रविवार, 3 मार्च 2013

आहत,सहमी हुई और आक्रोशित हमारी चिड़ियाएँ !!

दिल्ली गेंग रेप के बाद जैसे जैसे पूरा देश आवेश में उबल रहा है, और समाचार तथा विवरण बाहर आ रहे हैं, वैसे वैसे अपने सुकोमल से संसार में मस्त रहने वाली बेटियाँ जो कि नन्ही चिड़ियों की तरह ही होती है, अचानक से सहम सी गयीं है, उनके हँसते खिलखिलाते चेहरे एकदम से खामोश से नज़र आने लगे है, बेटियों का पिता होने के नाते मुझे उनके इस बदलाव का अहसास है, सुबह स्कूल ...फिर स्कूल से ट्यूशन ..और शाम को अपने घोंसले में लौटने तक इनके लिए हमारी चिंता अचानक से बढ़ गयी है ...ज़ाहिर है .और सबको पता भी है कि आज भी  देश के हर राज्य में हर शहर में हर मोहल्ले में कहीं न कही कई  "रामसिंह" जैसे  गिद्ध इन असहाय चिड़ियों की तलाश में घूम ही रहे होंगे  ...किसी ऐसे ही मौके की तलाश में ..!

सफदरजंग अस्पताल में भर्ती  उस बच्ची को "दामिनी" का नाम दे दिया गया है, बच्चियां दिन भर की पढाई लिखाई की व्यस्तता में भी टी.वी. पर आ रहे दामिनी के केस के समाचार पर सब काम छोड़ कर नज़र गडा  देती हैं, समाचार सुन कर और ज्यादा आहत और भयभीत नज़र आने लगती है, मगर फिर अब कहीं न कहीं इनके भीतर समाज और कानून व्यवस्था के प्रति एक आक्रोश भी नज़र आने लगा है, ...इक्कीसवीं सदी में जहाँ स्त्री चाँद पर हो आयी है, वहीँ देश में हो रही ऐसी घटनाओं से महिलाओं, बच्चियों  में भय और आक्रोश उफनना स्वाभाविक है !

इन आहत चिड़ियों ने मौत से झूझती उस घायल चिड़िया "दामिनी" के लिए अपने अपने तौर पर अपने अपने स्तर पर आवाज़ उठानी शुरू की है, सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इन्होने एक ब्लैक गोले वाली फोटो शेयर की है जिसके नीचे लिखा है :-
 " I am sorry Damini "
Keep this as your display picture today ...The BLACK DOT OF SHAME ..Because we live in a society which can't protect it's own women.




और साथ में सभी आहत चिड़ियों ने यह आवाज़ उठाई है कि इन दरिन्दे गिद्धों को फांसी से कम सजा नहीं हो, और जब इनको फांसी दी जाए तो दामिनी को सामने खड़ा किया जाए ..ताकि वो इन घृणित अपराधियों को अपनी नज़रों से सजा मिलती देख सके !

अब गेंद पुलिस, कानून और न्याय व्यवस्था के पाले में है, देखना है कि कितनी जल्दी उस मौत से लडती घायल चिड़िया "दामिनी" को इन्साफ दिला सकते है, ताकि देश की करोड़ों चिड़ियाएँ जब भी निकलें तो आत्मविश्वास से निकलें और सुरक्षित अपने अपने घोंसलों में लौट सकें ..इस बार कोई कडा फैसला होकर ही रहे  ...इसी उम्मीद के साथ ....और भगवान्, अल्लाह उस घायल चिड़िया को ज़िन्दगी और मौत की जंग में जीतने का हौंसला दे ...इसी दुआ के साथ।

(Saturday December 22, 2012)

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