शनिवार, 2 मार्च 2013

I P L बोले तो~~~~~~!!

पहले क्रिकेट को देश के गौरव, आत्म सम्मान और देश प्रेम से जोड़ा गया....फिर इस खेल को वन डे, T - 20 और I.P.L. के रूप में तोडा मरोड़ा गया...फिर इसमें ग्लेमर घुसेड़ा गया..फिर तो  यह एक नशा सा बन गया...भारत के पारंपरिक खेलों को कुचलता यह खेल ...देश के राष्ट्रिय खेल हाकी से भी बड़ा, सम्माननीय  और गौरव शाली का दर्जा पाता गया , तब जब यह क्रिकेटिया नशा भारतियों की नसों में ढंग से इंजेक्ट हो गया ..लोग इस नशे के आदि हो गए .. तो क्रिकेट खेलने की जगह एक प्रोडक्ट की तरह बेचने का दौर जो चला तो सब हदें पार हो गयीं....! देश में क्रिकेट को मल्टी नेशनल कंपनियों, स्पांसरों, और कारपोरेट घरानों ने एक PRODUCT के रूप में परिवर्तित कर दिया...और अब उसकी जमकर मार्केटिंग और मुनाफाखोरी हो रही है...!

मैदान में बीयर पान, घूम्रपान, कन्याओं (चीयर लीडर्स) का अर्ध नग्न नाच, फिक्सिंग, पार्टियाँ, मार पीट, छेड़ छड...काला धन....बिकते खिलाड़ी...बहकते खिलाड़ी...गलियाते टीम मालिक...गुर्राते BCCI अधिकारी.....लाचार खेल मंत्रालय....! खिलाड़ी...खुशहाल , टीम मालिक...मालामाल..., BCCI कहे  कि .सब की ठन ठन गोपाल , ...ठगा गया और घाटे में रहा तो आम क्रिकेट प्रेमी......!

जय हो तुम्हारी ललित मोदी...क्या चस्का लगाया है...अफीम की तरह क्रिकेट को पिला डाला....
IPL की ही बदौल अरबों रूपये डकार कर भी लन्दन में ऐश कर रहे हो......कानून की पकड़ से दूर !..क्रिकेट संघों में जब तक नेताओं, अभिनेताओं, और कारपोरेट घरानों का दखल रहेगा...यह ऐसे ही बिकता रहेगा...इसको रोकने के लिए...क्रिकेट संघों में ज्यादा से ज्यादा पूर्व खिलाड़ियों को शामिल करना होगा.....BCCI पर सरकारी नियंत्रण होना चाहिए...मगर ...यह सब बहुत मुश्किल लग रहा है...क्योंकि BCCI जैसे दैत्य अब बहुत ही विकराल हो चुके हैं.....देश के कानून की पहुँच से भी बाहर..RTI से भी बाहर  ! BCCI को फेमा तथा इनकम टेक्स के 19 के लगभग नोटिस दिए जा चुके हैं...जो कि शायद BCCI की किसी रद्दी की टोकरी की शोभा बढ़ा रहे होंगे, यह वही BCCI है जिसे सरकार की और से 10 सालों में 19 अरब रुपये की छूट  हासिल हो चुकी है...! आज मुझे न जाने क्यों.....यूगांडा के पूर्व सैनिक तानाशाह स्व. ईदी अमीन की अचानक याद हो आयी जिसने यूगांडा की राष्ट्रिय फुटबाल टीम को हार कर आने पर कोड़ों की सजा सुनाई थी...और एक माह खेतों में काम करने गाँव भेज दिया था.....यह बात याद तो आयी मगर...क्यों....क्या पता....??

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें