सोमवार, 8 दिसंबर 2014

ये कौन लोग हैं ? अमर प्रेम के स्मारक ताजमहल के दुश्मन ??

कल एक मित्र के स्टेटस पर एक साहब ने दो एक लिंक पोस्ट कर दावा किया कि यह ताजमहल नहीं ...एक शिव मंदिर है या तेजोमहालय है, और इसके लिए उन्होंने किसी पुरुषोत्तम नागेश ओक द्वारा पेश की गयीं दलीलें भी दीं थी. मगर इन सबकी गहराई में न जाकर सोचा जाए तो कई बातें समझ आती हैं...पहली तो यह कि जो लोग इस विश्व धरोहर और अमर प्रेम के स्मारक ताजमहल के बारे में यह सब सुनियोजित षड्यंत्र कर रहे हैं, उसके मूल में केवल हिन्दू-मुस्लिम वैमनस्य को बढ़ाना मात्र ही है, वो हर स्मारक को हिन्दू मुस्लिम स्मारक के तौर पर देखना चाहते हैं, और दिखाने की चेष्ठा कर रहे हैं ! कुछ देर के लिए यदि मान लिया जाए कि यह शिव मंदिर या तेजोमहालय है..तो क्या करना है इसका..तोड़िएगा इसको ? या पूजा पाठ करना है इसमें ? क्यों हज़ारों सालों तक इस शिव मंदिर या तेजोमहालय की सच्चाई छिपा कर रखी गयी ? या फिर अचानक से पिछले कुछ वर्षों से यह ख़ुफ़िया अभियान चला कर इतिहास से कुश्ती कबड्डी खेलने का तमाशा क्यों ? ताजमहल के लिए लिखी गयी कई हिन्दू-मुस्लिम और अँगरेज़ इतिहासकारों और विद्वानो द्वारा सैंकड़ों किताबें ..इन दो चार पूर्वाह्गृह से ग्रसित इतिहासकारों के सामने झूठी कैसे हो गयीं ?

बाबरी मस्जिद और राम मंदिर विवाद किसे याद नहीं है ? हुआ क्या ? इतिहास से कुश्ती लड़ी गयी, सुनियोजित रूप से विध्वंस किया गया ? उसके बाद दंगों में सैंकड़ों लोग मारे गए ? उसके बाद ? अब यदि यही लोग यह जताते हैं कि  यह ताजमहल नहीं ...एक शिव मंदिर है या तेजोमहालय है, तो इनका पूर्वाहग्रह और इनकी नियत समझ आती है ! कल को कोई और इतिहासकार यह दलील देगा कि मुम्बई में विक्टोरिया टर्मिनल को भी किसी पुराने मंदिर को तोड़कर बनाया गया है ? या फिर दिल्ली और आगरा के किले भी किसी मंदिर को तोड़ कर बनाये गए हैं ? किस किस को आप झूठी दलीलें देकर तोड़ेंगे साहब ? और किस किस को आप नए नए नामो से नवाजोगे ? मुग़ल गार्डन को ? ढाई दिन की झोंपड़ी को ? क़ुतुब मीनार को ? हुमायूँ के मक़बरे को ? कश्मीर के शालीमार गार्डन को ? बुलंद दरवाज़े को ?

जिस सदी में हम जी रहे हैं...कई देश चाँद और ग्रहों पर चहल क़दमी कर भी आये हैं, मगर हम हैं कि मंदिर-मस्जिद के झगड़ों से बाहर निकलना ही नहीं चाहते...या कुछ लोग और संगठन ऐसे हैं जो यह नहीं चाहते कि लोग मंदिर-मस्जिद से आगे की सोचें...ऐसे लोग देश को पीछे ही धकेलना चाहते हैं...आगे ले जाना नहीं ! अमेरिका की एक ताजा सरकारी रिपोर्ट में विश्व के सबसे शक्तिशाली देशों की सूची में अमेरिका और चीन के बाद भारत को स्थान दिया गया है, देश के युवा और वैज्ञानिक वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं, सूचना क्रांति के दौर में हम विश्व से क़दम से क़दम मिला कर चल रहे हैं...देश का युवा अपने प्रयत्नो से भारत को उन्नति और प्रगति के पथ पर ले जाने को कटिबद्ध है ...ऐसे में साहब आप चाहते हैं कि लोग आपकी इन वाहियात दलीलों पर गाल बजाएं, तालियां बजाएं, समर्थन में मुंडी हिलाएं ? अफ़सोस कि ऐसा अब बिलकुल सम्भव नहीं है...एक विध्वंस से देश ने बहुत कुछ सीखा है .अब और नफरत नहीं...और विध्वंस नहीं, अब इतिहास से कुश्ती कबड्डी नहीं ! देश के करोड़ों युवा अपने कौशल से न सिर्फ एक खूबसूरत वर्त्तमान लिख रहे हैं....बल्कि देश को एक उन्नत और प्रगतिशील स्वर्णिम भविष्य की और ले जाने को कृत संकल्प है...उसे मंदिर-मस्जिद के झगड़ों से अब कोई दिलचस्पी नहीं...न ही अब वो इन से सहमत है...और ना ही उसकी इसमें रूचि है ! आप अपने पूर्वाहग्रह और इतिहास की पोटली सर पर लिए आवाज़ लगाते घूमते रहिये !

जय हिन्द !!

By : Śỹëd Äsîf Älì

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें