बुधवार, 15 अप्रैल 2015

'AAP' से यह उम्मीद नहीं थी ~~~!!

मुझे आज भी सन 2011 के अन्ना आंदोलन के वो दिन याद हैं जब मेरी बिटिया ने मुझे एक sms कर अन्ना आंदोलन में शामिल होने के लिए कहा था, उस sms का सार कुछ यह था कि " एक बूढ़ा व्यक्ति देश से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए कई दिन से भूखे पेट अनशन पर है, आप भरे पेट ही सही उस व्यक्ति के लिए घर से निकलिए, उस बूढ़े व्यक्ति की आवाज़ से आवाज़ मिलाइये, सोशल मीडिया पर इस आंदोलन के साथ जुड़िये, ताकि आने वाली पीढ़ियों को जवाब दे सकें कि आप भी इस शुद्धिकरण प्रक्रिया का एक अंग रहे थे ! "


हालांकि बिटिया को यह पता नहीं था कि हम पहले ही मार्च 2011 से इस आंदोलन से जुड़ गए थे, और इस आंदोलन के समर्थन में जमकर आर्टिकल और ब्लॉग लिखे थे ! आज वही बच्चे अन्ना का नाम सुनकर दायें बाएं हो जाते हैं,  कारण लिखना ज़रूरी नहीं है, सभी जानते हैं !


कल फिर से ऐसा ही कुछ हुआ है, राजनीति के क्षितिज में तेज़ी से उभरे केजरीवाल और जनता के बीच विश्वसनीयता बनाये उनकी AAP से फिर से लोगों की ठीक वैसी ही आशा बंधी थी, जैसे कभी अन्ना आंदोलन से बंधी थी, इस बार दिल्ली का चुनाव जीतकर काफी हद तक यह आशाएं पूरी भी हुई थी, मगर जिस प्रकार से AAP में अंतर्कलह सामने आयी  और दो वरिष्ठ सदस्यों को PAC से अपमानित कर निकाला गया उससे काफी समर्थकों और कार्यकर्ताओं में काफी निराशा और भ्रम है !


भले ही इसे कड़े अनुशासन का मुखौटा पहना कर जनता के सामने रखा गया है, मगर यह सच नहीं है, इसके मूल में जो भी कूटनीति है वो भी चौराहे पर आ गयी है ! हर बात जनता से पूछ कर करने वाली पार्टी ने बंद कमरे में बिना कारण बताओं नोटिस के ही इन दोनों को बाहर का रास्ता दिखा दिया, और सबसे बड़ी बात कि खुद पार्टी संयोजक .....ऐसे बड़े निर्णायक समय में स्वास्थ्य लाभ का बहाना कर शामिल नहीं हुए थे, यह तो वही बात हुई कि घर में आग लगी हो और घर का मुखिया दूर जाकर बैठ जाए !


खैर, देश की दलगत राजनीति से अलग राजनीति का जो दावा AAP ने किया था, वो चकनाचूर होता नज़र आ रहा है, मैं, मेरी पार्टी, मेरे समर्थक.........यानी सुप्रीमो वाली बात कहीं न कहीं सच होती नज़र आ रही है, चमचों और चापलूसों का जमावड़ा बढ़ गया है, और आंतरिक लोकतंत्र नाम का गुब्बारा भी फुट चुका है,  सवाल उठाने वाले को पार्टी विरोधी क़रार दिया जाने लगा है, उन्हें अपमानित किया जाने लगा है !!


दूसरी सबसे बड़ी बात यह कि इस आम आदमी पार्टी को हर सदस्य और कार्यकर्ता ने अपने खून पसीने से सींच कर बड़ा किया है, लोगों ने न सिर्फ देश में बल्कि विदेश में भी अपनी बड़ी बड़ी नौकरियां छोड़ी हैं, धंधे छोड़े हैं, और तन मन धन से इस पार्टी के साथ जुड़े हैं, अब ऐसे में जब यह कलह सामने आयी है तो इन सबके सपनो पर कुठाराघात हुआ है, जो कि पार्टी के लिए बिलकुल भी हितकारी नहीं कहा जा सकता, और दूसरी बात कि इस पार्टी में अभी भी कई योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण मौजूद हैं, किस किस को निकालिएगा !!


आज केजरीवाल ....AAP में वही जगह ले चुके हैं, जो कि भाजपा में मोदी की है !! और केजरीवाल के कट्टर समर्थक वही स्थान ले चुके हैं जो कि सोशल मीडिया पर #भक्तों को दिया गया है ! यह AAP के केंद्र में पैदा हुए एक 'ब्लैक होल' के सामान ही एक प्रक्रिया कही जा सकती है !!


राजनीति में एक ताज़ा झोंके की तरह आयी इस पार्टी से कहीं न कहीं जनता को अभी भी उम्मीदें हैं, और सभी यह दुआ कर रहे हैं कि कैसे भी करके इस कलह का सार्थक परिणाम निकले, नींव की ईंटों का दरकना किसी भी मज़बूत से मज़बूत इमारत के लिए सिर्फ हानि और विध्वंस का ही सबब बनता है, निर्माण और स्थायित्व का नहीं, भले ही मरम्मत कर कुछ देर के लिए डैमेज कंट्रोल ही क्यों न कर लिया जाए !!

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