बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

सोशल नेटवर्किंग साइट्स से राष्ट्रिय एकता और धार्मिक सौहार्द की कीमत पर समझौता हरगिज़ नहीं~~!

देश में सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर लगाम की अटकलों पर नज़र डाली जाए तो पायेंगे कि ..इसके मूल में राष्ट्रिय एकता, सौहार्द और धार्मिक समन्वयता को बिगाड़ने वालों पर शिकंजा कसने और सजा  का ही विचार है....न कि किसी राजनैतिक पार्टी या आन्दोलन पर लगाम लगाने की....यह अफवाहें फैलाने वाले वही लोग हैं...जो कि इस गंदगी को फेसबुक पर फैला कर खुश हो रहे हैं.....जो फेसबुक यूज़र ज्यादा राजनैतिक ग्रुप्स के सदस्य रह चुके हैं...उन को पता होगा कि कई ग्रुप तो सिर्फ विद्वेष और घृणा फैलाने के लिए ही बने हैं...काफी यूज़र इस बात के गवाह भी होंगे...भले वो सामने ना आयें...या सहमती ना दें...पर यह सच है....फेसबुक पर ऐसे सैंकड़ों  घृणित ग्रुप्स की बड़ी लम्बी लिस्ट हैं...जैसे  कि समाचार हैं...कि गूगल, फेसबुक और 19 अन्य सोशल नेटवर्किंग साइटस पर विभिन्न वर्गों  के बीच वैमनस्य बढ़ाने के आरोप में कानूनी कार्रवाई के आदेश कोर्ट ने दिया हैं..  अदालत ने कहा था कि शुरुआती प्रमाणों के आधार पर आरोपी  21 कंपनियों के खिलाफ वर्ग वैमनस्य बढ़ाने, राष्ट्रीय एकता को क्षति पहुंचाने और लोगों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने के लिए समन जारी करने का मामला बनता है।
भारत जैसे धर्म निरपेक्ष देश में सोशल नेटवर्किंग साइट्स का गलत प्रयोग  कुछ प्रदूषित  मानसिकता वाले संगठनों द्वारा प्रायोजित ग्रुप और कुछ हद तक धार्मिक वैमनस्यता फैला कर वोट बटोरने वाली राजनैतिक पार्टियाँ करती चली आ रही हैं...!!

 राजस्थान में पिछले माह तीन शहरों में ऐसे ही फेसबुक पर  धार्मिक वैमनस्यता फैलाने वाले फोटो को लेकर तीन चार दिन तक जमकर उपद्रव हुआ था...जिसको की बाद में राज्य व केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद हटा दिया गया...अब ऐसे में देश के किसी भी धर्मं का आदमी नहीं चाहेगा कि उसके धर्म का फेसबुक या अन्य साइट्स पर अपमान हो....इसलिए केंद्र सरकार और सूचना प्रसारण मंत्रालय को कोई रास्ता इस साइट्स के अधिकारीयों के साथ मिल बैठकर निकालना होगा.... .जिससे कि देश में कम से कम ऐसे ज़बरदस्त सोशल नेटवर्किंग साइट्स का दुरूपयोग न हो पाए...और साथ ही मैं जो करोड़ों यूज़र इस का सदुपयोग कर रहे हैं...उनको निराशा भी ना हो....और रास्ता होगा भी.....निकलेगा भी....क्योंकि इस सूचना क्रान्ति के दौर में कुछ भी असंभव नहीं...! और साथ ही में कोर्ट यह भी सुनिश्चित करे कि अभिव्यक्ति की आज़ादी का हनन भी ना हो....तीसरी बात यह क़दम राष्ट्रीय एकता..अखंडता और सौहार्द को बचने के लिए हो.....ना कि राजनीतक लाभ उठाने या फिर किसी दल विशेष को निशाना बनाने के लिए...!और इसके समर्थन में उन सभी यूज़र्स को आगे आना चाहिए जो कि इस मंच का रचनात्मक उपयोग कर रहे हैं...जो इसकी उपयोगिता समझते हैं...!!

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