शनिवार, 2 मार्च 2013

ईमानदारी मुस्कुराई और कहा " मैं जिंदा हूँ अभी " !!

यह एक सत्य घटना है जी खुद मेरे साथ हुई थी.....जून'2012 में पत्नी, बिटिया और चचेरे भाई के साथ...अपनी कार लेकर जयपुर, आगरा, मथुरा और अलीगढ़ के लिए निकले थे....कुछ काम भी था...और छुट्टियाँ भी .....घूमे फिरे....खूब फोटोग्राफी की  और वीडियो आदि भी बनाये....वापसी में जयपुर पहुँचते पहुँचते रात हो गयी थी...भाई ने कहा कि जयपुर से कुछ और खरीदारी कर लो..बिटिया के लिए !...long drive करने के बाद भी अनमने मन से कार को जयपुर के सांगानेरी गेट की पार्किंग में..लगा कर...पास के बाज़ारों में खरीदारी कर...एक घंटे में वापस लौट कर भाई के जयपुर वाले घर आ गए....फ्रेश हो कर...बिटिया ने कहा कि कैमरा निकाल कर फोटो देखते हैं....कैमरा ढूंडा मगर कहीं नहीं मिला...सारा सामान उलट पुलट कर दिया...कार की दो तीन बार तलाशी ली गयी....मगर कैमरा नहीं मिलना था...नहीं मिला....दस हज़ार का digital camera और साथ में...आते समय मैंने 4 GB का मेमोरी कार्ड डाला था...ताकि ज्यादा फ़ोटोज़ और वीडियोज आ जाएँ....और सब से बढ़कर...हमारे यादगार फ़ोटोज़ और वीडियोज...सब कुछ...गायब. हम सब के होश गुम हो गए...आखिरी समय में वो कैमरा बिटिया के हाथ में था...मगर उसको पता ही नहीं कि उसने कहाँ रखा...!

भाई से मैंने कहा कि पार्किंग वाले से जाकर पूछो...कार से उतरते चढ़ते...गिरा हो...तो शायद उसने उठा लिया हो.....भाई जल्दी से बाइक लेकर दौड़ा...वापसी भी मायूसी वाली हुई....आखरी बार उसने कहा कि एक बार में और कार में देखता हूँ....वो टार्च लेकर नीचे गया....और जब वापस आया तो उसके हाथ में कैमरा...देख कर सब हैरान रह गए.....हमारी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा....मैंने पूछा तो उसने कहा कि नीचे पड़ोस का एक छोटा बच्चा घर में घुसने की बार बार कोशिश कर रहा था..मैंने दो बार तो उसको भगा दिया...तीसरी बार जब वो आया तो भाई ने उससे पूछा कि क्या बात है...कहाँ जा रहे हो...तो उसने बताया कि...यह कैमरा मुझे आपकी कार के नीचे पड़ा मिला है....(शायद वो कैमरा कार से उतरते समय बिटिया की गोद में से नीचे गिर गया होगा जो कि हमको दिखाई नहीं दिया) वो लौटने आ रहा हूँ...आप मुझे बात सुने बिना भगा रहे हो...यह देख कर वो हैरान रह गया....!

भाई ने जब ऊपर आकर मुझे यह घटना सुनाई तो मैंने पूछा कि वो बच्चा कहा है...तो उसने कहा कि वो तो कैमरा दे कर चला गया...मैंने जल्दी जेब में हाथ डाला और जितने रूपये हाथ आये  भाई को दिए ....और बिटिया के लिए खरीदे इम्पोर्टेड चाकलेट में से दो चाकलेट देते हुए कहा कि यह उसको फ़ौरन जा कर देकर आओ...उस बच्चे ने ईमानदारी की एक मिसाल पेश की है....इतने छोटे बच्चे में यह जज्बा देख कर दिल खुश हुआ....ऐसी मिसालें देखने और सुनने को बहुत ही कम मिलती हैं..आज के दौर में....यह अचम्भा ही है...ऐसे में उसको और उसके जज्बे को प्रोत्साहित करना बहुत ज़रूरी है.... एक लम्हे के लिए बहुत से ख्याल मेरे सामने आये....काश ऐसी ईमानदारी हर कोई अपनाये...हर कोई उस बच्चे जैसा निर्मल और ईमानदार हो जाए...तो समाज और देश के हित में कितना अच्छा हो ....आज भी जब मैं अपना वो कैमरा हाथ में लेता हूँ....तो उस बच्चे की ज़रूर याद आती है.....मेरे लिए आज यह कैमरा....उस बच्चे की तरफ से दिया एक बेहतरीन तोहफा ही तो है.....उस दिन को मैं कभी नहीं भूल सकता.....उस दिन .....कैमरा हाथ में आने ....और पूरी घटना सुनने के बाद ऐसा लगा था...जैसे....ईमानदारी मुस्कुराई हो...और उसने हौले से कहा हो....." मैं जिंदा हूँ अभी "......!!

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