रविवार, 3 मार्च 2013

थर्राने वाला डर पैदा करना ही होगा !!

दामिनी को न्याय दिलाने के लिए जन समूह पंद्रह दिनों से सड़कों पर है, मगर स्त्रियों के प्रति होने वाले यौन अपराधों/रेप की घटनाएं देश के कई भागों में रोज़ ही कहीं न कहीं बदस्तूर जारी हैं, चाहे वो दिल्ली में कंडक्टर और ड्राइवर द्वारा लड़की से बस में हुई छेड़ छाड़ हो, या हाथरस में रेप के बाद जिंदा जल दी गए महिला हो, या राजस्थान के सीकर में  11 साल की एक मासूम बच्ची (जिसकी हालत गंभीर बनी हुई है) से भी किया गया गेंग रेप हो, यह सब घटनाएं कहीं न कहीं बहुत कुछ सवाल उठती नज़र आती है।

कारक कई हैं मगर इसके मूल में देखा जाए तो सबसे पहली बात तो कानून का बिलकुल ही डर नहीं होना है, कई मामलों में देखा गया है कि सरे आम लड़की को अगवा कर ले जाया गया है, या फिर कुछ साल की सजा काट कर वापस आ कर लड़की पर जानलेवा हमला करना भी यही ज़ाहिर करता है, और इसके पीछे पीड़ित पक्ष का बदनामी के डर से पुलिस के पास नहीं जाना भी एक बड़ा कारण रहता है। ऐसी घटनाओं में पीड़ित पक्ष का सबसे पहले पुलिस से ही पाला पड़ता है, यदि पुलिस ही FIR दर्ज करने नहीं करे या अपराधियों को बचाने की कोशिश करे तो फिर आगे न्याय के लिए रास्ता ही कहाँ रह जाता है ?

" सख्त कानून और सख्त सजा " का विकल्प यदि हो तो अपराधियों में भय अवश्य पैदा होता है, ज़रुरत है तो इसको नियमानुसार लागू करने की, दामिनी के साथ हुई इस दर्दनाक घटना के बाद से सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर यूज़र्स ने सऊदी और ईरानी कानून और दंड पर काफी चर्चाएँ की हैं, मगर वहां के सख्त कानून और उसके implementation तथा सजा पर बराबर अमल होता है।

बात सबसे पहले पुलिस की ही आती है, जिस रात बस में यह सब हुआ उसी बस कुछ समय पहले बस में सवार राम आधार नामक एक आदमी को भी इन दरिंदों ने लूट कर भगा दिया था, इसकी शिकायत राम अधार ने आईआईटी गेट के पास मौजूद दिल्ली पुलिस के पीसीआर से किया था लेकिन दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई करने की बजाय उसे ही उल्टा सीधा सुना दिया और कहा कि घर जाओ और सो जाओ। यदि उस रात दिल्ली पुलिस उस राम आधार की बात सुन लेती तो शायद दामिनी आज हमारे बीच जिंदा होती ...इस पूरे समाचार के लिए यह लिंक देखिये :-
http://visfot.com/index.php/news/7991-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE-%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A4%A4%E0%A5%80-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%B8-%E0%A4%A4%E0%A5%8B-%E0%A4%B5%E0%A4%B9-%E0%A4%A8-%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%9C%E0%A5%8B-%E0%A4%B9%E0%A5%8B-%E0%A4%97%E0%A4%AF%E0%A4%BE.html



किसी भी अपराध की शिकायत के लिए या सुरक्षा के लिए आम आदमी सबसे पहले पुलिस के ही पास जाता है, अब यदि पुलिस ही निष्क्रिय, निष्ठुर, कामचोर और निकम्मी हो जाए तो फिर न्याय और कानून व्यवस्था कहाँ रह जायेगी ?

इसलिए सबसे पहला चरण तो पुलिस को आम जन के प्रति समर्पित और जवाबदेह बनाने की बहुत ही ज्यादा ज़रुरत है, यदि पुलिस ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से अपना काम करे तो अपराध अवश्य ही कम होंगे।

दूसरा आम जन भी (भले ही वो पुरुष हो या महिला) खुद पहले अपनी सुरक्षा के प्रति सचेत रहे, विशेष कर जब कि उसको पता है कि देश की पुलिस का रवैय्या और कार्यप्रणाली क्या है, सुरक्षा के प्रति सचेत रहने में लाभ ही है, हानि कुछ भी नहीं है, स्वयं की सुरक्षा में चूक हो जाने के दशा में न केवल महिला ..बल्कि पुरुषों को भी कई प्रकार की लूटा मारी और राहज़नी की वारदातों का शिकार होना पड़ता है।

तीसरी बात  ...न्याय व्यवस्था और कानून की आती है, बलात्कार जैसे अपराधों में कड़े दंड का प्रावधान का नहीं होना या दंड प्रक्रिया का लम्बा होना या अन्वेषण के तरीके का उचित नहीं होना ...कई कारण हो सकते है।

दामिनी सब को जगा कर सो गयी है, मगर आने वाले समय में स्त्रियों के प्रति होने वाले यौन अपराधों पर लगाम लगाने में दामिनी का नाम सबसे पहले आएगा,  अब जहाँ  देश में बलात्कार और उसके अपराधियों को कड़े दंड के प्रति बड़ी बहस छिड़ी है, वहीँ दूसरी ओर अब गेंद न्यायपालिका और सरकार के पाले में है, हम सभी यही आशा और दुआ करते हैं कि सरकार महिलाओं के प्रति होने वाले यौन अपराधों/बलात्कारों के लिए सख्त से सख्त सजा का कानून बना कर एक उदाहरण पेश करे ... ... और दामिनी के हत्यारों को जल्दी से जल्दी वो सख्त सजा दिलाये ...चाहे वो नपुंसक बनाने का हो या रेयरेस्ट आफ द रेयर केस में फांसी का हो ...ताकि आगे से इस देश में कोई और दामिनी ऐसी शर्मनाक घटना की भेंट नहीं चढ़े ...इसी दुआ और आशा के साथ।

(Wednesday January 02, 2013)

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