बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

आओ दुष्प्रचार करें~~~~!!

पिछले दिनों फेसबुक पर किसी मित्र की पोस्ट पढ़ी थी...उसमें उन्होंने लिखा था...कि आकाश पी सी टेबलेट (Laptop)को हर एक विद्यार्थी तक पहुँचाने कि योजना भी एक कांग्रेसी चाल है...इससे नवयुवक पोर्न की और आकर्षित होंगे...और पथभ्रष्ट हो कर देशप्रेम से विमुख हो जायेंगे..कितनी अजीब बात है...क्या आकाश पी सी टेबलेट को नवयुवक या विद्यार्थियों को सिर्फ इसी काम के लिए दिया जा रहा है.....या क्या लोग जो कि पहले से इन्टरनेट, लेपटाप या ऐसे पी सी टेबलेट प्रयोग कर रहे हैं...वो सब ऐसा ही कर रहे हैं...यह कैसी सोच है...? मुझे याद है..जब राजीव गाँधी ने कम्प्युटर क्रान्ति के लिए बीड़ा उठाया था...तब भाजपा ने पूरा देश सर पर उठा लिया था...कम्प्युटर के विरोध में ज़बरदस्त दुष्प्रचार किया था...लोगों को मूर्ख बनाया गया था...आज वही कम्प्युटर है...और वही सूचना क्रान्ति ...जिसकी बदौलत प्रचार और दुष्प्रचार दोनों हो रहे हैं...  मैंने   एक और पोस्ट देखी थी जिसमें पिछले 30 सालों में सोने के भावों में होने वाली वृद्धि के लिए कांग्रेस और सोनिया गाँधी को ज़िम्मेदार ठहराया गया था...कितनी वाहियात बात है...क्या सोना सिर्फ भारत में ही महंगा हुआ है...और देशों में तो शायद  दस हज़ार रूपये तोला ही बिक रहा है...क्या इन दुश्प्रचारियों को यह नहीं पता कि सोने का मूल्य अंतर्राष्ट्रीय विषय है...न कि राष्ट्रिय...  हर बात के लिए सरकार को या कांग्रेस को कोसना एक फैशन सा बन गया है...कल को किसी गूजर भाई की भैंस पानी से निकलने से मना करदे तो क्या इसके ज़िम्मेदार कपिल सिब्बल होंगे...?या किसी की पत्नी मायके जा कर बैठ जाए तो क्या इसके ज़िम्मेदार दिग्विजय सिंह होंगे ? कल को जुम्मन मियाँ की आँखों में मोतिया बिन्द हो जाए तो क्या इसका दोष सोनिया गाँधी को दिया जाएगा....? मांगी लाल की सुबह स्कूटर स्टार्ट होने से मना कर दे तो क्या इसके ज़िम्मेदार राहुल गाँधी ही होंगे ?
सरकार की कमियाँ और मुद्दों को उठाने का अधिकार सभी देशवासियों को है...जन सहभागिता से लोकतंत्र का शुद्धिकरण ही होता है...मगर दुष्प्रचार अलग बात है...और तर्कपूर्ण व समीक्षात्मक रूप से कमियां और गलतियाँ बताना अलग होता है...इन्टरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर यह एक फैशन बन गया है...और काफी लोग अपने को दूसरे से बढ़कर देशप्रेमी बताने के चक्कर में बे सर पैर के तर्क और दुष्प्रचार कर अपनी पीठ ठोंक रहे हैं....जय हो....!!

1 टिप्पणी:

  1. " कोसना एक फैशन सा बन गया है " ...

    पर हाँ कोई फैशन हो ज्यादा दिन नहीं टिकता ... मेकअप के नीचे से चेहरे झांकने ही लगते हैं ... कई बार वे उजागर हुए हैं ... पुरानी आदत हैं वे बाज नहीं आते ... काम करने वाले ही हर बार सरमौर बनाये जाते हैं

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