बुधवार, 21 दिसंबर 2011

किसकी नज़र लगी है.....पिरामिडों के देश मिश्र को~~~~~??

पिरामिडों कि धरती मिश्र में  क्या कभी होस्नी मुबारक के शासन में ऐसा कृत्य हुआ था ?  इस महिला के साथ जो घिनौना  कृत्य मिश्र में हुआ उसको पूरी दुनिया ने टी.वी. समाचारों  में Live  देखा और समाचार पत्रों में पढ़ा, इस महिला कि घटनास्थल पर ही पुलिस पिटाई के दौरान ही मृत्यु हो गयी थी, साथ ही में इसके एक और साथी को भी पुलिस ने पीट पीट कर मार डाला था,   इस समय   मिस्र से जो संकेत मिल रहे हैं, वे बहुत अच्छे नहीं हैं। वहां की फौज के हाथों में इस वक्त सत्ता की बागडोर है और ऐसा महसूस हो रहा है कि एक स्वस्थ लोकतांत्रिक बदलाव को प्रोत्साहित करने के बजाय अमेरिका वहां ज्यादा से ज्यादा सैन्य शासन खींचना चाहता है, और सेना को भी  अपनी सत्ता बचाए रखने में कहीं अधिक दिलचस्पी है।

 अमेरिका मिस्र को सालाना 1.3 अरब डॉलर की सैन्य सहायता देता है, यानी कह सकते हैं कि अमेरिका के टुकड़ों पर ही मिश्री सेना पल रही है....ऐसे में ओबामा प्रशासन को अब यह फ़िक्र हो गयी है कि मुस्लिम ब्रदर हुड जैसे इजराइल और अमेरिका विरोधी संगठन यहाँ दोबारा से जनता के चहेते बन गए हैं, और चुनावों में इनका पलड़ा भी भारी है...अब यह साफ़ ज़ाहिर हो गया है कि लोकतांत्रिक आन्दोलन और बदलाव के नाम पर अरब देशों में हो चुके और हो रहे उपद्रवों के पीछे अमेरिका का निजी हित और गुप्त एजंडा काम कर रहा है...और इसका नतीजा सिर्फ और सिर्फ आम जनता को भुगतना पड़ रहा है, और अरब लीग नामक संस्था तो मानो अमेरिका के लिए एक चपरासी की हैसियत से काम कर रही है......तानाशाहों के खात्मे के नाम पर सत्ता पलट के खेल के महारथी अमेरिका से कौन कहे कि सब से बड़ा तानाशाह तो शान से सऊदी अरब में बैठा इन सब कार्वाहियों को और हवा दे रहा है.....!!

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