रविवार, 3 मार्च 2013

" मज़बूत जोड़ है साहब !!"

देश को नए शब्दों और मायनों में परिभाषित करने वाले शायद भूल गए ...इंडिया और भारत के अलावा एक हिंदुस्तान भी है ...जो दामिनी के साथ हुए अमानवीय काण्ड के बाद एकजुट होकर घरों से निकला ...तब उस हिन्दुस्तान को न तो दामिनी के असली नाम का पता था, न धर्म का पता था, न ज़ात का न पात का, न सोशल स्टेटस का ....न आयु का ..ना ही क्षेत्र का ....फिर भी यहाँ भारत और इंडिया दोनों मिल कर हिन्दुस्तानी के रूप में दामिनी के समर्थन के लिए उठ खड़े हुए !

राज पथ, जंतर मंतर और इंडिया गेट पर एकत्रित जनसमूह का कोई धर्म नहीं था ....कोई ज़ात नहीं थी ...वो भारत, इंडिया और यंगिस्तान सहित एक संगठित हिंदुस्तान था और इस संगठित हिन्दुस्तान के इस साझे हौंसले और जज्बे को कोई बाँट नहीं सकता ...न ये ठाकरे की सुनें न इमाम की न मोदी की माने न ओवेसी की ...जब भी कोई आंच आएगी ...जज्बे को ठेस पहुंचेगी ....हर हिंदुस्तानी  दूसरे की आवाज़ में आवाज़ मिलाएगा ..एक शक्ति पुंज बन जाएगा ....भारत और इंडिया मिलकर ...हिंदुस्तान के रूप में एक स्वर ...एक मत हो कर उठ खड़े होंगे .....यह बहुत मज़बूत जोड़ है साहब ...इतनी आसानी से टूटेगा नहीं ....याद कीजिये वो गाना जिसे सुनकर आप और हम बड़े हुए और अब भी सुन कर रगों में जोश भर जाता है ...>

हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ...
आओ मेहनत को अपना ईमान बनाएं,

अपने हाथों को अपना भगवान बनाएं,
राम की इस धरती को गौतम की भूमी को,

सपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएं,
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी,
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ..!

यह मज़बूत जोड़ सलामत रहे इसी दुआ के साथ ....."आखिर दिल है हिंदुस्तानी !!"

 (Wednesday January 09, 2013)

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