बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

कौनसे 121 करोड़ लोगों की आवाज़ हैं आप~~~??

मारी आबादी के नए आंकड़े अभी-अभी आए हैं. एक अरब 121 करोड़ यानी लगभग सवा अरब. इस सवा अरब लोगों में से  केवल एक लाख लोग भी अन्ना या बाबा के लिए जंतर मंतर या इंडिया गेट पर इकट्ठे नहीं हो पाए हैं...और मुंबई में तो सारे अनुमान ही औंधे मुँह गिर पड़े... जब की इन्टरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इन्होने और इनकी पीठ थपथपाने वालों ने एडी छोटी का जोर एक साल से लगा रखा है...उस पर यह हाल....फिर भी यह दोनों ही मसीहा यह दावा करते हैं की हम 121 करोड़ लोगों की आवाज़ हैं...... !



मिस्र की आबादी से तुलना करके देखें, वहाँ की कुल आबादी है आठ करोड़ से भी कम. यानी अपने आंध्र प्रदेश की आबादी से भी कम.लेकिन, वहाँ तहरीर चौक पर एकबारगी लाखों-लाखों लोग इकट्ठे होते रहे. उन्हें वहाँ इकट्ठा करने के लिए किसी नेता की ज़रुरत नहीं पड़ी. वे ख़ुद वहाँ आए और शिद्दत से आये...क्योंकि उन्हें लगा क्योंकि परिवर्तन उनकी अपनी ज़रुरत है...ब्रिटेन के एक पत्रकार ने अचरज से लोगों से पूछा कि दिल्ली में ही एक करोड़ से ज़्यादा लोग रहते हैं और जितने लोग इकट्ठे हो रहे हैं वो तो बहुत ज़्यादा नहीं है, तो क्या अभी लोगों को भ्रष्टाचार अपना मुद्दा नहीं लगता ?  या जनता को लगने लगा है की यह सब एक प्रायोजित राजनैतिक आन्दोलन हैं...? या फिर कहीं न कहीं लोगों को इन आंदोलनों के मसीहाओं की नीयत पर संदेह होने लगा है..?? कहीं न कहीं...कोई तो बात है.......!!

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