेश नीति, पाक नीति, कश्मीर नीति, और कूटनीति का टोटल फेल्योर है, जिसका खामियाज़ा पाक सीमा पर स्थित गांवों के लोगों के साथ कश्मीर की जनता भुगत रही है, और हमारे जवान अपनी जाने देकर चुका रहे हैं !
दलील पेश की जाती है कि पाक ने हमारे चार जवान शहीद किये बदले में हमने उनके पांच जवान या आतंकी मार गिराए, ये कैसी नीति है ? जवानो की शहादत पर आतंकी घुसपैठ या हमलों पर रोक क्यों नहीं ? क्यों इंतज़ार किया जाता है कि वो हमला कर जवान शहीद करें, और बदले में हम उन आतंकियों को मार गिराएं ? क्यों सख्ती से पेश नहीं आते ? क्यों कोई ढंग की कूटनीति बनाकर पाकिस्तान को इन आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए मजबूर नहीं किया जाता ? वजह क्या है आखिर ?
कुल मिलाकर ऊपर दिए गए सभी आंकड़ों, सबूतों और बयानों को देखते हुए नतीजा यही निकलता है कि एक घोषित आतंकी देश पाकिस्तान मोदी सरकार के लिए दुश्मन देश से ज़्यादा व्यापर करने के लिए, मुसलमानो को हैरान करने चिढ़ाने और उन्हें निशाने पर लेने और अपनी फेल पाक नीति,कश्मीर नीति को छुपाने का 'मोस्ट फेवर्ड टूल' बना हुआ है !!