बुधवार, 3 अक्तूबर 2012

एक पत्र आदरणीय श्री विजय सिंह जी पालीवाल जी और IAC के नाम के नाम~~~~!!



विजय सिंह जी नमस्कार...आपसे बात किये काफी समय हो चुका है, फेसबुक पर भी और फेसबुक से बाहर भी...मुझे मालूम है..आपको बहुत कुछ बुरा लगा होगा...मैं दो तीन दिन से आपको लिखने का सोच रहा था....25 मार्च' 2012 के आपको IAC वाले कार्र्यक्रम में मैं नहीं आ सकूंगा...इसका मुझे बहुत ही अफ़सोस है...मगर मेरी दुआएं और शुभकामनाएं आपके साथ है....आप एक नेक इंसान हैं...मेरे लिए आप आदरणीय हैं...और एक नेक मकसद के लिए कोटा शहर में अलख जगाये हैं...मैंने आपका dedication देखा है...महसूस किया है....मैं चाहता हूँ कि आप जिस नेक मकसद के लिए लड़ रहे हैं...आपको उसमें सफलता मिले ...और उम्मीद भी है कि आपकी मेहनत रंग लाएगी...!

रही मेरी बात तो विजय सिंह जी...मैं भी टूट कर कभी अन्ना आन्दोलन के साथ जुड़ा था...खूब जोर शोर से फेसबुक और ब्लॉग में इस के समर्थन में लड़ाई लड़ी थी...मगर अब जैसा कि मैंने पहले भी आपसे कहा था...इस आन्दोलन में बहुत कुछ ऐसा शामिल हो गया कि काफी लोगों का मोह भंग हो गया है...जैसा कि लोगों का बहुमत था...और भविष्य वाणी भी थी ...कि अन्ना ने साम्प्रदायिक और चरमपंथी शक्तियों से हाथ मिलायेंगे ...आखिर मिला ही लिए...जैसे कि मुझे भी आशंका थी.....बाबा रामदेव के बारे में कौन नहीं जानता...उनके एजेंडे को कौन नहीं जानता...बाबा ने सुब्रमनियम स्वामी के साथ सांठ गाँठ कर के चरमपंथी एजेंडे को अमलीजामा पहनाने का पूरा इंतज़ाम कर रखा है...इन्टरनेट पर सब मोजूद है...ऐसे में अब अन्ना के आन्दोलन में ऐसे लोगों ...और उनके समर्थकों कि उपस्थिति बहुत ही खतरनाक संकेत है....और मेरे विचार और विचारधारा इसकी इजाज़त नहीं देती कि अब मैं इस स्तर पर आ चुके अन्ना जी के आन्दोलन के साथ रहूँ...इसका मुझे काफी पहले से अंदेशा था...इसी लिए मैंने दूरी बना ली थी, और अब मुझे लग रहा है कि मुखे ठगा गया है...मेरे जज्बातों को भुनाया गया है...धोखा दिया गया है...मैं ही नहीं देश के ना जाने मेरे जैसे कितने लोग होंगे ...जिनको यह महसूस हो रहा होगा.....और यही कारण है कि...अब मैं इस आन्दोलन की असलियत बताने वाले लोगों की कतार में शामिल हो गया हूँ...भले ही दिल में अफ़सोस रहा हो.!

विजय सिंह जी...मेरी इन सब बातों से और फेसबुक पर मेरी पोस्ट से आपको दुःख तो हुआ होगा....मैं इन सब बातों के लिए आप से क्षमा प्रार्थी हूँ....अपने अपने विचार हैं...विचारधाराएँ हैं...मगर हम एक दूसर से दिल से जुड़े हैं..... मेरी और से किसी बात से आपका दिल दुख हो तो यह छोटा भाई आपसे माफ़ी चाहता है....भले ही मैं अन्ना आन्दोलन से दूर हो गया हूँ...मगर मुझे उम्मीद है कि आप के दिल से दूर नहीं जा सकता....!

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