शुक्रवार, 1 मार्च 2013

हमारी अरज भी सुनो वित्त मंत्री जी ~~~!!


मध्यम वर्ग इस बजट से निराश ही नहीं बहुत आक्रोश में भी है, जहाँ नौकरी पेशा वर्ग को टेक्स स्लेब में कोई राहत नहीं दी गयी है, वहीँ दूसरी और digitization होने जा रहे देश में सेट टॉप बॉक्स को महंगा किया गया है, दूसरी और सूचना क्रांति के दौर में 2 हज़ार से ऊपर के मोबाइल भी महंगे किये गए है, गेस, पेट्रोल और डीज़ल के बढे दामो से त्रस्त सबसे ज्यादा यही माध्यम वर्ग ही है, यह वही मध्यम वर्ग है, जिसने कभी बढ़ी हुई प्याज की कीमतों से क्रुद्ध होकर सरकार बदल डाली थी, इस वर्ग को GDP के आंकड़ों के मायाजाल से कोई लेना देना नहीं, आपने महिलाओं को विदेश से एक लाख का सोना लाने के लिए ड्यूटी फ्री कर दिया है, कितनी महिलायें और कौनसी महिलायें इससे प्रसन्न होंगी, सब जानते हैं !
आपने एक करोड़ से ऊपर के आय वालों पर दस प्रतिशत का टेक्स लगाया है, ऐसे लोग देश में लगभग 42000 के लगभग ही है, इससे क्या साबित करना चाहते हैं, ? गरीबों को मानसिक संतुष्टि देना कि  देखो हमने अमीरों पर भी टेक्स लगाया है ! पर  आप भले ही देश की अर्थव्यवस्था को  होमोपेथी की पुडियाएं देने की कोशिश कर रहे हों, मगर इस समय त्रस्त जनता को कुछ instant relief चाहिए, पे-दर-पे एक के बाद एक आर्थिक बोझ से दबा कुचला यह वर्ग ....आपके तथा कथित आने वाले विकास के वादों पर अब नहीं बहलने वाला, इसके आक्रोश को समझिये, या फिर इसके आक्रोश की चिंगारियों को आने वाले समय में वोटिंग मशीनों से निकलता देखिये।
(अभी अभी ब्लॉग लिखते लिखते समाचार सुना कि बजट के फ़ौरन एक दिन यानी 1 मार्च '2013 की मध्य रात्रि से  पेट्रोल की कीमत 1रुपया 40 पैसे की वृद्धि कर दी गयी है ...कुचलिये और कुचलिये ..हमारे शहर के साहित्यकार श्री शरद तैलंग जी ने शायद ऐसी ही परस्थिति पर यह अशाअर लिखे थे :-

कभी जागीर बदलेगी, कभी सरकार बदलेगी,

मगर तक़दीर तो अपनी बता कब यार बदलेगी ?



अगर सागर की यूँ ही प्यास जो बढती गई दिन दिन,

तो इक दिन देखना नदिया भी अपनी धार बदलेगी...!!
(शरद तैलंग) 




4 टिप्‍पणियां:

  1. गजब के कटाक्ष लाजवाब . अकब इलाहबादी याद आ गये
    कौम के गम में डिनर खातें अहकाम के साथ
    रंज लीडर को बहुत हैं मगर आराम के साथ ।
    और आसिफ भाई को बधाई

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  2. वसीम अकरम भाई, हौंसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया, आप सभी की सोहबत से सीख रहा हूँ, आम इंसान हूँ, पत्रकारिता की ABCD भी नहीं जानता, मगर दिल करता है तो लिख लेता हूँ, मगर खास बात यह है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर खासकर फेसबुक पर आप हुए, अली सोहराब हुए, Abdul H Khan साहब हुए, आफताब फाजिल साहब हुए, अनस मोहम्मद भाई हुए, इन सबसे बहुत कुछ सीखा है, और सीख ही रहा हूँ।

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    1. बड़े भाई मै खुद आप लोगो से ही सीख रहा हू

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    2. Aftab Fazil साहब, ब्लॉग पर आपका कमेन्ट देख कर बहुत ही ख़ुशी हुई, वक़्त की कमी की वजह से कम ही लिख पाता हूँ, एक आम सोशल साइट्स यूज़र की हैसियत से जो दिल में आता है, लिख लेता हूँ, मगर आप और बाक़ी दोस्तों की तरह हर subject पर बेलाग लिखने का अंदाज़ सीखने में बहुत वक़्त लगेगा...सभी से बहुत कुछ सीखने का मौक़ा मिला है इस social media पर ...और ज्यादा ख़ुशी इस बात की है कि आप जैसे पढ़े लिखे मुस्लिम्स इस मीडिया पर सभी औरों की हौंसला अफजाई तो कर ही रहे हैं, साथ ही कौम को बेदार भी कर रहे हैं....Thanks Again for your valuable comment.

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