सोमवार, 20 जनवरी 2014

रिश्ते नाते वेंटिलेटर पर, जज़्बात कोमा में ~~!!


इक्कीसवीं सदी और वैश्वीकरण के इस दौर में हमें हर ओर प्रगति और उन्नति देखने को मिल रही है, चाहे वो कोई भी क्षेत्र हो, ज़बरदस्त दौड़ जारी है, मगर भौतिकतावाद के इस दौर में जहां शारीरिक सुख बढ़े हैं, वहीं लोगों का व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन तनावग्रस्त भी हुआ है, साथ ही पारिवारिक संबंधो की जटिलताएं भी बढ़ी हैं !
 
इसका मूल कारण है कि संबंधों को नापने तौलने का पैमाना बदल गया है, पैसा, ओहदा, समाज में रसूख, बंगला, गाडी और राजनैतिक पहुँच जैसे कई नए पैमाने बन चुके हैं, इनमें सबसे प्रमुख है "पैसा", हर रिश्ते को सबसे पहले पैसे का चश्मा लगा कर देखा परखा जाने लगा है, नए दौर में पैसों के भगवान जैसा बन जाने की वजह से रिश्तों की गर्माहट अब पहले जैसी नहीं रही, पैसों की खनक हो तो आपके रिश्ते भी औरों के साथ  खनकदार होंगे,  आपकी जेब गरम है तो रिश्ते और जज़्बात भी गर्माहट भरे होंगे, बाक़ी  रिश्ते तो सिर्फ दिखाने के लिए होते हैं, और सिर्फ घसीटे ही जाते हैं !

 आगे निकलने की अंधी दौड़, शान-ओ-शौकत, दिखावे की होड़ की वजह से  टूटते-बिखरते पारिवारिक रिश्तों की कई कहानियां अपने आस पास ही देखने सुनने को मिलती है, परिवारों में क्लेश, टूटते बिखरते परिवार, कहीं पति पत्नी में अनबन है, तो कहीं भाई भाई में, तो कहीं माता पिता द्वारा ही औलादों के साथ पैसों, रसूख और ओहदों के कारण भेदभाव !

हाल ही में हुआ पोंटी चड्ढा हत्याकांड इस गिरते, मरते, और घिसटते  पारिवारिक मूल्यों का सटीक उदाहरण है, सोचकर बहुत हैरानी होती है कि आज के दौर में पैसा खून के रिश्तों से ज्यादा ताकतवर हो गया है !

 यह एक कडवी सच्चाई है कि रिश्तों की नि:स्वार्थ गर्माहट एक तरह से गायब होती चली जा रही है, आपसी प्यार और लगाव को तरसते लोगों को परिवारों में देखा जा सकता है, भौतिकतावाद की  बलि चढ़ते इन रिश्ते नातों और जज्बातों के कारण पारिवारिक विखंडन बढ़ने लगा है, खून के रिश्ते भी किताबी से नज़र आने लगे हैं, नैतिक  पतन के साथ पारिवारिक मूल्यों का निरंतर पतन जारी है.....और इसके रुकने के कोई आसार नज़र भी नहीं आ रहे हैं...लग रहा है जैसे पारिवारिक मूल्य आई सी यू में हों,  रिश्ते नाते वेंटिलेटर पर हों, और जज़्बात कोमा में चले गए हों...शायद इसी से आहत होकर शायर दिनेश रघुवंशी जी ने यह अशआर कहे होंगे....>
 
मिलते हैं पर मिल के बात नहीं करते,
करते हैं तो दिल से बात नहीं करते !

ख़ुद से ही बतियाता रहता है अक्सर,
उसके अपने उससे बात नहीं करते !

पैसा, पैसा, पैसा, करने वाले सुन,
इंसानों से पैसे बात नहीं करते~~!!

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