बुधवार, 21 दिसंबर 2011

जय हो विजय माल्या की....!!

किसान खुदकुशी करते हैं तो करते रहें. गांव के लिए भेजा जाने वाला पैसा नेता और अफसर हड़पते हैं तो हड़पते रहें. देश में महंगाई की मार बढ़ रही है तो बढ़ती रहे. भ्रष्टाचार बेहिसाब बढ़ रहा है तो बढ़ता रहे. इन सब पर कुछ नहीं कर सकती केंद्र सरकार. लेकिन हां, अगर अकूत संपदा के मालिक विजय माल्या फार्मूला वन रेसिंग में करोड़ों रूपये उड़ा कर अपनी एयरलाइंस बचाने के लिए सरकार से पैकेज की मांग करते हैं तो सरकार के भीतर हलचल शुरू हो जाती है.यह मुद्दा यह बताने के लिए पर्याप्त है कि अपन के देश की सरकारें जन हित की नहीं बल्कि कारपोरेट्स के हित की संरक्षक हैं.

किंगफिशर एयरलाइन डूब रही है. उसके मालिक विजय माल्या सरकार से बेल आउट की मांग कर रहे हैं. सरकार भी बेल आउट देने के लिए बेचैन दिख रही है. इस बेल आउट के लिए तर्क यह दिया जाएगा कि  :--


१) हजारों लोगों की नौकरी दांव पर लगी है.


२) हवाई यात्रियों को बहुत परेशानी होगी.

३) इतनी बड़ी एयरलाइन को डूबने कैसे दिया जा सकता है.
४) इससे देश की छवि खराब होगी
५) निवेशकों खासकर विदेशी निवेशकों में गलत सन्देश जाएगा. ..और तय है कि सरकारी पैसे से बेल आउट पाकर माल्या मालामाल हो जाएंगे. कोई नहीं पूछेगा कि माल्या के मिस-मैनेजमेंट, फिजूलखर्ची और मनमानियों की कीमत आम आदमी की जेब से क्यों जाए? यही है मुनाफे का निजीकरण और घाटे का सरकारीकरण.


फार्मूला वन रेस में करोड़ों उड़ा कर, और रायल चेलेंज क्रिकेट टीम पर करोड़ों अरबों खर्च करने वाले और शाही सुख सुविधाओं में जीने के आदी और सुंदरियों आर लाखों रूपये उड़ाने वाले अय्याश विजय माल्या अपनी किंगफिशर एयरलाइंस को कर्ज संकट से उबारने के लिए सरकार से मदद मांग रहे हैं। किंग ऑफ गुड टाइम्स की कंपनी यूबी ग्रुप की शराब दुनिया के 52 देशों में बिकती है। देश के आधे शराब कारोबार पर उनका कब्जा है। 60% बीयर सिर्फ किंगफिशर की होती है। सवाल ये है कि उनको बेलआउट सरकार क्यों करे?  जनता को जरूरत भर के पेट्रोल पर चवन्नी भी सब्सिडी देने को तैयार नहीं है सरकार। जय हो विजय माल्या की...और उनके कारनामों की....!!

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