शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014

ताकि और अरीब मजीद ना बन पाएं ~~!!

कल्याण के इंजीनियरिंग स्टूडेंट अरीब मजीद का नाम अब कोई अनजान नाम नहीं है,  ISIS के लिए काम करने गए अरीब मजीद को ईराक़ से लौटते ही NIA ने अपनी गिरफ्त में ले तो लिया गया था, और जैसा कि जांच और खुद उसके बयानों से यह बात सामने आयी है कि वो सोशल मीडिया के ज़रिये ही इस काम के लिए मोटीवेट हुआ था, और इस ब्रेन वाश करने में  एक लड़की का हाथ है। उसका नाम है ताहिरा भट्ट,जिससे उसकी दोस्ती फेसबुक पर हुई थी। अपने छह पन्ने के बयान में मजीद ने दावा किया है कि ताहिरा ने उसका और उसके तीन दोस्तों शाहीम तनकी, फहाद शेख और अमन टंडेल का ब्रैनवॉश कर इस काम के लिए उकसाया !!


सोशल मीडिया देखा गया है कि कई नौजवान उकसाने और  कट्टरता फैलाने वाली पोस्ट्स पर बिना सोचे समझे न सिर्फ ज्यादा तवज्जो देते हैं, बल्कि दिन रात इसी धुन में लगे भी रहते हैं...यह नौजवान फेसबुक पर कई उकसाने वाले ग्रुप्स और पेजेज़ के सदस्य भी हैं ! वो यह नहीं सोचते कि सोशल मीडिया पर उनकी इस गतिविधियों से क्या हासिल होने वाला है ? फेसबुक पर ऐसे कई ग्रुप्स भी हैं...जो कि मुसलमानो के नाम से कोई और ताक़ते आपरेट कर रही हैं, बिना सोचे समझे इनके जाल में फंसने वाले नौजवान खुद अपने लिए ही आफत का सामान इकठ्ठा कर रहे हैं ! 


पहले भी IM (इंडियन मुजाहिदीन) के जाल में कई नौजवान फंसे हैं, गिरफ्तार हुए हैं, और इसी IM की आड़ में सैंकड़ों बेगुनाह मुस्लिम नौजवान परेशान किये गए, हिरासत में लिए गए, कई छोड़े गए, कइयों का सामजिक, पारिवारिक जीवन बर्बाद हुआ ! अब इस ISIS के आकर्षण में फिर से मुस्लिम नौजवानो के फंसने की खबर आयी है तो यह भी एक बड़ा खतरा ही कहा जा सकता है !


मुझे इसी बात पर अपने फेसबुक दोस्त जनाब अकरम शकील साहब का एक स्टेटस याद आ गया, उन्होंने लिखा था कि :- " जन्नत जाने का रास्ता लीबिया, ईरान, सीरिया या ईराक़ से ही नहीं जाता है, आप जन्नत अपने ही मुल्क हिंदुस्तान में अच्छे आमाल करके भी जा सकते हैं ! "


ऐसे में सभी नौजवानो से यही अपील है कि कभी किसी के उकसावे या बहकावे में नहीं आयें, कभी किसी प्रकार की लालच में नहीं आयें, संदेहास्पद लोगों से दूरी बनाये रखें, ख़ास तौर पर इंटरनेट पर ऐसे अजनबी लोगों से सावधान रहें, जो मुसलमान के रूप में आपको गुमराह करना चाहे हों, उग्र विचार वालों से होशियार रहें, कभी तैश में नहीं आयें, किसी भी मुद्दे या घटना पर आक्रोशित कभी ना हों, विरोध करें तो लोकतांत्रिक तरीक़े से और क़ानूनी मर्यादा में रहते हुए करें, पूरी  होशमन्दी का सबूत दें, ताकि आगे कोई और अरीब मजीद ना बन पाये !
Śỹëd Äsîf Älì 
December 3, 2014 


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