जब हम सोशल मीडिया पर होते हैं, तो हम दुनिया को उसी चश्मे से देखते हैं, पूरे दिन भले ही हम कैसे ही दृष्टिकोण ले कर जियें, मगर जैसे ही हम आभासी दुनिया में दाखिल होते हैं, हमारा नजरिया और बर्ताव धीरे धीरे बदलने लगता है, यहाँ के भीड़ भरे, आक्रोशित और चीख पुकार करते आभासी संसार में हम अपनी वास्तविकता से कहीं कटने लगते हैं !
फिर हम भी बहुत जल्दी उसी भीड़ का एक हिस्सा बन कर इस कोलाहल में शामिल हो जाते हैं, हमें देश खतरे में नज़र आने लगता है, किसी को हिन्दू तो किसी को मुस्लिम खतरे में नज़र आने लगता है !
ऐसा नहीं है कि सोशल मीडिया पर हम या सभी यूज़र्स फालतू मुद्दों पर समय खराब करते हैं, अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बन चुके इस मंच की धमक से सरकारें कई बार सहमति भी देखी गयी हैं ! यह जानकारी और ज्ञान का अकूत भण्डार है, करंट टॉपिक्स से जुड़ने और समझने तथा विचार बनाने का नायाब जरिया भी है !
मगर न जाने क्यों जब हम सोशल मीडिया से दूर बाहरी दुनिया में होते हैं, तो बहुत ही शांत, बेफिक्र और समस्याओं से काफी हद तक दूर रहते हैं, ना ही कोई पाकिस्तान होता है, ना ही कोई ISIS होता है, ना ही संघ परेशान करता है, ना ही मोदी जी कहीं नज़र आते हैं, ना ही केजरीवाल की चर्चा कहीं होती है, ना कोई बिहार चुनाव पर हमसे लड़ता है !
इसलिए कोशिश कीजिये कि आभासी दुनिया को वास्तविक दुनिया में अपने साथ लेकर नहीं जाएँ, जब भी लॉगआउट करें, सभी कुछ यही छोड़ दें, और वास्तविक दुनिया की वास्तविकता के मज़े लें ! जहाँ सभी अपने में मस्त होकर दाल रोटी के जुगाड़ में मस्त है, जहाँ आपको किसी से like की ज़रुरत नहीं, किसी को टैग करने की ज़रुरत नहीं, किसी लिंक को पेश करने की ज़रुरत नहीं ! जहाँ ना हिन्दू खतरे में नज़र आएगा ना ही कोई मुसलमान कहते में मुस्लमान खतरे में नज़र आएगा ! कोशिश यही करें कि वास्तिवक दुनिया में जाएँ तो सोशल मीडिया का चश्मा साथ लेकर नहीं जाएँ !
आभासी दुनिया और वास्तविक दुनिया के इस फर्क को आप सोशल मीडिया से कुछ दिन या महीने दूर रहकर आप इस तब्दीली को महसूस कर के देख सकते हैं !!