रविवार, 3 मार्च 2013

अब बोल क्या लब आज़ाद हैं तेरे ??

हमें किसी ने बताया था  कि फैज़ अहमद फैज़ साहब ने कहा था कि...बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे, और यही सोच कर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर डरते डरते क़दम रखा था, फेसबुक ने ललचाया था, ट्वीटर की कूक ने लुभाया था, ब्लागर्स के ब्लॉग देखकर ब्लॉग लिखने को मन किया था, मगर जब वास्तविकता से पाला पडा तो होश फाख्ता होते देर नहीं लगे !

जब भी किसी विषय पर लिखने कि कोशिश की ...हर जगह ...हर साइट्स पर लोगों की लठैती झेलनी पड़ी, अब चाहे वो अन्ना सम्प्रदाय के हुल्लड़ पर हो या बाबा के काले धन के डमरू पर, या राहुल जी की चुप्पी पर मनमोहन सिंह जी के निर्णयों पर या  शिंदे जी के इरादों पर, कल की ही बात है. सात सवाल के शीर्षक सहित हस्तक्षेप.काम का  एक लिंक शेयर किया था..तब से ही एकाउंट बार बार उखड़ी उखड़ी साँसे ले रहा है !

इससे पहले तो लोकपाल आन्दोलन के मजमेबाजी के दौरान मेरा एकाउंट 14 - 15 बार हेक करने की कोशिश भी की गयी, जो कि हर बार काफी कसरतों के बाद रिकवर किया गया ! अब लिखें तो किस पर...? मौसम पर या अभिनेत्रियों के सौन्दर्य पर या बुश के कुत्ते पर, या मटरू की बिजली पर ?

अब सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर हम लड़कियों से ईलू ईलू करने तो नहीं आयें हैं, और ना ही रोज़ आन लाइन होकर Good Morning,सुप्रभात करने या आफ लाइन होते समय Good Night या शब-बा-खैर मात्र के लिए तो इन्टरनेट प्रयोग नहीं कर रहे हैं, अब दिल की बात लिखने का मूड तो होता है ना भाई, सो दीवारों पर तो लिखने से रहे, जब पूनम पांडे से लेकर शाहरुख खान तक, और मोदी जी से लेकर ममता तक और यहाँ तक कि हमारे शहर टोंक के जुम्मन मियाँ तक अपने ख्यालातों से सोशल नेटवर्किंग साइट्स को गुलज़ार बना रहे हैं, तो हम ने क्या गुनाह किया है भाई ?

कल ही एक समाचार पढ़ा था..कि जनाब  कुरियन के खिलाफ कमेंट करने पर 111  लोगों  पर केस दर्ज किया गया है, इनमें एक ने तो पोस्ट किया था और बाक़ी 110 ने शेयर किया था, बस तब से ही दिल धमाल मचाये है , बात बेबात धड़क रहा है, हर घंटी पर चुपके से झाँक कर देखता हूँ कि कहीं कानून के रखवाले अपनी मिजाज़ पुरसी करने तो नहीं आ गए ? क्या पता हिंदुस्तानी दारोगा है भाई, जैसे कार्टूनिस्ट असीम और शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की अंत्येष्टि के दिन बंद पर सवाल उठाने वाली शाहीन ढाडा के साथ कर चुके  है, कहीं दोहरा न दे ..क्या करे ...इन दारोगाओं के पास न तो इतनी साइबर समझ है और न ही इतने हाई टेक !

अब तो कुल मिलाकर यही डर सताने लगा है कहीं किसी पोस्ट, शेयर या कमेन्ट या लाइक पर दरवाज़े की घंटी बजे और .....!! अब तो बस अपने आप से बार बार यही सवाल करता रहता हूँ कि " अब बोल क्या लब आज़ाद हैं तेरे ??" !!*

< व्यंग्य मात्र है...* शर्तें लागू ..:)) ..>
(Wednesday February 27, 2013)

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